उत्तर प्रदेश : चुनाव परिचर्चा
पत्रकार कमलेश शर्मा की कलम से.......
आज पूरे देश में चुनावी चर्चा के नाम पर सिर्फ उतर प्रदेश चुनाव हैं, तो सोशलमीडिया पर उतर प्रदेश मुखिया प्रसारित हैं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुसार योगी आदित्यनाथ सरकार उतर प्रदेश में अपनी सरकार दोबारा बनाने जा रही है. जो उतर प्रदेश के लिए एक इतिहास होगा. हालांकि चुनावों के पहले मिडिया द्वारा ओपिनियन पोल जारी करने के बाद विपक्ष सरकार के साथ साथ अब मिडिया को भी कोसने लगा है. लेकिन अगर सत्य को स्वीकार करे तो योगी सरकार अपनी दबंग शैली व सरकार का अपराधियों के प्रति रवैया काम कर रहा है. वही देश की सबसे बड़े राज्य व राजनीतिक केन्द्र माने जाने वाले उतर प्रदेश में इस बार 52 लाख नए मतदाता चुनाव महासंग्राम में अपनी भागीदारी निभाने के लिए वोटर लिस्ट में जुड चुके है. 403 विधानसभाओं के लिए 15 करोड़ उतर प्रदेश मतदाताओं ने कमर कस ली है. जंहा चुनावी रण में महिला व युवा वर्ग अहम भूमिका निभाएगे. प्रदेश में अब 15.02 करोड़ वोटरों की संख्या हो गई है। वहीं इस साल 52.80 लाख नए नाम सूची में शामिल हुए हैं। वहीं मतदाताओं की इस सूची में युवा वोटरों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। तो दुसरी ओर महिला वोटरों की संख्या 6.80 करोड़ हुई है. आपको बता दे कि जो 52 लाख से अधिक मतदाता जुड़े हैं, उसमें 14.66 लाख 18 से 19 साल के बीच वाले हैं कुल नए नामों में इनकी भागीदारी 27.76% है। अगर पूरी मतदाता सूची की बात करें तो उसमें 3.89 करोड़ वोटर 30 साल से कम उम्र के हैं। कुल मतदाताओं में इनका आंकड़ा करीब 26% है।तो वही बात करे उतर प्रदेश के बदलाव की विकास की, राजनीति तो 2017 से पहले अखिलेश सरकार ने राज्य में विकास के कई नए आयाम स्थापित तो कर दिए, लेकिन प्रदेश में भय व अराजकता के माहौल को भी जन्म दे दिया. जिसके चलते यूपी की जनता ने प्रदेश में बड़ी पार्टी के रूप में उभरी समाजवादी पार्टी के 2017 चुनावों में चारों खाने चित कर दिए. आपको बता दे कि आज उतर प्रदेश का चुनाव किसी विधानसभा सीट के प्रत्याशी को लेकर नहीं बल्कि प्रदेश के मुखिया के लिए लडा जा रहा है. जिसमें समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव व भाजपा के योगी आदित्यनाथ मैदान में है. कांग्रेस पार्टी का उतर प्रदेश में घिरता ग्राफ उन्हें चुनावी रण से बाहर बैठने पर मजबूर कर रहा है. तो,वही बात करे योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल की तो महिला सुरक्षा, अपराधियों की धरपकड़, एंकाउंटर, राममंदिर, अवैध बूचड़खानों पर रोक जैसे रोचक कार्यों के बाद प्रदेश में योगी आदित्यनाथ का ग्राफ बढना लाजमी था. जंहा एक ओर अखिलेश यादव की सरकार लगातार माफियाओं को सरंक्षण देने का काम कर रही थी तो वही दूसरी ओर 2017 के बाद सता मे आई योगी सरकार ने माफियाओं पर कहर सा बरसा दिया. जो उतर प्रदेश सांप्रदायिक दंगों का केंद्र माना जाता था, वहाँ शांति व्यवस्था कायम होने लगी. और यह सब हम नहीं कह रहे हैं अपितु उतर प्रदेश का अतित