रांची । फिलहाल वर्तमान समय में पूरी दुनिया इंटरनेट के नेटवर्क पर आश्रित हो गई है। अर्थात यदि नेटवर्क नहीं है तो आप किसी भी कार्य को करने के लिए खुद को लाचार असहाय महसूस करेंगे।
और इस विवशता का लाभ उठाते हुए नेटवर्क सेवा प्रदान करने वाली जिओ, हो एयरटेल, कंपनी के सेवा प्रदाता के द्वारा मनमाने ढंग से राशि वसूलने के लिए अक्सर एक से एक नए नियम बना कर अप्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ताओं का आर्थिक शोषण किया जा रहा है।
प्रतिस्पर्धा में किसी भी व्यवसाय पर एकाधिकार नहीं होता है लेकिन यहां प्रतिस्पर्धा नहीं है बल्कि आपसी समन्वय हैं यही कारण है कि पहले तो एयरटेल ने मनमाने ढंग से राशि बढ़ाई और इसके बाद उसी कदमों पर चलते हुए जियो नेटवर्क ने भी अपनी रेट बढ़ाकर यह बता दिया कि हम दोनों एक ही हैं।
उपभोक्ता कानून कहता है कि सेवा प्रदाता के द्वारा सेवा को देने के बदले में जो करार शर्तें होती है उसमें यदि कमी होती है तो फिर उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन है।
मोबाइल नेटवर्किंग के क्षेत्र में एकमात्र विकल्प एयरटेल और जिओ के इस क्षेत्र में काफी संख्या में उपभोक्ता है।
जिओ और एयरटेल नेटवर्क की सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां 4G की सेवा देने का करार करते हुए यह कंपनियां लोगों को मैसेज और प्रचार के माध्यम से प्रलोभन देती है और इस प्रलोभन में आकर लोग निर्धारित राशि देकर 4G सेवा के लेने के लिए राशि का भुगतान करता है लेकिन बदले में इन्हें 3Gऔर 2G सेवा से भी बदतर सेवा मिलती है। जिससे उपभोक्ता खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं।
ऐसे में उपभोक्ता के अधिकारों का हनन तो होता ही है। इनके कई जरूरी और महत्वपूर्ण कामों का नुकसान हो जाता है।
जैसा कि हम आप सभी जानते हैं कि कोरोना काल को लेकर ऑफलाइन की पढ़ाई में बंद है और ऑनलाइन से ही बच्चे अपने पढ़ाई पूरी कर रहे हैंऔर अपने जीवन को संवारने का प्रयास कर रहे हैं।
लेकिन अचानक इस तरह से नेट पैक मैं अप्रत्याशित रूप से वृद्धि किए जाने के बाद गरीब और सामान्य वर्ग के बच्चे मंहगा नेट पैक नहीं भरवा पा रहे है और ऐसे में यह बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से कुछ तो दूर हो गए हैं।
4G नेटवर्क प्राप्त करने के लिए पूरी राशि का भुगतान उपभोक्ताओं के द्वारा किया जाता है लेकिन उन्हें 4G की सुविधा नहीं मिलती है । उपभोक्ता कानून कहता है कि सेवा प्रदाता के द्वारा सेवा देने के बदले में सेवा प्राप्त करने के लिए किए गए भुगतान के बाद भी सेवा में त्रुटि होती हो तो यह उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन है।
इस संदर्भ में अधिवक्ता शक्ति कुमार सिंह ने बताया कि उपभोक्ता निर्धारित राशि देकर नेट पैक करवाते हैं और बदले में उन्हें वह सेवा नहीं मिल पाती है जिस सेवा के लिए उन्होंने राशि का भुगतान किया है । राशि का भुगतान किए जाने के बावजूद नेट की सुविधा उपभोक्ता को नहीं मिल पा रही हो और किए गए करार के मुताबिक सेवा में हुई त्रुटि के लिए उपभोक्ता हर्जाने का भुगतान पाने की दावेदारी के लिए उपभोक्ता न्यायालय का सहारा ले सकता है।
अधिवक्ता शक्ति कुमार सिंह ने बताया कि करार के मुताबिक सेवा में होने वाली त्रुटि के लिए उपभोक्ताओं को अपने अधिकार प्राप्त करने हेतु संबंधित कंपनी के डायरेक्टर या पदाधिकारी को सबसे पहले वकालतन नोटिस देना होगा जिसमें उन्हें यह बताना होगा कि आपके द्वारा दी जाने वाली त्रुटिपूर्ण सेवा के कारण आर्थिक और मानसिक रूप से हुए नुकसान और न्यायालय में मुकदमा लड़ने के क्रम में हुए खर्च की भरपाई का भुगतान की मांग कर सकता है।
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