रांची। झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल राजेन्द्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में अन्य मरीजों के साथ- साथ आयुष्मान भारत योजना के मरीजों का भी बुरा हाल है. अस्पताल में अव्यवस्था का आलम यह है कि दवा के इंतजार में आयुष्मान योजना के मरीजों की अब मौत होने लगी है. पिछले एक हफ्ते में दो मरीजों ने दवा के अभाव में दम तोड़ दिया.
दवा नहीं मिलने पर जमशेदपुर के जीतू बाग की मौत
जमशेदपुर निवासी 50 वर्षीय जीतू बाग की मौत गुरुवार को मेडिसिन वार्ड में हो गई. जीतू बाग आठ जून को रिम्स में भर्ती हुआ था. उसका लिवर खराब हो गया था. डॉक्टरों के अनुसार उसकी स्थिति खराब थी. आयुष्मान योजना के तहत दवा के लिए रिम्स प्रबंधन को भेजा गया था. लेकिन चार दिन बाद भी दवा नहीं मिली. लिहाजा मरीज की मौत हो गई.
हजारीबाग के अरुण महतो ने भी दवा के अभाव में गंवाई जान
इससे पहले गत शुक्रवार को भी मेडिसिन आईसीयू में बेड नंबर 11 पर भर्ती हजारीबाग के टाटी झरिया निवासी 39 वर्षीय अरुण कुमार महतो की मौत दवा नहीं मिलने के कारण हो गई. वह भी आयुष्मान योजना के तहत 25 मई से रिम्स में भर्ती था. इंडेंट भेजने के 12 दिन बाद भी उसे दवा नहीं मिली, जिसके कारण उसकी मौत हो गई. ऐसे दर्जनों मरीज हैं, जिन्हें इंडेंट की गई दवाएं उपलब्ध नहीं हो रही हैं और उनकी जान खतरे में हैं.
प्राइवेट हॉस्पिटल लेकर भाग रहे मरीजों को
आयुष्मान योजना का लाभ दिलाने में रिम्स शहर के प्राइवेट हॉस्पिटलों से पीछे चल रहा है. चूंकि रिम्स में इलाज के लिए भर्ती मरीजों को 20-25 दिनों का लंबा इंतजार करना पड़ता है. इसके बाद भी कई मरीजों को समय पर दवाएं और इम्प्लांट नहीं मिल पाती हैं. इस चक्कर में गरीब तबके के मरीजों के पास इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता. लेकिन थोड़े सक्षम लोग अपने मरीजों की छुट्टी कराकर प्राइवेट हॉस्पिटल लेकर भाग जाते हैं।
दवा नहीं मिलने पर जमशेदपुर के जीतू बाग की मौत
जमशेदपुर निवासी 50 वर्षीय जीतू बाग की मौत गुरुवार को मेडिसिन वार्ड में हो गई. जीतू बाग आठ जून को रिम्स में भर्ती हुआ था. उसका लिवर खराब हो गया था. डॉक्टरों के अनुसार उसकी स्थिति खराब थी. आयुष्मान योजना के तहत दवा के लिए रिम्स प्रबंधन को भेजा गया था. लेकिन चार दिन बाद भी दवा नहीं मिली. लिहाजा मरीज की मौत हो गई.
हजारीबाग के अरुण महतो ने भी दवा के अभाव में गंवाई जान
इससे पहले गत शुक्रवार को भी मेडिसिन आईसीयू में बेड नंबर 11 पर भर्ती हजारीबाग के टाटी झरिया निवासी 39 वर्षीय अरुण कुमार महतो की मौत दवा नहीं मिलने के कारण हो गई. वह भी आयुष्मान योजना के तहत 25 मई से रिम्स में भर्ती था. इंडेंट भेजने के 12 दिन बाद भी उसे दवा नहीं मिली, जिसके कारण उसकी मौत हो गई. ऐसे दर्जनों मरीज हैं, जिन्हें इंडेंट की गई दवाएं उपलब्ध नहीं हो रही हैं और उनकी जान खतरे में हैं.
प्राइवेट हॉस्पिटल लेकर भाग रहे मरीजों को
आयुष्मान योजना का लाभ दिलाने में रिम्स शहर के प्राइवेट हॉस्पिटलों से पीछे चल रहा है. चूंकि रिम्स में इलाज के लिए भर्ती मरीजों को 20-25 दिनों का लंबा इंतजार करना पड़ता है. इसके बाद भी कई मरीजों को समय पर दवाएं और इम्प्लांट नहीं मिल पाती हैं. इस चक्कर में गरीब तबके के मरीजों के पास इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता. लेकिन थोड़े सक्षम लोग अपने मरीजों की छुट्टी कराकर प्राइवेट हॉस्पिटल लेकर भाग जाते हैं।
रिम्स में दवा के अभाव में आयुष्मान योजना के दो मरीजों की मौत
Reviewed by PSA Live News
on
10:16:00 pm
Rating:

Thanks for posting
जवाब देंहटाएं