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हाथी और मानव के बीच टकराव का मामला उठा अब संसद में

 _*नियम 377 के तहत सेठ ने लोकसभा में उठाया हाथी और मानव के बीच टकराव का मामला*_


*_इस संघर्ष को रोकने के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाने का आग्रह।_*


*_हाथियों के आतंक से 2000 प्रभाव परिवार प्रभावित 8 हजार एकड़ से अधिक की फसल हो रही बर्बाद।_*


_*इस संघर्ष में कई बार हो रही हाथियों की मौत।*_



रांची। सांसद श्री संजय सेठ ने आज लोकसभा में नियम 377 के तहत रांची लोकसभा क्षेत्र में हाथी और मानव के संघर्ष का मामला उठाया। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस संघर्ष और टकराव को रोकने के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाई जाए। क्योंकि इस मामले में राज्य सरकार की करवाई बिल्कुल शिथिल है।

श्री सेठ ने लोकसभा में कहा कि मेरा लोकसभा क्षेत्र हाथी और मानव के संघर्ष से बुरी तरह जूझ रहा है। समय के साथ समस्या गंभीर होती जा रही है। ईचागढ़ और सिल्ली विधानसभा क्षेत्र हाथियों के आतंक से बुरी तरह प्रभावित हैं। 2000 से अधिक परिवार हाथियों के आतंक से पीड़ित हैं और 8000 एकड़ से अधिक की खेतों पर लगी फसलों को हाथियों ने बर्बाद किया है। ऐसा नहीं है कि संघर्ष में फसल और इंसानों को नुकसान हो रहा है। कई बार हाथियों की भी जान जा रही है। अक्सर हाथी ट्रेन दुर्घटना का शिकार होते हैं। उनकी मौत हो जा रही है। दुर्भाग्य है कि राज्य सरकार का इस पर तनिक भी ध्यान नहीं है। श्री सेठ ने कहा कि राज्य सरकार को पत्र लिखकर, सारी परिस्थितियों से अवगत कराने के बाद भी नतीजा शून्य है। राज्य सरकार इसका स्थाई समाधान खोजने के मूड में बिल्कुल भी नहीं दिखती। मुआवजे के नाम पर छोटी-मोटी रकम बांट दी जाती है, जो नुकसान की भरपाई के लिए बहुत कम है। 

सांसद ने सदन में यह मांग की कि इस मामले में राष्ट्रीय नीति बनाई जाए और स्थाई समाधान ढूंढा जाए। ताकि हाथियों और मानव के बीच चल रहा संघर्ष रुक सके। हाथी अपना जीवन जी सकें। फसलों का नुकसान ना हो और ग्रामीण भी जीवन बसर कर सकें।

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