बता रहा है कि दंगा करने वालों की संपत्ति कुर्क करने जैसे फैसलों ने यूपी में अचानक शांति का माहौल बना दिया. वही अखिलेश यादव के कार्यालय की बात करे तो आपको ज्ञात होगा कि माफियाओं के मंसूबों को पूरा करने के लिए अखिलेश सरकार ने एक ईमानदार आईएएस तक को निलंबन कर दिया है, जिसका पूरे देश के संगठनों ने विरोध किया और फिर निलंबन निरस्त करना पड़ा. हुआ यह था कि वर्ष 2013 के दौरान गौतम बुद्ध नगर जिले में आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल उस समय के समाजवादी खनन माफियाओं के खिलाफ अभियान छेड़ने की गलती कर बैठी थी। और उन्होंने कई ऐसे कदम उठाए थे, जिनसे रेत खनन माफिया तिलमिला गए थे और मीडिया के अनुसार उन तिलमिलाने वाले नेताओं में एक समाजवादी पार्टी के नेता भी थे और उन्होंने ही इस अतिक्रमण विवाद को हवा दी थी।और तत्कालीन अखिलेश सरकार ने आरोप लगाया था कि इस बेलगाम अफसर ने नोएडा में एक निमार्णाधीन मस्जिद की दीवार गिरा दी है। बस फिर क्या था आनन फानन में अखिलेश सरकार ने दुर्गा शक्ति नागपाल को सस्पैंड कर दिया। इस पूरे प्रकरण ने उत्तरप्रदेश ही नहीं सारे देश में बवाल मचा दिया था।आईएएस एसोसिएशन, आईपीएस एसोसिएशन , किरण बेदी , चीफ सेक्रेटरी , हाई कोर्ट , सुप्रीम कोर्ट , और स्वयं केंद्र सरकार ने इस मामले पर अखिलेश सरकार को घेरा था और उन्हें बहाल करने के लिए कहा था, इतना ही नहीं स्वयं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हस्तक्षेप किया था और सोनिया गांधी ने भी पत्र लिखा था कि अधिकारी के साथ अन्याय न हो।जुलाई 2013 में जहाँ उन्हें सस्पेंड किया गया तो वहीं उसी वर्ष मुजफ्फरनगर के दंगों में घिरने के बाद समाजवादी सरकार द्वारा उनका निलंबन वापस ले लिया गया था। परन्तु जो यह प्रकरण हुआ था उसमे सबसे गौर करने वाली बात थी कि ग्रेटर नोएडा के डिस्ट्रिकेट मजिस्ट्रेट रविकांत ने खुद मामले की जाँच करके रिपोर्ट दाखिल की थी जिसमें उन्होने बाकायदा लिखा था कि दुर्गा शक्ति नागपाल द्वारा मस्जिद की दीवार गिराना तो दूर की बात है, वहाँ अभी तक कोई दीवार बनी ही नहीं थी ।वहाँ केवल कथित मस्जिद बनाने के लिए महज़ नींव ही खोदी जा रही थी ,क्योंकि वो जगह सरकारी थी,और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार किसी भी सरकारी जमीन पर कब्जा करना और उस पर धर्म स्थल बनाना अवैध है। ओपिनियन पोल के अनुसार उतर प्रदेश के चुनावी रण में सिर्फ योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव ही खड़े नजर आ रहे हैं. हालांकि कांग्रेस पार्टी, बसपा, व अन्य दल भी चुनाव में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं, लेकिन बात करे रोचक मुकाबले की तो पहले से बेहतर स्थिति में खडी समाजवादी पार्टी अब भी जीत से दूर नजर आ रही है. हालांकि चुनावी बिगुल बजते ही समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार की कई मोहरों को अपनी ओर कर बड़ी चुनौती देने का काम किया था. जो चंद समय बाद धवस्त सा नजर आने लगा था।
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