चंपई सोरेन हाउस अरेस्ट,देवेंद्रनाथ महतो ने संभाला आंदोलन का कमान, हल बैल चलाकर रिम्स-2 जमीन बचाओ का हुआ आंदोलन
जबरन रिम्स टू बनाने से नगड़ी के लोग भूमि हीन हो जाएंगे - देवेन्द्र नाथ महतो।
रांची/ कांके अंचल अंतर्गत मौजा नगड़ी में प्रस्तावित रिम्स-2 परियोजना को लेकर विवाद लगातार बढ़ते जा रहा है। राज्य सरकार का यह परियोजना 1074 करोड़ राशि का है। जिसे बचाने को लेकर आज रैयत ग्रामीणों के द्वारा जमकर आंदोलन किया गया। जिला प्रशासन द्वारा प्रस्तावित जमीन के 200 मीटर परिधि में बीएनएस धारा 163 लागू कर दिया गया। आज (रविवार) आंदोलन से पूर्व ही अहले सुबह पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को उनके आवास में ही नजर बंद कर दिया गया। आंदोलन स्थल पर पुलिस प्रशासन द्वारा कड़ी निगरानी व वेरीकेटिंग किया गया। इसके बावजूद 'झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा' के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष देवेंद्रनाथ महतो प्रशासन को चकमा देकर आंदोलन स्थल तक पहुंचे। कार्यकर्ताओं के साथ कंधे में हल और बैल लेकर पहुंचे। प्रस्तावित जमीन पर घंटों तक हल जुताई किया। हक जुताई करते हुए खेत जोतो जमीन बचाओ - रोपा रोपो जमीन बचाओ का नारा लगाया।महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा के साथ सांस्कृतिक गीत-संगीत से धान रोपनी करते हुए राज्य सरकार के रिम्स-2 परियोजना का विरोध किया। जमीन जुताई करते हुए देवेंद्रनाथ महतो ने कहा कि हम विकास का विरोधी नहीं लेकिन यह जमीन पूर्णतः कृषि योग्य आजीविका आधारित है। खेती योग्य जमीन पर बिना संवैधानिक अधिकरण किए हुए राज्य सरकार जबरन रिम्स-2 परियोजना थोपने का काम कर रही है। कृषि योग्य भूमि को यहां के रैयतों से छीनकर उनके आजीविका पर चोट पहुंचाना चाहती है। झारखंड के सरकारी गैर मजरूवा जमीन, फॉरेस्ट लैंड, भुईहरि जमीन को बाहरी भू -
माफिया द्वारा जबरन कब्जा किया जा रहा है दूसरी तरफ सरकार कृषि योग्य जमीन को हड़प रही है, लोकतांत्रिक देश में तानाशाही शासन को उखाड़ फेंका जायेगा। अगर सरकार को रिम टू बनाना है तो रांची आस पास कांके, बुकरू, रातु, सिमलिया, अनगड़ा, ओरमांझी क्षेत्र में सरकारी जमीन पड़ी हुई है सरकार उसपर रिम्स टू बनाए।सरकार द्वारा पुलिस लठेतों के बल पर नगड़ी का अवैध जमीन अधिग्रहण हमारा संगठन नहीं होने देगी।
बताते चलें कि बीआईटी द्वारा अवैध रूप से 281 एकड़ जमीन अधिग्रहण का विरोध देवेंद्रनाथ महतो द्वारा हल चला कर ही किया गया था।
आज का यह आंदोलन 'नगड़ी जमीन बचाओ संघर्ष समिति' के आह्वान पर किया गया। जिस पर विभिन्न राजनीतिक,सामाजिक वह किसान संगठनों ने अपना समर्थन दिया। हजारों की संख्या में महिलाएं एवं बुजुर्ग भी इस आंदोलन में सम्मिलित दिखे। जिसमें मुख्य रूप से प्रेम शाही मुंडा, कमलेश राम, कुंदरेशी मुंडा, अंजना लकड़ा के अलावा हजारों लोग उपस्थित थे।

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