झारखंड हाईकोर्ट का राज्य सरकार को कड़ा निर्देश: स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी पर जताई नाराजगी, जल्द नियुक्ति सुनिश्चित करने का आदेश
रांची, 17 अप्रैल 2025: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि आगामी दो से तीन महीनों के भीतर सभी रिक्त शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की जाए, ताकि नए शैक्षणिक सत्र में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शिक्षा का अधिकार बच्चों का मौलिक अधिकार है और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करे।
इससे पहले, 8 अप्रैल को हुई सुनवाई में राज्य शिक्षा विभाग ने अदालत को बताया था कि करीब 26,000 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी, जिसमें पारदर्शिता और समयबद्धता का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
हालांकि, कोर्ट ने इस पर संतोष व्यक्त नहीं किया और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) से भर्ती प्रक्रिया की स्पष्ट समयसीमा मांगी। इसके जवाब में आयोग ने 11 अप्रैल को एक शपथपत्र दाखिल कर बताया कि कुछ स्थानीय भाषाओं जैसे कुरमाली, हो और पंचपरगनिया की परीक्षाएं अभी तक आयोजित नहीं हो सकी हैं, जिसके कारण नियुक्ति प्रक्रिया में विलंब हो रहा है।
JSSC ने कोर्ट को यह भी सूचित किया कि सभी प्रक्रियाएं पूरी करते हुए जनवरी 2026 तक शिक्षकों की नियुक्ति पूरी कर ली जाएगी।
हालांकि, हाईकोर्ट ने आयोग की इस समयसीमा को लंबा और अस्वीकार्य मानते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह इस मुद्दे को प्राथमिकता दे और दो से तीन महीने के भीतर सभी आवश्यक कदम उठाकर नियुक्तियां सुनिश्चित करे।
मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल 2025 को निर्धारित की गई है, जिसमें कोर्ट सरकार और आयोग की ओर से हुई प्रगति की समीक्षा करेगा।
झारखंड के ग्रामीण और आदिवासी बहुल इलाकों में शिक्षकों की भारी कमी लंबे समय से चिंता का विषय रही है। इससे न सिर्फ बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, बल्कि सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
अब देखना होगा कि कोर्ट के सख्त रुख के बाद राज्य सरकार और JSSC किस तरह से त्वरित कार्रवाई करते हैं और शिक्षकों की कमी को दूर कर पाते हैं या नहीं।

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