90 की उम्र में दूल्हा बने मौलाना सैफुल्लाह, 55 साल की दुल्हन से रचाई शादी – पोते-पड़पोते भी बने गवाह
शांगला (पाकिस्तान) । कहते हैं कि मोहब्बत और हमसफर की जरूरत उम्र देखकर नहीं आती। इस बात को एक बार फिर साबित किया है खैबर पख्तूनख्वाह के शांगला जिले के रहने वाले 90 वर्षीय मौलाना सैफुल्लाह ने, जिन्होंने अपने जीवन की दूसरी पारी शुरू करते हुए 55 वर्षीय महिला से निकाह किया।
9 साल से थे अकेले, बेटों ने बढ़ाया हाथ
मौलाना सैफुल्लाह की पहली पत्नी का निधन करीब 9 वर्ष पहले हो गया था, जिसके बाद वे अकेलेपन से जूझ रहे थे। अपने मन की बात उन्होंने बेटों से साझा की और इच्छा जताई कि वे फिर से शादी करना चाहते हैं। चारों बेटे, जो सऊदी अरब में काम करते हैं, पिता की ख्वाहिश को ठुकरा नहीं सके और उन्हें एक जीवनसाथी दिलाने की जिम्मेदारी उठाई।
शादी में जुटे चार पीढ़ी के सदस्य
कुछ समय बाद बेटों ने एक 55 वर्षीय महिला से रिश्ता तय किया जो मौलाना से निकाह के लिए तैयार हो गई। पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ हुए इस निकाह में ‘हक मेहर’ के तौर पर 1 तोला सोना दिया गया। इस विवाह समारोह की सबसे खास बात यह रही कि मौलाना की शादी में उनके 30 से अधिक पोते, परपोते, नाती और नातिनें शामिल हुए। शादी की तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं।
समाज को दिया भावनात्मक संदेश
मौलाना के बेटों का कहना है कि मां के निधन के बाद पिता बेहद अकेले हो गए थे, और उनका स्वभाव भी बदलने लगा था। ऐसे में परिवार ने मिलकर फैसला किया कि उन्हें फिर से जीवनसाथी मिलना चाहिए। बेटों का यह कदम आज पाकिस्तान में बुजुर्गों की देखभाल और पारिवारिक जिम्मेदारी को लेकर एक मिसाल बन गया है।
वृद्धावस्था में भी साथी की जरूरत होती है
यह घटना ना केवल एक अनोखी शादी के रूप में देखी जा रही है, बल्कि यह समाज को यह भी याद दिला रही है कि उम्र चाहे जो हो, companionship यानी साथ और समझदारी की जरूरत कभी खत्म नहीं होती। बुजुर्गों की भावनाएं भी वैसी ही होती हैं, जैसे किसी युवा की — और उन्हें अकेलेपन से निकालना परिवार की जिम्मेदारी बनती है।
इस खबर ने पाकिस्तान ही नहीं, पूरे दक्षिण एशिया में बुजुर्गों के जीवन, समाज की सोच और परिवार की भूमिका पर एक नई बहस छेड़ दी है — जहां एक 90 साल के बुजुर्ग की मुस्कुराहट, पूरे परिवार की समझदारी का नतीजा बनी।

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