सीबीआई जांच, दोषी पुलिस पदाधिकारियों के निलंबन और परिजनों को सुरक्षा-मुआवजे की मांग
रांची । गोड्डा के आदिवासी नेता सूर्यनारायण हांसदा की कथित फर्जी मुठभेड़ में हुई मौत को लेकर झारखंड भर के विभिन्न आदिवासी संगठनों ने आज राजधानी रांची में राजभवन आक्रोश मार्च निकाला। यह प्रदर्शन सुबह जिला स्कूल मैदान से जुलूस की शक्ल में शुरू होकर राजभवन के समक्ष पहुंचा, जहां प्रदर्शनकारियों ने जोरदार नारेबाजी की और राष्ट्रपति तथा राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा।
पृष्ठभूमि : संदिग्ध परिस्थितियों में मौत
ज्ञात हो कि 10 अगस्त 2025 को गोड्डा पुलिस ने एक मुठभेड़ का दावा करते हुए बताया था कि कथित आपराधिक गतिविधियों में शामिल आदिवासी नेता सूर्यनारायण हांसदा मारे गए। हालांकि स्थानीय लोगों, उनके समर्थकों और परिवारजनों का आरोप है कि यह पूरी तरह से फर्जी एनकाउंटर है। उनका कहना है कि हांसदा न सिर्फ समाजसेवी और आदिवासी हक-अधिकारों की आवाज थे बल्कि भ्रष्टाचार, माफियागिरी और रोहिंग्या मुसलमानों के शोषण के खिलाफ लगातार संघर्षरत थे।
नेताओं का आरोप : षड्यंत्र के तहत हत्या
आक्रोश मार्च का नेतृत्व मुख्य पहान श्री जगलाल पहान ने किया। उन्होंने कहा –
“सूर्यनारायण हांसदा हमेशा आदिवासी समाज की आवाज उठाते थे। वे शोषण, अन्याय और माफिया-प्रशासनिक गठजोड़ के खिलाफ खड़े रहते थे। उनकी लोकप्रियता और संघर्ष से घबराकर प्रभावशाली ताकतों ने षड्यंत्रपूर्वक उन्हें मौत के घाट उतार दिया और एनकाउंटर का रूप दे दिया।”
ट्राई फर्स्ट संगठन की संयोजक आरती कूजूर ने इसे मानवाधिकार और लोकतांत्रिक मूल्यों पर गहरा आघात बताते हुए कहा –
“यह सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या नहीं है, बल्कि आदिवासी अस्मिता, संस्कृति और अधिकारों पर कुठाराघात है। झारखंडी समाज इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।”
केन्द्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा –
“यह घटना केवल हांसदा परिवार की त्रासदी नहीं बल्कि पूरे आदिवासी समाज की लड़ाई है। यदि निर्दोष की हत्या को प्रशासनिक संरक्षण दिया गया तो लोकतंत्र और न्यायपालिका पर से विश्वास उठ जाएगा। हम इसकी सीबीआई जांच की मांग करते हैं।”
मांगों की लंबी सूची
जुलूस में शामिल प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां लेकर और नारे लगाते हुए सरकार से कई प्रमुख मांगें रखीं—
- सूर्यनारायण हांसदा के फर्जी एनकाउंटर की सीबीआई जांच हो।
- हत्या में संलिप्त पुलिस पदाधिकारियों को तत्काल निलंबित कर कठोर कार्रवाई की जाए।
- मृतक के परिजनों को सुरक्षा प्रदान की जाए।
- हांसदा पर लगाए गए फर्जी मुकदमों को निरस्त किया जाए।
- सरकार सूर्य हांसदा द्वारा संचालित विद्यालय के बच्चों की शिक्षा व देखरेख की जिम्मेदारी ले।
- मृतक परिवार को पर्याप्त मुआवजा और पुनर्वास पैकेज दिया जाए।
व्यापक समर्थन
इस विरोध प्रदर्शन में झारखंड भर से आए आदिवासी संगठनों और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। मुख्य रूप से उपस्थित रहे—
पूर्व विधायक रामकुमार पहान, केन्द्रीय सरना समिति अध्यक्ष बबलू मुंडा, मुख्य पहान जगलाल पहान, महादेव टोप्पो, सुरेन्द्र लिंडा, आरती कूजूर, रितेश उरांव, संदीप उरांव, सोमा उरांव, रवि मुंडा, रितेश रंजीत उरांव, बिरसा पहान, अरूण पहान, उदय मुंडा, प्रेम लिंडा, चिकू लिंडा, आशीष मुंडा, मुकेश मुंडा, विशाल मुंडा, संतोष मुंडा, अनीता गाड़ी सहित सैकड़ों कार्यकर्ता।
राजभवन पहुंचने पर पूरे परिसर में “सूर्यनारायण हांसदा को न्याय दो, फर्जी एनकाउंटर बंद करो, दोषी पुलिस पर कार्रवाई करो” जैसे नारों से वातावरण गूंज उठा।
आदिवासी समाज का संदेश
आदिवासी संगठनों ने साफ कहा कि यह आंदोलन अभी थमेगा नहीं। जब तक हांसदा परिवार को न्याय और दोषियों को सजा नहीं मिलती, तब तक यह संघर्ष राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक जारी रहेगा।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें