संपादक - अशोक कुमार झा।
रांची। स्वयंसेवी संस्था "बचपन बचाओ आंदोलन" के द्वारा बाल मजदूरी की समस्या पर रोकथाम के लिये एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें पुरे राज्य के पुलिस अधिकारियों सहित सभी जिले से श्रम विभाग के ऑफिसर्स व सी डब्लू सी के सभी जिले के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। परिचर्चा हजारीबाग के डी एस पी आभास कुमार ने इस अभियान के दौरान होने वाली दिक्कतों के लिए अपने अनुभवों को साझा किया। फिर बचपन बचाओ आंदोलन के डायरेक्टर ब्रजेश कुमार ने जे जे एक्ट के ऊपर प्रकाश डाला।
उसके बाद सी डव्लू सी के हजारीबाग जिले के नोडल अफसर सहदेव कुमार ने अपने साथी पुलिस अधिकारियों से कहा कि बच्चों को हाजत में कभी भी नही रखा जाय तथा हथकड़ी भी नही पहनाया जाय । साथ ही सभी थानों में बालमित्र शाखा स्थापित किया जाय। साथ ही किसी बालमित्र थाने में बच्चे से बात करते समय बर्दी में न रहें, जिससे बच्चे आप से खुलकर बात कर सके तथा बच्चों के मन में कोई खोफ न रहे।
उन्होंने आगे कहा कि जुनैल एक्ट के पूरी तरह से अनुपालन के लिए इस संगठन को सभी जिले, प्रखंड व पंचायत तक ले जाये तथा सभी थानों में गठित बालमित्र थाने का समय समय पर सरकार द्वारा उसके मानक का सर्टिफिकेशन भी कराया जाय।
इस कार्यक्रम में यूनिसेफ में झारखंड के प्रतिनिधि श्रीमती प्रीति कुमारी ने कहा कि सी डव्लू सी के क्रियान्वयन में झारखण्ड में जिले के डी सी की ओर से जो सहयोग व पहल होनी चाहिए, वह नहीं हो पा रहा है। वही रांची जिले की सी डब्लू सी की अध्यक्ष रूपा वर्मा ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताई की किस तरह से उन्हें प्रतिवादी पक्ष द्वारा व्यक्तिगत तौर पर क़ानूनी तौर पर परेशान किया गया , जिसमे सरकार और पुलिस व यहाँ तक की सर्कार के महाधिवक्ता तक ने उसका मदद करने से इंकार कर दिया। ऐसे में उनके अपने घर वालो ने भी उनका जमानत का बाउंड भरने से इंकार कर दिया था।
उसके बाद गरवा के D S P संजीव गुप्ता ने कहा कि हम आज वास्तव में उतने संवेदनशील नहीं हो पाये है बच्चो के प्रति , जितने हमें होना चाहिए। आगे उन्होंने सवाल किया कि क्या हमलोग देश के सभी बच्चों को शिक्षा, स्वस्थ्य व आहार सम्बन्धी वह सारी मूलभूत सुविधाओं को दे पाने में सक्षम हो पाये हैं/? उन्होंने आगे एक सुझाव दिया की अगर वास्तव में बाल मजदूरी को रोकना है तो एक ऐसा टास्क फाॅर्स का गठन किया जाय , जिसमें पुलिस के अधिकारियों सहित जिले के डी सी व सरकार के अलग अलग विभाग के लोग भी शामिल हो।
उसके बाद कोडरमा के श्रम अधीक्षक पंचम लोहरा ने कहा कि बाल श्रम हमारे समाज के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है , जिसे दूर करने के लिए पहले हमें यह देखना होगा कि यह आखिर क्यों हो रही है। क्योकि सरकार की और से सभी को शिक्षा , सभी को भोजन व सभी को रोजगार देने के लिए इतनी सारी कल्याणकारी योजनाये चलायी जा रही है , फिर ऐसा क्यों हो रहा है ?
उन्होंने आगे कहा कि हमें सबसे पहले उसको जागरूक करना होगा और उसको बताना होगा कि सरकार उसके लिए क्या क्या कर रही है। क्योकि बालश्रम एक संगीन अपराध है।
कार्यक्रम में पुलिस व सीआई के अधिकारियों के साथ कई पूर्व न्यायिक अधिकारी भी मौजूद थे।
रांची। स्वयंसेवी संस्था "बचपन बचाओ आंदोलन" के द्वारा बाल मजदूरी की समस्या पर रोकथाम के लिये एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें पुरे राज्य के पुलिस अधिकारियों सहित सभी जिले से श्रम विभाग के ऑफिसर्स व सी डब्लू सी के सभी जिले के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। परिचर्चा हजारीबाग के डी एस पी आभास कुमार ने इस अभियान के दौरान होने वाली दिक्कतों के लिए अपने अनुभवों को साझा किया। फिर बचपन बचाओ आंदोलन के डायरेक्टर ब्रजेश कुमार ने जे जे एक्ट के ऊपर प्रकाश डाला।
उसके बाद सी डव्लू सी के हजारीबाग जिले के नोडल अफसर सहदेव कुमार ने अपने साथी पुलिस अधिकारियों से कहा कि बच्चों को हाजत में कभी भी नही रखा जाय तथा हथकड़ी भी नही पहनाया जाय । साथ ही सभी थानों में बालमित्र शाखा स्थापित किया जाय। साथ ही किसी बालमित्र थाने में बच्चे से बात करते समय बर्दी में न रहें, जिससे बच्चे आप से खुलकर बात कर सके तथा बच्चों के मन में कोई खोफ न रहे।
उन्होंने आगे कहा कि जुनैल एक्ट के पूरी तरह से अनुपालन के लिए इस संगठन को सभी जिले, प्रखंड व पंचायत तक ले जाये तथा सभी थानों में गठित बालमित्र थाने का समय समय पर सरकार द्वारा उसके मानक का सर्टिफिकेशन भी कराया जाय।
इस कार्यक्रम में यूनिसेफ में झारखंड के प्रतिनिधि श्रीमती प्रीति कुमारी ने कहा कि सी डव्लू सी के क्रियान्वयन में झारखण्ड में जिले के डी सी की ओर से जो सहयोग व पहल होनी चाहिए, वह नहीं हो पा रहा है। वही रांची जिले की सी डब्लू सी की अध्यक्ष रूपा वर्मा ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताई की किस तरह से उन्हें प्रतिवादी पक्ष द्वारा व्यक्तिगत तौर पर क़ानूनी तौर पर परेशान किया गया , जिसमे सरकार और पुलिस व यहाँ तक की सर्कार के महाधिवक्ता तक ने उसका मदद करने से इंकार कर दिया। ऐसे में उनके अपने घर वालो ने भी उनका जमानत का बाउंड भरने से इंकार कर दिया था।
उसके बाद गरवा के D S P संजीव गुप्ता ने कहा कि हम आज वास्तव में उतने संवेदनशील नहीं हो पाये है बच्चो के प्रति , जितने हमें होना चाहिए। आगे उन्होंने सवाल किया कि क्या हमलोग देश के सभी बच्चों को शिक्षा, स्वस्थ्य व आहार सम्बन्धी वह सारी मूलभूत सुविधाओं को दे पाने में सक्षम हो पाये हैं/? उन्होंने आगे एक सुझाव दिया की अगर वास्तव में बाल मजदूरी को रोकना है तो एक ऐसा टास्क फाॅर्स का गठन किया जाय , जिसमें पुलिस के अधिकारियों सहित जिले के डी सी व सरकार के अलग अलग विभाग के लोग भी शामिल हो।
उसके बाद कोडरमा के श्रम अधीक्षक पंचम लोहरा ने कहा कि बाल श्रम हमारे समाज के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है , जिसे दूर करने के लिए पहले हमें यह देखना होगा कि यह आखिर क्यों हो रही है। क्योकि सरकार की और से सभी को शिक्षा , सभी को भोजन व सभी को रोजगार देने के लिए इतनी सारी कल्याणकारी योजनाये चलायी जा रही है , फिर ऐसा क्यों हो रहा है ?
उन्होंने आगे कहा कि हमें सबसे पहले उसको जागरूक करना होगा और उसको बताना होगा कि सरकार उसके लिए क्या क्या कर रही है। क्योकि बालश्रम एक संगीन अपराध है।
कार्यक्रम में पुलिस व सीआई के अधिकारियों के साथ कई पूर्व न्यायिक अधिकारी भी मौजूद थे।
हमें पहले यह देखना होगा की बालश्रम आखिर हो क्यों रही है - पंचम लोहरा
Reviewed by PSA Live News
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11:52:00 pm
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