त्रयोदशी से पूर्णिमा तक चला श्रीहरि की कृपा प्राप्ति का विशेष पूजन-व्रत, खीर भोग के साथ हुआ व्रत का उद्यापन
रांची । दिव्यदेशम् श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी) मंदिर में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा तिथियों पर तीन दिवसीय दिव्य अनुष्ठान का आयोजन श्रद्धा और भक्ति के साथ संपन्न हुआ। इन पुण्यप्रद तिथियों को पुष्यकरिणी कहा गया है, जो शास्त्रों में सभी पापों का क्षय करनेवाली और पुण्य फल देनेवाली मानी जाती हैं।
ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार, वैशाख मास की इन तिथियों में भगवान श्रीहरि ने देवताओं को सुधा पान कराया, दैत्यों का संहार किया और देवताओं को पुनः उनका साम्राज्य प्रदान किया। इसी कारण देवताओं ने इन तिथियों को वरदान स्वरूप मनुष्यों के कल्याण के लिए फलदायी घोषित किया।
तीनों ही दिनों में त्रयोदशी से पूर्णिमा तक मंदिर में विश्वरूप दर्शन, सुप्रभातम्, मंगलाशासन, तिरूवाराधन, प्रातः वन्दन और महाआरती का आयोजन किया गया। भगवान दंपति को पक्व मिष्ठान्नों सहित खीर का नैवेद्य अर्पित किया गया। साथ ही वेद, उपनिषद, देशिक स्तोत्रों की ऋचाओं एवं श्रीविष्णु सहस्त्रनाम, श्रीमद्भगवद्गीता, दिव्यप्रबंधों का निरंतर पाठ और सहस्त्रनाम अर्चना की गई।
अनुष्ठान का यजमान श्री कमलनयन द्विवेदी एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती आरती द्विवेदी (पुंदाग, रांची निवासी) रहे, जिन्होंने दिनभर के भोग व नैवेद्य का विशेष आयोजन किया।
अनुष्ठान के मुख्य अर्चक श्री सत्यनारायण गौतम एवं श्री गोपेश आचार्य ने राष्ट्र की समृद्धि, राज्य की सुरक्षा और जनकल्याण के लिए विशेष मंगल प्रार्थनाओं के साथ पूरे पूजन को संपन्न कराया।
उपस्थित श्रद्धालुजनों में प्रमुख रूप से शामिल रहे:
राम अवतार नरसरिया, अनूप अग्रवाल, प्रदीप नरसरिया, गौरीशंकर साबू, रंजन सिंह, सीता शर्मा, शंभूनाथ पोद्दार, यशोदा देवी, सुधा झा, रेखा प्रसाद, छाया दुबे, ओमप्रकाश गड़ोदिया, सुशील गड़ोदिया सहित अनेक भक्तगण।
इस शुभ अवसर पर समस्त श्रद्धालुओं ने वैशाख मास की महिमा को आत्मसात करते हुए भगवान श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर की कृपा प्राप्ति हेतु व्रत, ध्यान एवं स्तुति में भाग लिया। पूर्णिमा के दिन खीर भोग के साथ व्रत का विधिपूर्वक उद्यापन हुआ, जिससे वातावरण भक्तिमय हो उठा।

कोई टिप्पणी नहीं: