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पाकिस्तान की ‘सांसें बंद’ चेतावनी आतंक की आखिरी छटपटाहट या परमाणु जिहाद की तैयारी?

✍️ लेखक: अशोक कुमार झा

प्रधान संपादक, रांची दस्तक / PSA Live News

हिंदुस्तान के सब्र का बांध अब जवाब देने की दहलीज़ पर है। सिंधु जल संधि के कुछ प्रावधानों को निलंबित करने के निर्णय के बाद पाकिस्तान से जिस प्रकार की भाषा सुनाई दी है, वह एक परमाणु संपन्न देश की नहीं, बल्कि एक आतंकी गिरोह की प्रतीत होती है। पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने सार्वजनिक मंच से कहा – "अगर आप हमारा पानी रोकेंगे, तो हम आपकी सांसें बंद कर देंगे।" यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि आतंकवाद को वैधानिक संरक्षण देने वाले राष्ट्र की मानसिकता का खुला प्रदर्शन है।

पाकिस्तान की "सांसें बंद" धमकी: एक आतंकवादी सोच का विस्तार

जिस तरह से पाकिस्तानी सेना अब लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद की भाषा बोल रही है, वह इस बात का प्रमाण है कि आतंक और इस्लामी जिहाद अब पाकिस्तान की औपचारिक नीति बन चुके हैं। जनरल अहमद शरीफ का बयान कोई व्यक्तिगत राय नहीं है – यह इस्लामाबाद की सामूहिक सोच, रावलपिंडी की रणनीति और आतंकवादी संगठनों की धमकी का सम्मिलित ‘प्रेस रिलीज़’ है।


हाफिज सईद जैसे आतंकी वर्षों से कहते आ रहे हैं – “अगर तू पानी रोकेगा, तो खून की नदियाँ बहेंगी।” अब यही शब्द पाकिस्तान के सैन्य प्रवक्ता की ज़बान से निकल रहे हैं, यानी अब पाकिस्तानी सेना और आतंकी संगठन एक ही भाषा, एक ही मंच और एक ही मिशन पर हैं – हिंदुस्तान को अस्थिर करना।

सिंधु जल संधि: एकतरफा उदारता का अंत

1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच जो सिंधु जल संधि हुई थी, वह इतिहास की सबसे बड़ी जल कूटनीति में गिनी जाती है। हिंदुस्तान ने तीन प्रमुख नदियाँ – सिंधु, झेलम और चेनाब – पाकिस्तान को दीं। जबकि सतलुज, व्यास और रावी अपने पास रखीं।
60 वर्षों तक हिंदुस्तान ने इस संधि का पूरी निष्ठा से पालन किया, जबकि पाकिस्तान ने हर दशक में कारगिल, मुंबई, पुलवामा और अब पहलगाम जैसे हमले कर हमें लहूलुहान किया।

अब जब भारत ने 23 अप्रैल को आतंक के जवाब में सिंधु जल संधि के कुछ प्रावधानों को निलंबित करने का निर्णय लिया, तो पाकिस्तान को साँप सूंघ गया। उसे अपना वजूद खतरे में नजर आने लगा, क्योंकि वह जानता है – यदि हिंदुस्तान पानी रोक दे, तो पाकिस्तान की खेती नहीं, उसकी राजनीति और जिहादी तंत्र सूख जाएगा।

पहलगाम का हमला: कब तक सहता रहेगा हिंदुस्तान?

21 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में जिस बर्बरता से आतंकियों ने 26 निर्दोष यात्रियों की हत्या की, वह पाकिस्तान की रणनीतिक गंदगी का एक और नमूना है। यह हमला एक स्पष्ट संदेश था – कश्मीर को शांत और पर्यटन से समृद्ध नहीं होने देना।

भारत ने अब स्पष्ट किया है – आतंक के साथ पानी नहीं बहेगा।

पहलगाम हमले के एक दिन बाद सिंधु जल संधि के आंशिक निलंबन का निर्णय, और फिर पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर लक्षित जवाबी कार्रवाई यह दर्शाती है कि भारत अब "रणनीतिक जवाब" के रास्ते पर है, केवल कूटनीतिक विरोध नहीं।

क्या पाकिस्तान परमाणु जिहाद की तरफ बढ़ रहा है?

