विमल कुमार मिश्रा के कलम से ।
(जानकारी का स्रोत: किताब: तुगलककालीन भारत, अनुवादक: सैयद अतहर अब्बास रिजवी, प्रोजेक्ट: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, प्रकाशन: राजकमल)
आपने देखा होगा कि जब बंगाल में मुस्लिमों की कठपुतली शासक ममता बनर्जी का राज पश्चिम बंगाल में आया तो हिंदू औरतों के साथ रेप किए गए तब बहुत सारे हिंदुओं ने अपनी इज्जत बचाने के लिए अपने घरों को छोड़ दिया... बहुत सारे हिंदू परिवारों ने जंगलों में शरण ली ताकी किसी तरह वो बच जाएं... और बहुत सारे हिंदुओं ने भागकर असम राज्य में प्रवेश किया था।
शायद आपको लग रहा होगा कि ये पहली बार हुआ है... लेकिन ये पहली बार नहीं हुआ है... और ये आखिरी बार भी नहीं हो रहा है... भारत में जब मुसलमानों का राज था तब मुसलमान सैनिक नियमित रूप से जिहाद करते थे और इसमें हिंदुओं को मारकर उनके घर की बहन बेटियों का अपहरण कर लेना... एक आम बात थी। जिसका वर्णन इतिहास की तमाम किताबों में मिलता है। मुस्लिम सुल्तानों और बादशाहों के दरबारों में बैठकर इतिहास लिखने वाले इतिहासकारों ने भी इन सब घटनाओं का जिक्र किया है।
इब्नेबतूता... बद्रेचाच... जियाउद्दीन बरनी जैसे तमाम मध्य कालीन इतिहासकारों ने लिखा है कि हिंदू लड़कियों की लूट और उनकी खऱीद फरोख्त इस तरह हो रही थी कि हिंदू लड़कियां बहुत सस्ते में बिक रही थीं... ये ठीक वैसा ही दृश्य है जैसे सीरिया और इराक में सच्चे मुसलमान और कुरान को सही तरीके से फॉलो करने वाले इस्लामिक स्टेट के आतंकी यजीदी महिलाओं के जिस्म की बोली लगाते हैं।
आज जब ईद आती है तो हिंदू भी ईद की बधाई देते नजर आते हैं लेकिन हमारे हिंदू पूर्वजों की ईद कैसे होती थी? तुगलककालीन भारत के अनुवादक सैयद अतहर अब्बास रिजवी ने इब्नेबतूता के यात्रा वृतांत का जिक्र किया है। इब्नबतूता ने अपने यात्रा वृतांत में लिखा है कि जब वो भारत आया तो उसने देखा कि ईद के दिन मुस्लिम सुल्तान अपने दरबार में हिंदू राजाओं और हिंदुओं की अपहरण की गई बेटियों से नृत्य करवाता था। इसके बाद इन हिंदू औरतों को सुल्तान अपने सिपाहियों में जबरन भोग विलास करने के लिए बांट दिया करता था। ये इब्नेबतूता ने लिखा है और अनुवाद सैयद अतहर अब्बास रिजवी का है... ये सब मुसलमान हैं और मुसलमानों ने खुद ही अपनी पोल खोली है।
ईद के दिन हिंदुओं पर ये अनाचार करने के लिए एक महीने पहले से ही भारी संख्या में औरतों की लूट की जाती थी। इब्नेबतूता ने लिखा है कि हिंदू अपनी बहन बेटियों को बचाने के लिए बांस के जंगलों में छुप जाया करते थे। ठीक वैसे ही जैसे आज पश्चिम बंगाल में हिंदू अपनी इज्जत बचाने के लिए दर दर की ठोकरें खा रहा है। आपने देखा होगा वहां चुनाव जीतने के बाद टीएमसी के जिहादी गुंडों ने क्या किया? मानवाधिकार आयोग ने भी इस पर अपने बयान दर्ज करवाए जो कि कई अखबारों में प्रकाशित हुए।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें