हम असत्य को छोड़ते नही इसलिए सत्य साथ आता नही- श्रीकांत




रांची। 
रांची के अग्रसेन भवन के सभागार में श्री मदभागवत कथा के दुतिये दिवस पर मुख्य यजमान श्री मति लता देवी केडिया, ओम प्रकाश केडिया, निरंजन, अजय, संजय केडिया संग परिवार द्वारा श्री मदभागवत व ब्यास पूजन किया गया।

बेदिक मंत्रोचारण के साथ ब्यास पीठ पर विराजमान परम श्रधेय कथा वाचक श्रीकांत जी शर्मा को मुख्य यजमान ओम प्रकाश केडिया सपत्नी द्वारा चंदन,वंदन माल्यर्पण कर उनका अभिनंदन स्वागत किया गया। 

कथा के मुख्यसार को बताते हुए कहते है :- *ईश्वर से जगत है जगत से ईश्वर नही* क्योकि हम सभी लोगो के जन्म का कारण भगवान है। गुरु कहते है *शिवात्मा परमात्मा दो नही है*।भागवत के परमतत्व को जाने, जहाँ से विज्ञान खत्म होता है वही से भागवत प्रारम्भ होती है। भागवत किताब नही, भगवान की मंगलाचरण पर चर्चा करते हुए बताया , महाभारत खंड, परीक्षित कथा के प्रसंग पर भी अपने मुखारविंद से अमृत वर्षा की। भगवान सबको जान जाए यह जरूरी नही लेकिन हम जिसे नही देख रहे है वो हर पल हमे देख रहा है। हम रामनवमी जन्माष्टमी इसलिए मनाते है कि भगवान का प्राकट्य होता है।

श्री मदभागवत संसार की जलन से शांति दिलाने वाला ग्रंथ है । संसार जल रहा है और इससे शांति परमात्मा ही दे सकता है, क्योकि परमात्मा सर्वत्र व्याप्त है परमात्मा पास भी है और दूर भी  है । वह सारे संसार में है और संसार उसमें है, ब्रह्म सब में विद्यमान है और राम तथा श्री कृष्ण  वर्तमान है यह सब में रहते हैं लेकिन दिखाई नहीं पड़ते परमात्मा स्वयं प्रकाश है। सब कुछ उन्हीं से प्रकाशित होता है जब मनुष्य को कहीं से भी प्रकाश नहीं मिले तो उन्हें अपनी आत्मा से प्रकाश लेना चाहिये। क्योकि हमेशा सत्संग ,सकीर्तन और महापुरुषों के सानिध्य से ही प्रकाश मिलता है उसी प्रकाश में नारायण के दर्शन होते हैं। इसलिए सत्संग भजन और कीर्तन में लगे रहो कोई न कोई संत महापुरुष आयेगा और जीवन में आपके रोशनी दे जाएगा ।

साधना करे लेकिन नियम के साथ होनी चाहिए जिस तरह से जल की पतली धार पत्थर को तोड़ देती है उसी तरह से नियम के साथ की गई साधना अहंकार के पत्थर को तोड़ कर श्रीबांके बिहारी  लाल जी की दर्शन कराती है । यह उदगार

श्री श्रीकांत शर्मा जी ने  द्वितीय दिवस की कथा प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जिंदगी में नित्य प्रकाश लाओ यही रास्ता गोविंद का दर्शन कराता है। आंखों में आंसू आते ही भगवान उसे पूछने के लिए दौड़ते हुए आएंगे बस इसी बात का ध्यान रखो कि वे आंसू स्वार्थ के आंसू नहीं होने चाहिए । अगर रोना हो तो सिर्फ ठाकुर जी को प्राप्त करने के लिए रोओ ।शिवाजी ने समर्थ गुरु रामदास के चरणों की धूलि भी संत महापुरुषों की चरण धूलि लेने के साथ ही अध्यात्मिक की यात्रा शुरू हो जाती है। प्रभु से मांगना हो तो फिर सांसारिक चीजें क्या मांगना उनसे इति, रति ,मति एवं गति की मांग कर सर्वस्य प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करें।

सत्संग की महिमा का विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा कि सत्संग से प्रभु की प्राप्ति होती है । पूर्व जन्म में क्या थे सत्संग और प्रभु के संपर्क से यह सब समाप्त हो जाता है ,जैसे मत्स्यगंधा से कमल गंधा बन गई सत्यवती ,ठीक उसी प्रकार सत्संग में शामिल होने से मनुष्य के अंदर से काम, क्रोध ,मद, लोभ आदि का लोप हो जाता है ।

 ब्यास जी ने कहा कि प्रभु को तीन रास्तों से प्राप्त किया जा सकता है। पहला तेज़ जो माता-पिता की सेवा करने से मिलता है । उन्होंने कहा कि गृहस्थ आश्रम में रहने वाले मनुष्य अगर भाऊ में जाकर प्रभु के लिए रोते हैं तो वह मनुष्य साधु बन जाता है ।

 पौराणिक कथा के अनुसार सत्संग के प्रभाव से ही नारद दासी के पुत्र से नारायण के पुत्र हो गये । भगवान ने उन्हें देवदत्त बिना भी प्रदान किया उसी नारद जी के प्रेरना से वेदव्यास जी ने 18000 श्लोक वाले श्रीमद् भागवत की रचना की। योग और ज्ञान से भी भक्ति  सर्वोच्च है । भक्ति का सर्वोच्च शिखर भी यही है की भक्त और भगवान में एक तत्वता हो जाए। जो आप हैं वही मैं हूं ।

इसके पूर्व मेन रोड हनुमान मंदिर के त्यागी जी ,श्री हनुमान मंडल, मारवाड़ी सहायक समिति, रांची गोशाला के ट्रस्टी ओम प्रकाश छापड़िया द्वारा गुरुजी को माला पहनाकर, अंग वस्त्र देकर उनका अभिनंदन और स्वागत किया गया।

गुरु जी ने व्यास पीठ से सभी लोगों को आयोजक की तरफ से अंग वस्त्र भेंट कर आशीर्वाद प्रदान किया।आज की कथा में स्वागत करने वालो राजेन्द्र केडिया, मनोज चौधरी, किशन पोद्दार,सजन पाड़िया ,प्रवीण मोदी, निर्मल बुधिया, हनुमान बेड़िया ,रामअवतार फोगला, नारायण अग्रवाल, बालकिशन अग्रवाल, प्रकाश धेलिया ने किया ।कथा श्रबन करने वालो में ओमप्रकाश केडिया ,निरंजन केडिया ,अजय केडिया, संजय केडिया,निर्मल बुधिया,प्रमोद सारस्वत,श्रेष्ठ केडिया ,शोभा केडिया कोमल केडिया, अनामिका केडिया सहित काफी संख्या में लोगो ने कथा श्रबन किया।

7:00 बजे दुत्तीय दिवस की कथा आरती के साथ विराम की गई। लोगों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया।

कल  की कथा दोपहर 3:00 बजे से 7:00 बजे तक होगी आप सभी लोग समय पर आकर श्रीमद् भागवत कथा के रस पान का आनंद अवश्य उठाएं ।

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