भाई कमलदीप सिंह चंबा वालों के कीर्तन ने संगत को किया भावविभोर
रांची। गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा की ओर से श्री गुरु अंगद देव जी महाराज के पावन प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित दो दिवसीय गुरमत समागम का समापन रविवार, 4 मई को श्रद्धा और भक्ति के साथ हुआ। समागम के दूसरे व अंतिम दिन का आरंभ सुबह 11 बजे स्त्री सत्संग सभा की शीतल मुंजाल द्वारा "सा धरती भई हरीआवली जिथै मेरा सतिगुरु बैठा आइ" शबद गायन से हुआ।
इसके पश्चात हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह जी ने "सिमर सिमर सदा सुख पाओ" और "तेग बहादुर सिमरिये..." जैसे गुरुबाणी के पावन शबदों से संगत को आत्मिक शांति प्रदान की।
गुरुद्वारा के हेड ग्रंथी ज्ञानी जिवेंदर सिंह जी ने श्री गुरु अंगद देव जी की जीवन गाथा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि उनका जन्म सन् 1504 में मत्ती दी सराय (जिला फिरोजपुर, पंजाब) में बाबा फेरू मल एवं माता दया कौर के घर हुआ था। लहणा नाम से प्रसिद्ध गुरु जी एक व्यापारी थे, जो एक दिन माता ज्वाला जी के दर्शन हेतु यात्रा पर निकले और मार्ग में भाई जोध से आसा दी वार की वाणी सुनकर प्रभावित हुए। गुरुवाणी से मिली आत्मिक शांति उन्हें श्री गुरु नानक देव जी के चरणों में ले आई, जहां उन्होंने सेवा और समर्पण से गुरु का आशीर्वाद प्राप्त किया। यही लहणा आगे चलकर सिख पंथ के दूसरे गुरु श्री गुरु अंगद देव जी बने।
समागम में विशेष रूप से पधारे प्रसिद्ध रागी भाई कमलदीप सिंह चंबा (हिमाचल प्रदेश) वालों ने दोपहर 1 बजे से 2:30 बजे तक "संतां के कारज आप खलोएआ...", "आपे साजे आपे रंगे..." और "धन धन रामदास गुरु..." जैसे अनेक भावपूर्ण शबदों के गायन से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। संगत ने भावविभोर होकर वाहेगुरु का जाप किया।
समागम का समापन दोपहर 3 बजे श्री आनंद साहिब जी के पाठ, ज्ञानी जिवेंदर सिंह जी की अरदास, हुकुमनामा और कढ़ाह प्रशाद वितरण के साथ हुआ। इस अवसर पर दोपहर एक बजे से अटूट गुरु का लंगर भी चलाया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पंगत में बैठकर प्रसाद ग्रहण किया।
गुरुद्वारा समिति के अध्यक्ष द्वारका दास मुंजाल ने भाई कमलदीप सिंह और उनके साथियों को गुरु घर का सिरोपा भेंट कर सम्मानित किया। सचिव अर्जुन देव मिढ़ा ने समागम की सफलता में योगदान देने वाले सभी सेवादारों का आभार जताते हुए संगत से गुरु घर से जुड़े रहने की अपील की। कार्यक्रम का संचालन मनीष मिढ़ा ने किया और यूट्यूब चैनल "मेरे साहब" पर इसका सीधा प्रसारण पवनजीत सिंह खत्री द्वारा किया गया।
सेवा और सहयोग में अग्रणी रहे:
लंगर सेवा: स्त्री सत्संग सभा, अशोक गेरा, सुरेश मिढ़ा, मोहन काठपाल, अनूप गिरधर, बिनोद सुखीजा, राजकुमार सुखीजा, हरीश मिढ़ा, नानक चंद अरोड़ा, महेन्द्र अरोड़ा
जोड़े सेवा: बसंत काठपाल, प्रेम मिढ़ा, लक्ष्मण अरोड़ा, पुरुषोत्तम सरदाना, तुषार मिढ़ा, गीता मिढ़ा
प्रचार सेवा: नरेश पपनेजा
सोशल मीडिया सेवा: जय गाबा, पीयूष थरेजा, साहिल सरदाना
विशेष उपस्थितियाँ:
द्वारका दास मुंजाल, सुंदर दास मिढ़ा, केशव दास मक्कड़, हरगोविंद सिंह, भगवान सिंह बेदी, संतोष बेदी, लेखराज अरोड़ा, भगत सिंह मिढ़ा, वेद प्रकाश मिढ़ा, अमरजीत गिरधर, मनीष मिढ़ा, चरणजीत मुंजाल, जीवन मिढ़ा, लक्ष्मण दास मिढ़ा, मनोहर लाल मिढ़ा, इंदर मिढ़ा, रमेश पपनेजा, पवनजीत सिंह, हरजीत बेदी, सुभाष मिढ़ा, नवीन मिढ़ा, कमल मुंजाल सहित कई श्रद्धालु शामिल हुए। महिला संगत से बबली दुआ, गीता मिढ़ा, खुशबू मिढ़ा, शीतल मुंजाल, ममता थरेजा, मीना गिरधर, सुषमा गिरधर आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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