लोहरदगा।सात पड़हा जिन्गी के अन्तर्गत, जिन्गी में सात पड़हा बेल सारू उराँव की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।
जिसमें मुख्य रूप से जिला राजी पड़हा समिति लोहरदगा के बेल लक्ष्मीनारायण भगत ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज सभी प्रकार के राजनीतिक दल के नेता केवल आदिवासियों को केंद्र बिंदु मान कर राजनीति करने का प्रयास किया है।और आज आदिवासियों को विभिन्न हिस्सों में बांट के रख दिया है।चाहे वो सरना प्रार्थना हो,चाहे सरना समिति हो,चाहे पड़हा परिषद हो या और भी कोई अन्य हो।समाज के नाम पर केवल राजनीति किए है और कुछ नही।
जिला राजी पड़हा के कोटवार गोसाईं भगत ने अपने वक्तव्य में कहा कि सबसे पहले आदिवासी समाज को सही दिशा दिखाने के लिए पड़हा व्यवस्था का निर्माण किया गया।जिससे समाज का सारी सुव्यवस्था सुव्यवस्थित रहें।
सत्ता पड़हा एडादोन के बेल ने कहा कि आज नही मैं बिल्कुल छोटे थे उसी समय से बेल का दायित्व का निर्वहन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और निर्वहन करता रहा हूँ।किन्तु आदिवासी समाज को छोटे-छोटे खण्डों में बांटने का प्रयास हमेशा से किया जाता रहा है।
सात पड़हा एडादोन के देवान बजरंग उराँव ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज चारो ओर से आदिवासियों को मिटाने का षडयंत्र की रचना किया जा रहा है।खास करके लव जिहाद,धर्मांतरण करके।इसलिए आज आदिवासियों को एक जुट होकर पड़हा व्यवस्था को हर हाल में मजबूत करने की आवश्यकता है। आज पड़हा व्यवस्था को समाप्त करने की कूटनीति किया जा रहा जिसमें हमारे समाज के व्यक्तियों का महत्वपूर्ण भूमिका रहा है।
बैठक में मुख्य रूप से,जिला राजी पड़हा के बेल- लक्ष्मीनारायण भगत,जिला राजी पड़हा के कोटवा-गोसाईं भगत,सात पड़हा एडादोन के बेल-देवा उराँव, सात पड़हा एडादोन के देवान बजरंग उराँव, सारू उराँव, चंदेश्वर उराँव, चमरू उराँव, मंगरा उराँव, होसने उराँव, भाजू उराँव, किरना उराँव, सोमा टाना भगत,दलेया उराँव, बंधना उराँव, भूखा उराँव, धानो उराँव, धरमा उराँव, बिरसा उराँव, सुकरा टाना भगत,बन्धु टाना भगत,रमेश उराँव एवं सतो गांव के पहान, पुजार तथा महतो लोग भी उपस्थित थे।
जिसमें मुख्य रूप से जिला राजी पड़हा समिति लोहरदगा के बेल लक्ष्मीनारायण भगत ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज सभी प्रकार के राजनीतिक दल के नेता केवल आदिवासियों को केंद्र बिंदु मान कर राजनीति करने का प्रयास किया है।और आज आदिवासियों को विभिन्न हिस्सों में बांट के रख दिया है।चाहे वो सरना प्रार्थना हो,चाहे सरना समिति हो,चाहे पड़हा परिषद हो या और भी कोई अन्य हो।समाज के नाम पर केवल राजनीति किए है और कुछ नही।
जिला राजी पड़हा के कोटवार गोसाईं भगत ने अपने वक्तव्य में कहा कि सबसे पहले आदिवासी समाज को सही दिशा दिखाने के लिए पड़हा व्यवस्था का निर्माण किया गया।जिससे समाज का सारी सुव्यवस्था सुव्यवस्थित रहें।
सत्ता पड़हा एडादोन के बेल ने कहा कि आज नही मैं बिल्कुल छोटे थे उसी समय से बेल का दायित्व का निर्वहन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और निर्वहन करता रहा हूँ।किन्तु आदिवासी समाज को छोटे-छोटे खण्डों में बांटने का प्रयास हमेशा से किया जाता रहा है।
सात पड़हा एडादोन के देवान बजरंग उराँव ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज चारो ओर से आदिवासियों को मिटाने का षडयंत्र की रचना किया जा रहा है।खास करके लव जिहाद,धर्मांतरण करके।इसलिए आज आदिवासियों को एक जुट होकर पड़हा व्यवस्था को हर हाल में मजबूत करने की आवश्यकता है। आज पड़हा व्यवस्था को समाप्त करने की कूटनीति किया जा रहा जिसमें हमारे समाज के व्यक्तियों का महत्वपूर्ण भूमिका रहा है।
बैठक में मुख्य रूप से,जिला राजी पड़हा के बेल- लक्ष्मीनारायण भगत,जिला राजी पड़हा के कोटवा-गोसाईं भगत,सात पड़हा एडादोन के बेल-देवा उराँव, सात पड़हा एडादोन के देवान बजरंग उराँव, सारू उराँव, चंदेश्वर उराँव, चमरू उराँव, मंगरा उराँव, होसने उराँव, भाजू उराँव, किरना उराँव, सोमा टाना भगत,दलेया उराँव, बंधना उराँव, भूखा उराँव, धानो उराँव, धरमा उराँव, बिरसा उराँव, सुकरा टाना भगत,बन्धु टाना भगत,रमेश उराँव एवं सतो गांव के पहान, पुजार तथा महतो लोग भी उपस्थित थे।
समाज की रक्षा के लिए एकता जरूरी--लक्ष्मीनारायण
Reviewed by PSA Live News
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9:42:00 pm
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