"सांसें बंद" जैसी भाषा किसी सामान्य देश की नहीं हो सकती। यह वही सोच है, जो 1999 में कारगिल के समय थी, यह वही मानसिकता है जो तालिबान को समर्थन देती है, और यह वही नीति है जो परमाणु हथियारों को "इस्लामिक बम" कहकर प्रचारित करती है।

यह अत्यंत गंभीर स्थिति है।
यदि एक देश की सेना खुलेआम जनता के सामने यह कह रही है कि 'हम आपकी सांसें बंद कर देंगे', तो यह पारंपरिक युद्ध की धमकी नहीं, यह पूर्ण रूप से जेनोसाइड की मानसिकता है – यानी ‘हिंदुस्तान को समाप्त कर देने की तैयारी’।

अंतरराष्ट्रीय मंचों की चुप्पी: मानवाधिकार या रणनीतिक पाखंड?

अमेरिका, यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र – सभी को पाकिस्तान की यह भाषा सुनाई दी है। लेकिन अफगानिस्तान पर हमले के लिए जिनके पास सैनिक भेजने की तत्परता थी, वे पाकिस्तान के सेना प्रमुख की आतंकी भाषा पर चुप हैं।

क्या अब आतंकवाद की परिभाषा केवल इस्लामी विश्व से बाहर के देशों पर लागू होती है?
क्या अब मानवाधिकार केवल गाज़ा या यमन तक सीमित हैं?

भारत को अब वैश्विक मंचों पर यह प्रश्न सीधा उठाना चाहिए –
“क्या एक देश जो आतंकवाद को राष्ट्रीय नीति बनाकर पड़ोसी देश की नागरिकों की हत्या की धमकी देता है, उसे विश्व समुदाय में स्थान मिलना चाहिए?”

अब हिंदुस्तान को क्या करना चाहिए?

  1. सिंधु जल संधि को पूरी तरह से रद्द करने पर विचार:
    भारत की नदियाँ हमारी संप्रभुता का हिस्सा हैं। यदि कोई देश हमारी नागरिकों को मारता है, तो उसे हमारी धरती से बहने वाला पानी नहीं मिलना चाहिए।

  2. पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता को वैश्विक आतंकी करार देने की पहल:
    जब सेना ही आतंकी भाषा बोले, तो वह ‘जनरल’ नहीं, ‘जिहादी’ होता है।

  3. UN और UNSC में प्रस्ताव:
    पाकिस्तान को आतंक के लिए "State Sponsor of Terrorism" घोषित करवाने के लिए भारत को अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ प्रस्ताव लाना चाहिए।

  4. आंतरिक जल प्रबंधन को प्राथमिकता:
    भारत को जल संरक्षण, सिंचाई योजनाएं, और आंतरिक नदी परियोजनाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि पाकिस्तान पर निर्भरता समाप्त हो।

पानी की लड़ाई अब Existential युद्ध में बदल रही है

यह सिर्फ नदी की धाराओं की लड़ाई नहीं है। यह विचारों की, सभ्यता की, और अस्तित्व की लड़ाई है। एक तरफ लोकतंत्र, शांति और विकास का भारत है – दूसरी तरफ आतंक, कट्टरता और मौत का पाकिस्तान।

अब जब पाकिस्तान की सेना कहती है – "तुम पानी रोकोगे, हम तुम्हारी सांसें बंद कर देंगे," तो इसका उत्तर यह होना चाहिए –
"अगर तुम हमारी सांसें रोकने की सोचोगे, तो हम तुम्हारी ज़हर उगलती जुबानों को हमेशा के लिए खामोश कर देंगे।"

यह लड़ाई केवल हिंदुस्तान की नहीं, पूरी सभ्य दुनिया की है। और हिंदुस्तान अब इसे सिर्फ शब्दों में नहीं, रणनीति, साहस और निर्णायकता से लड़ेगा।

अंत में एक बात साफ़ है: अब ‘पानी’ नहीं बहेगा, अब बहेगा सिर्फ इरादा – दुश्मन को जवाब देने का।

पाकिस्तान की ‘सांसें बंद’ चेतावनी आतंक की आखिरी छटपटाहट या परमाणु जिहाद की तैयारी? पाकिस्तान की ‘सांसें बंद’ चेतावनी आतंक की आखिरी छटपटाहट या परमाणु जिहाद की तैयारी? Reviewed by PSA Live News on 7:09:00 pm Rating: 5

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