अन्न का शरीर से गहरा संबंध है तथा जैसा खाए अन्न-वैसा बने मन:--- गायत्री साधक
रांची। अखिल विश्व गायत्री परिवार रांची शाखा के कुटुंबजन ग्रेटर नोएडा वेस्ट में अपने आवास परिसर में अपने दो पौत्रों में छोटे का अनप्राशन संस्कार और बड़े का जन्मदिवस संस्कार 51 घंटे का अखंड ज्योति प्रज्ज्वलन कर गायत्री यज्ञीय विधान से संपन्न किए।शाखा प्रतिनिधि साधक ने संस्कार अनुष्ठान कार्यक्रम में स्थानीय सोसाइटीज के पहुंचे बच्चों व अभिभावकों बीच इस अवसर पर गायत्री महामंत्र, महाविद्या, महाविज्ञान, यज्ञ विधान, गायत्री परिवार,जप-अनुष्ठान संबंधित संचालित कार्यक्रमों के कुछ आयोजनों पर तथा इस संस्थान अभियान के अंतर्गत प्रचलित युग निर्माण अभियान,विचार क्रांति अभियान, ग्रामे ग्रामे गायत्री यज्ञ,
गृहे गृहे गायत्री स्थापन,उपासना, संस्कार प्रकरण संबंधित विषयगत उद्देश्य अन्नप्राशन संस्कार व जन्मदिवस संस्कारोत्सव युक्त यज्ञीय
प्रकरण पर प्रकाश डाल बताया कि
*अन्न का शरीर से गहरा संबंध है, जैसा खाए अन्न- वैसा बने मन*
बताया कि शिशु के लिए अन्नाहार क्रम को श्रेष्ठतम संस्कारयुक्त यज्ञीय व धर्मानुष्ठान के वातावरण में करना अभीष्ट होता है।बताया कि शास्त्र में निर्देशानुसार तेन त्यक्तेन भुंजीथा और आहार शुद्धौ सत्वशुद्धि का शास्त्र वचन है,अर्थात् हमें त्याग के साथ भोग करने का निर्देश है,भोजन ईश्वर को समर्पित कर या अग्नि में आहुति प्रदान कर खाने का निर्देश है। इस आधार व अवसर पर परिवार में विधिवत 51 घंटे का अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित कर देवपूजन, चालीसा
-पाठ ,मंत्र-जप सहित यज्ञीय कार्यक्रम करके गायत्री महामंत्र, महामृत्युंजय महामंत्र, प्रखर प्रज्ञाय सजल श्रद्धाय सहित कई महत्वपूर्ण मंत्रों से यज्ञीय आहुति में शुद्ध खीर मिष्ठान की मंत्राहुति देकर शेष भाग का प्रसाद भोग शिशु को अन्नाहार कराया गया।इस अवसर पर बड़े पौत्र का जन्मदिवसोत्सव भी पंच तत्वों के पूजन विधान से मनाया गया और सोसाइटीज में ऐसी वैदिक विधि विधान से नई पीढ़ी में शिशुदेवों जैसा संस्कार विधान का आचरणअनुकरण का संदेश दिया गया।
अंत में सभी ने उक्त शिशुओं को बधाई, मंगलमय कामना का संदेश व आशीर्वचन दे प्रसाद ग्रहण और प्रीति पान कर समापन किया।

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