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'ऑपरेशन सिंदूर' – आतंक की नसों पर हिंदुस्तान का आर-पार का वार

अशोक कुमार झा, प्रधान संपादक, PSA Live News एवं रांची दस्तक

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए नरसंहार ने भारत की आत्मा को झकझोर दिया। 26 निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या केवल आतंक का हमला नहीं था, बल्कि यह हमारी राष्ट्रीय संप्रभुता, मानवता, और संविधानिक गौरव पर सीधा आघात था। और इस बार भारत चुप नहीं रहा।

मंगलवार की आधी रात, जब पूरा पाकिस्तान गहरी नींद में था, भारत की तीनों सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूरनामक एक ऐतिहासिक और निर्णायक सैन्य अभियान को अंजाम दिया। पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे खूंखार आतंकवादी संगठनों के 9 ठिकानों को ध्वस्त कर दिया गया। करीब 200 आतंकवादी ढेर कर दिए गए, और सबसे चौंकाने वाली जानकारी यह कि 2001 के संसद हमले का मास्टरमाइंड और जैश सरगना मसूद अजहर के मारे जाने की आशंका गहराती जा रही है।

 ऑपरेशन सिंदूर: क्यों पड़ा यह नाम?

'सिंदूर' भारतीय संस्कृति में त्याग, तपस्या और विजय का प्रतीक है। यह अभियान भी त्याग का सम्मान, राष्ट्र की रक्षा और आतंक पर विजय की परिभाषा बन गया। तीनों सेनाओं - थल सेना, नौसेना और वायुसेना - ने मिलकर जो ऑपरेशन अंजाम दिया, उसने न केवल पाकिस्तान की सैन्य नीति को हिला दिया, बल्कि वैश्विक स्तर पर हिंदुस्तान की सैन्य-संप्रभुता को पुनर्परिभाषित कर दिया।


जब रात को पाकिस्तान में सूरज उगा... और फिर अंधकार छा गया

रात के 2:00 बजे राफेल, मिराज-2000, सुखोई-30MKI और ड्रोन मिसाइलों ने पाकिस्तान की धरती पर वो कहर बरपाया कि आतंक की नसों में खून जम गया। पाकिस्तान के शहरों में सूर्योदय जैसी रोशनी और फिर ब्लैकआउटयह केवल दृश्य प्रभाव नहीं था, यह नई भारतीय सैन्य रणनीति की परिभाषा थी।

बहावलपुर, जहां मसूद अजहर वर्षों से पाकिस्तानी सेना की छत्रछाया में मस्जिद की आड़ में पल रहा था, वहां हुई मिसाइल स्ट्राइक ने उसकी कुख्यात शरणस्थली को राख कर दिया। रिपोर्ट्स कहती हैं कि अजहर वहीं था, और अब उसका अंत भारत के इतिहास में दर्ज होने वाला क्षण बन सकता है

 तीनों सेनाओं की एकजुटता: भारत का नया रक्षा मंत्र

ऑपरेशन सिंदूरकेवल एक हवाई हमला नहीं था, बल्कि यह थलसेना, नौसेना और वायुसेना का संगठित, सटीक और लक्ष्य केंद्रित संयुक्त प्रहार था। साथ ही पूरी दुनियाँ को यह दर्शाना था कि हिंदुस्तान अब रक्षात्मक मुद्रा छोड़कर प्रभावी और निर्णायक सैन्य प्रतिरोध की नीति अपना चुका है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की सीधी निगरानी में अंजाम दिया गया यह अभियान भारत की सैन्य योजनाओं में राजनीतिक इच्छाशक्ति और रणनीतिक परिपक्वता का एक अद्वितीय उदाहरण बनेगा

हिंदुस्तान की सैन्य तकनीकी श्रेष्ठता का प्रदर्शन

'ऑपरेशन सिंदूर' सिर्फ एक हमला नहीं था, यह भारतीय सेनाओं की तकनीकी और सामरिक श्रेष्ठता का प्रदर्शन भी था। आधुनिकतम GPS निर्देशित मिसाइलें, सैटेलाइट ट्रैकिंग, ड्रोन निगरानी, रडार जैमिंग, AI-निर्देशित लक्ष्य प्रणाली, और सबसे बढ़कर आंतरिक खुफिया नेटवर्क का पराक्रम - इन सबने मिलकर भारत को दुनिया की टॉप सैन्य शक्तियों की श्रेणी में और मजबूत किया।

 

मिशन का उद्देश्य: केवल बदला नहीं, संदेश देना था

ऑपरेशन सिंदूरका मूल उद्देश्य किसी भी तरह की सीमा पार आतंकी गतिविधियों को चेतावनी देना था। साथ ही हिंदुस्तान ने यह भी सुनिश्चित किया कि कोई पाकिस्तानी सैन्य ठिकाना या निर्दोष आमजन इसका लक्ष्य न बने, क्योंकि यह संदेश भी देना था कि हमारी लड़ाई सिर्फ आतंक से है, किसी निर्दोष पाकिस्तानी जनता से नहीं।

सटीक हथियार प्रणाली, रडार जैमिंग तकनीक, AI आधारित टारगेटिंग, और सीमाओं के भीतर रहकर बाहरी आतंक का खात्मा यह सब दर्शाता है कि आज का हिंदुस्तान अब न सिर्फ युद्ध लड़ रहा है, बल्कि रणनीति भी गढ़ रहा है

 मसूद अजहर की मौत: आतंक की रीढ़ टूटने का संकेत

इस हमले में यदि मसूद अजहर के मारे जाने की पुष्टि हो जाती है, तो यह हिंदुस्तान की आतंक विरोधी रणनीति की सबसे बड़ी जीत होगी। क्योंकि यह वही अजहर है जिसे पाकिस्तान ने पाल-पोस कर संसद हमला, पुलवामा हमला, और कई आत्मघाती हमलों के लिए इस्तेमाल किया।

