घरेलू बिजली दरों में बढ़ोतरी के खिलाफ सीपीआई का मोर्चा

जनता पर आर्थिक बोझ लादने का आरोप, सरकार को दी आंदोलन की चेतावनी


रांची, 30 अप्रैल 2025।
झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेवीवीएनएल) द्वारा खुदरा बिजली टैरिफ में की गई वृद्धि पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने इस बढ़ोतरी को अन्यायपूर्ण, अमानवीय और जनविरोधी करार देते हुए कहा है कि घरेलू उपभोक्ताओं पर व्यापारिक उपभोक्ताओं से ज्यादा भार डालना किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।

सीपीआई नेताओं ने मंगलवार को प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि बिजली जैसी आवश्यक सेवा को महंगा कर सरकार आम जनता को आर्थिक संकट में धकेल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और बिजली निगम मुनाफाखोरी की नीति अपनाकर पूंजीपतियों और बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाना चाहते हैं, जबकि आम आदमी महंगाई की मार से त्रस्त है।

सीपीआई की प्रमुख आपत्तियां:

  • घरेलू टैरिफ कमर्शियल टैरिफ से अधिक क्यों?
  • महंगाई और बेरोजगारी के बीच बिजली दर बढ़ाना गरीबों पर दोहरा हमला है।
  • दर वृद्धि से ग्रामीण जनता और छोटे व्यापारी सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
  • जनता को बिना सलाह लिए टैरिफ बढ़ाना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उल्लंघन है।

सीपीआई की मांगें:

  • घरेलू बिजली दरों में तत्काल कमी की जाए।
  • टैरिफ निर्धारण में पारदर्शिता लाई जाए।
  • आम जनता के सुझावों को शामिल करते हुए नई दरें तय की जाएं।
  • झारखंड सरकार हस्तक्षेप कर जनहित में निर्णय ले।

पार्टी ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने इस मुद्दे पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया, तो चरणबद्ध आंदोलन की शुरुआत की जाएगी। इसमें प्रमुख बाजारों में धरना-प्रदर्शन, बिजली दफ्तरों का घेराव, और झारखंड विधानसभा के घेराव जैसे कार्यक्रम शामिल होंगे।

सीपीआई के वरिष्ठ नेता ने कहा, "बिजली दरों में वृद्धि गरीबों के घर का चूल्हा बुझाने जैसा कदम है। सरकार को याद रखना चाहिए कि अगर जनता सड़कों पर उतर आई तो उसे इस जनविरोधी फैसले की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।"

राज्यव्यापी आंदोलन की रूपरेखा तैयार

सीपीआई ने घोषणा की कि आगामी सप्ताह से जिले-जिले में जनता से संवाद कर 'बिजली बचाओ, अधिकार बचाओ' अभियान चलाया जाएगा। अभियान के तहत नुक्कड़ सभाएं, रैलियां और पर्चा वितरण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

सरकार का पक्ष

जेवीवीएनएल अधिकारियों के अनुसार, टैरिफ में वृद्धि लागत बढ़ने और उत्पादन-आपूर्ति खर्च में इजाफा होने के कारण की गई है। उन्होंने दावा किया कि नई दरों को झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग (जेएसईआरसी) से अनुमोदन मिलने के बाद लागू किया गया है। हालांकि सीपीआई ने इन तर्कों को सिरे से खारिज कर दिया है और आंकड़ों की स्वतंत्र जांच की मांग की है।

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