साइनस आज एक आम समस्या हो गई है. इसका सबसे बड़ा नुकसान है कि इसके होने से सिर बहुत दर्द करता है. साथ ही नजर भी कमजोर होने लगती है और बाल भी जल्दी सफेद हो जाते हैं.
लेकिन क्या आप जानते हैं आप साइनस का घर में भी इलाज कर सकते हैं? पानी को उबाल कर उसे ठंडा करें और उसमें आधा चम्मच नमक डालकर मिला लें. इस पानी से जल नेती करें. नेती के लोटे बाजार में उपलब्ध होते हैं.
इस लोटे में ये पानी डालकर नेती करें. सुबह उठकर दिन में कम से कम एक बार इसे करें. इससे आपकी साइनस की समस्या धीरे-धीरे खत्म हो सकती है. इसके अलावा आयुर्वेद में एक और उपचार है जिसे नस्यम कहा जाता है. नस्यम में पहले चेहरे की आधे घंटे मसाज की जाती है और उसके बाद भाप दी जाती है.
भाप देने के बाद जल नेती की जाती है. इससे साइनस से काफी आराम मिलता है. नस्यम का एक और तरीका है. चेहरे की मसाज और भाप लेने के बाद नाक में बादाम के तेल की कुछ बूंदे डाली जाती है. इससे भी साइनस में आराम मिलता है. साइनस होने पर रात में ठंडा खान ना खाएं. कोल्ड ड्रिंक ना पीएं. रात में खट्टा और चावल भी नहीं खाने चाहिए. अचार, दही, मैदे से बनी चीजें और तला हुआ तो बिल्कुल ना खाएं. इन सबसे साइनस बढ़ जाता है.
साइनस के मरीजों के लिए रोजाना भाप लेना बहुत फायदेमंद है.
यदि आप भाप लेने से पहले पानी में थोड़ा सा यूकेल्प्टिस या पिपरमिंट का तेल मिला लें. इससे साइनस में आराम मिलेगा. ये तेल ना सिर्फ एंटीबैक्टीरियल हैं बल्कि इनसे फंगल इंफेक्शन भी दूर होता है. अब आपको साइनस से परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि साइनस का उपचार आपके घर में ही मौजूद है.
साइनस (SINUS)
परिचय
साइनस का अर्थ है खोल (छेद)। सिर में भौंहों के ऊपर की हड्डी में एक खोखला स्थान है जिसे ´सम्मूखस्थ´ अस्थि-गव्हर कहते हैं। गालों पर दोनों ओर उभरी हुई नोकदर दो हड्डियां हैं जो भीतर के खोलों द्वारा सिर की हड्डी के खोलों से मिलती है। जुकाम बिगड़ जाने पर इन खोलों में रेशा जम जाता है जिससे सिर के दाएं या बाएं हिस्से या गाल की उभरी हुई हड्डी में दर्द होता है।
इसी को साइनस का दर्द कहते हैं जो बिगड़े हुए जुकाम का ही एक रूप है। इस रोग में जुकाम और सिरदर्द मिले-जुले रहते हैं। यह नाक के अन्दर की झिल्ली में सूजन आने के कारण होता है। साइनस का खोल चेहरे की हड्डियां, आंखों व नाक के आस-पास छाया रहता है। यह एक प्रकार का सामान्य रोग है।
कारण
वायरस बैक्टीरिया या फंगस संक्रमण के कारण यह रोग होता है। सांसनली के ऊपरी भाग में इस रोग का आक्रमण होता है। नाक में फोड़ा होना तथा एलर्जी इस रोग का मुख्य कारण है। जानवरों की गोबर, धुंआ व प्रदूषण भी इस रोग का कारण है। मौसम परिवर्तन, दूषित पानी से नहाने, सांसनली के ऊपर के भाग में संक्रमण के दौराना वायुयान से यात्रा करने एवं टांसिल प्रदाह आदि इस रोग का कारण है।
लक्षण
नाक बंद हो जाना, नाक के पिछले भाग से स्राव होना, आंखों के पीछे दबाव महसूस होना, चेहरा भारी लगना, सिर दर्द होना और हल्का बुखार रहना एवं गले में दर्द होना आदि लक्षण इस रोग में दिखाई पड़ते हैं।
औषधियों से उपचार करने के साथ अन्य उपचार
साइनस रोग से पीड़ित रोगी नाक से भाप लें तथा इसके बाद नाक को खोलने के लिए गर्म पानी का सेंक लें और गर्म पानी से गरारे करें तथा तरल पेय पदार्थों का अधिक सेवन करें।
मधुमेह व्यक्ति को साइनस प्रदाह जल्दी होता है अत: मधुमेह को उचित उपचार द्वारा नियंत्रित रखें।
सर्दी-जुकाम से पीड़ित रोगी के आस-पास रहने से भी यह रोग होता है।
रोगी को छींकते समय हमेशा नाक पर रूमाल रखकर छींकना चाहिए।
खाते-पीते समय अपने हाथों को ठीक प्रकार से धोएं।
जख्म पर बंधी पट्टी को हल्के गर्म पानी से भिंगोकर हटा लें और फिर जख्म को सूखे कपड़े से साफ करें।
इसके बाद कैलेण्डुला के मदरटिंचर की 6 बूंदें 20 ग्राम पानी में मिलाकर उसमें एक साफ कपड़े भिंगोकर जख्म पर पट्टी बांध दें।
जख्म को हाइड्रैस्टिस औषधि के मदरटिंचर से धोना लाभकारी होता है।
रोग को दूर करने एवं शरीर में शक्ति बढ़ाने वाले पदार्थों का सेवन करें।
रोगी को विटामिन- ´सी´ व ´ए´ का सेवन करना चाहिए।
फल व हरी सब्जियों का सेवन करें।
हानिकारक एवं कृत्रिम रंग मिला हुआ पदार्थों का सेवन न करें।
धूम्रपान न करें एवं दूषित वातावरण में न रहें।
गंदे पानी से स्नान न करें क्योंकि इसे यह रोग होने की अधिक संभावना रहती है।
रोगग्रस्त रोगी को हवाई यात्रा नहीं करना चाहिए।
नियमित व्यायाम करें क्योंकि इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है जिससे सर्दी व अन्य संक्रमण से बचाव होता है।
जख्मों से पीड़ित रोगी को सूजी की रोटी, दूध का हलवा, दाल, शोरब आदि का सेवन करना चाहिए।
मांस, मछली, खटाई, मीठे पदार्थों आदि का सेवन करना हानिकारक होता है।
आवश्यक बातें
साइनस रोग का उपचार करते समय पहले यह निश्चित कर ले कि रोग साइनस ही है क्योंकि कभी-कभी दमा, छाती के ऊपरी भाग का संक्रमण, दांतों के रोग में भी साइनस रोग की तरह लक्षण उत्पन्न होते है
नोट
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शिवाय आयुर्वेदिक सेंटर
आयुर्वेदिक डॉ रोहित गुप्ता
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