उसकी मौत न सिर्फ जैश-ए-मोहम्मद को पंगु बना देगी, बल्कि पाकिस्तान में पल रहे अन्य आतंकी आकाओं को भी एक स्पष्ट चेतावनी देगी: आज का हिंदुस्तान अब इंतजार नहीं करता। अपने दुश्मनों पर सीधा वार करता है।

 अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का कड़ा रुख

जहां पाकिस्तान इस कार्रवाई को "कायरतापूर्ण हमला" बता रहा है और परमाणु बम की गीदड़भभकी दे रहा है, वहीं विश्व के प्रमुख लोकतांत्रिक देश अमेरिका, फ्रांस, जापान, इजरायल और ऑस्ट्रेलियाभारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन कर रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र में हिंदुस्तान के स्थायी मिशन ने स्पष्ट कर दिया है कि यह हमला आतंकवादी ढांचे को खत्म करने के लिए था, न कि युद्ध भड़काने के लिए। आज पूरी दुनिया देख रही है कि हिंदुस्तान अब न सिर्फ दूसरों के बनाए नियमों में बंधा खिलाड़ी है, बल्कि अब नियम बदलने वाला निर्णायक देश बन चुका है।

 अब समय है अगला कदम उठाने का: POK पर दृष्टि

रक्षा विशेषज्ञ प्रफुल्ल बख्शी का बयान ध्यान देने योग्य है – "अब खेल शुरू हो गया है, अंत तक जाना होगा। केवल जवाबी कार्रवाई से कुछ नहीं होगा, अब हमें पीओके को रणनीतिक लक्ष्य बनाना होगा।"

हमारी सरकार को चाहिए कि वह अब सिर्फ हम सामरिक कार्रवाई तक ही सीमित न रहे, बल्कि एक दीर्घकालीन योजना के तहत कैसे पीओके को कानूनी, सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर वापस हिंदुस्तान में जोड़ा जाए, उस दिशा में चलना शुरू कर दें

 जनता की भावना: अब कोई और सहिष्णुता नहीं

हिंदुस्तान की जनता अब कथनी से नहीं, करनी से संतुष्ट होती है। पहलगाम हमले के बाद जिस तरह जनआक्रोश उमड़ा, उसने स्पष्ट कर दिया कि हिंदुस्तान अब केवल कड़ी निंदा और जांच आयोग से संतोष नहीं करेगा। 'ऑपरेशन सिंदूर' ने जनता को यह विश्वास दिलाया कि सरकार और सेना दोनों आतंक को जड़ से उखाड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

पहलगाम हमले के बाद देश की जनता में जो आक्रोश फैला, वह हमारी एक नई चेतना का प्रतीक है। जनता अब चाहती है कि आतंक को समर्थन देने वाले देशों और उनके नेताओं को सीधे निशाने पर लिया जाएसाथ ही हमारे देश की जनता यह भी जानती है कि युद्ध केवल मैदान में नहीं, आर्थिक, कूटनीतिक, और मनोवैज्ञानिक मोर्चों पर भी लड़ा जाता है

 राष्ट्रीय नीति में परिवर्तन की घड़ी

ऑपरेशन सिंदूरसिर्फ एक क्षणिक सैन्य अभियान नहीं, बल्कि हिंदुस्तान की सुरक्षा नीति में स्थायी परिवर्तन का संकेतक है। अब हमें न सिर्फ सीमाओं की सुरक्षा करनी है, बल्कि आतंक के वैचारिक केंद्रों पर भी प्रहार करना है चाहे वह पाकिस्तान हो, या देश के भीतर बैठे आतंकी समर्थक विचारधारा के पोषक।

हिंदुस्तान अब इतिहास लिख रहा है, माफ नहीं कर रहा

ऑपरेशन सिंदूरके बाद हिंदुस्तान ने आज यह स्पष्ट कर दिया है कि अब हम 26/11, संसद हमला, उरी, पुलवामा या पहलगाम जैसी त्रासदियों के बाद सिर्फ मौन श्रद्धांजलि ही नहीं देंगे, बल्कि निर्णायक प्रतिशोध भी लेंगे।

हिंदुस्तान अब वह देश नहीं रहा जो सिर्फ बयान देता था। अब देश बदल चुका है, आज का हिंदुस्तान अब दुनियाँ का वह देश बन चुका है जो अपने नागरिकों की हत्या का बदला भी लेता है, और ऐसा इस सटीकता से करता है कि दुश्मन को सोचने तक का मौका नहीं मिलता।

यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, हमारी राष्ट्रीय चेतना का जागरण है। यह संदेश है उन सभी आतंकियों और उनके पालकों के लिए - चाहे वे पाकिस्तान में हों, अफगान सीमाओं पर हों या भारत के भीतर छिपे हों - कि भारत अब चेत गया है।

हिंदुस्तान अब सब्र करोवाली नीति से सर्जिकल स्ट्राइक करोवाली नीति पर आ चुकी है। साथ ही, यह एक राष्ट्र का संकल्प है कि हम न सिर्फ अब जिएंगे, बल्कि सम्मान से, आत्मगौरव से, और पूर्ण स्वाभिमान के साथ जिएंगे

'ऑपरेशन सिंदूर' हमारे सैन्य इतिहास के स्वर्णिम अध्याय की एक शुरुआत है। साथ ही देश के अंदर या बाहर बैठे आतंकियों के लिए कडा संदेश है कि वक्त रहते संभाल जाओ, बर्ना हम न केवल जवाब देंगे, बल्कि मिटा डालेंगे।

 

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