राजेश यादव, जो 16 जून 2024 को आश्रम में लाए गए थे, अपनी याददाश्त पूरी तरह खो चुके थे। उन्हें कुछ भी याद नहीं था — न नाम, न घर, न अतीत। आश्रम में रहते हुए शहर के प्रख्यात न्यूरोसर्जन डॉ. एच.पी. नारायण की देखरेख में उनका इलाज हुआ। लंबी प्रक्रिया के बाद, 24 मार्च 2025 को उनकी स्मृति धीरे-धीरे लौटने लगी और उन्होंने अपने गांव सिवान, थाना बड़हरिया, शेखपुरा का पता आश्रम के सेवादारों को बताया।
आश्रम के उपाध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद अग्रवाल और प्रवक्ता संजय सर्राफ ने बताया कि जैसे ही राजेश यादव की याददाश्त लौटी और उन्होंने घर जाने की इच्छा जताई, सेवादारों की टीम ने तत्परता से उनके बताए पते पर खोजबीन कर उनके परिजनों का पता लगाया। इसके बाद राजेश यादव को पटना आश्रम भेजा गया, जहां से सेवादार रंजीत कुमार ने उन्हें 23 अप्रैल 2025 को उनके गांव पहुंचाकर परिजनों से मिलवाया। यह मिलन देखकर परिजन भाव-विह्वल हो उठे और संस्था को बार-बार धन्यवाद दिया।
सद्गुरु कृपा अपना घर आश्रम वर्तमान में 37 दिव्यांग एवं निराश्रित लोगों की निःशुल्क देखभाल कर रहा है। यहाँ उन्हें न केवल भोजन और आवास, बल्कि चिकित्सकीय सेवा, मानसिक समर्थन और पारिवारिक वातावरण भी प्रदान किया जा रहा है।
संस्था के प्रवक्ता संजय सर्राफ ने बताया कि आश्रम केवल एक सेवा केंद्र नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए जीवन की आशा की किरण है जो अपनेपन और पहचान से वंचित हो जाते हैं।

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