झारखंड में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी भागीदारी को मिलेगा बढ़ावा: मंत्री सुदिव्य कुमार
JUT में आयोजित कार्यशाला में विभिन्न औद्योगिक समूहों और शिक्षाविदों ने साझा किए विचार
रांची, 14 मई। झारखंड सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा आज झारखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (JUT), रांची में “उच्च शिक्षा में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP)” विषय पर एकदिवसीय परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण कार्यशाला में देश के प्रमुख औद्योगिक समूहों, अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों, नीति-निर्माताओं और गैर-लाभकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि झारखंड के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री सुदिव्य कुमार थे, जिन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा कि “राज्य सरकार झारखंड को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक मॉडल राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को सशक्त बनाना अनिवार्य है।”
उन्होंने कहा कि झारखंड जैसे समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों वाले राज्य को अब ज्ञान और कौशल के क्षेत्र में भी अग्रणी बनाना आवश्यक है। इसके लिए सरकार ऐसे वातावरण का निर्माण कर रही है, जिसमें निजी संस्थाएं और औद्योगिक घराने न केवल शिक्षण संस्थान स्थापित करें, बल्कि शोध, नवाचार और कौशल विकास के क्षेत्र में भी सक्रिय योगदान दें।
मंत्री श्री कुमार ने यह भी रेखांकित किया कि झारखंड की वर्तमान Gross Enrolment Ratio (GER) राष्ट्रीय औसत से नीचे है, और इसे सुधारने के लिए राज्य सरकार ने कई योजनाएं प्रारंभ की हैं। इनमें से एक अहम पहल सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण, रोजगारोन्मुखी और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देना है।
कार्यशाला में Tata Technologies, Aditya Birla Group, NASSCOM, CII, AICTE, IIT ISM Dhanbad, XLRI Jamshedpur, और अन्य प्रमुख संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा किए और राज्य में PPP मॉडल के सफल कार्यान्वयन के लिए सुझाव दिए।
कार्यशाला के दौरान निम्नलिखित प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई:
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राज्य में उच्च शिक्षा संस्थानों की संख्या और गुणवत्ता में वृद्धि
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रोजगार परक पाठ्यक्रमों की डिजाइनिंग में उद्योगों की भागीदारी
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अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए CSR फंड का उपयोग
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निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए स्पष्ट और अनुकूल नीतिगत ढांचा
झारखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति ने स्वागत भाषण में कहा कि यह कार्यशाला राज्य के शिक्षा परिदृश्य को पुनर्परिभाषित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
कार्यक्रम के अंत में यह निष्कर्ष निकला कि झारखंड में शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच बढ़ाने के लिए सरकार, निजी क्षेत्र और शिक्षा संस्थानों के बीच “ट्राइपार्टाइट सहयोग” की आवश्यकता है, और इस दिशा में यह कार्यशाला एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगी।
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