न्यूज़ ऑफ इंडिया ( एजेंसी)
हा मैं कामगार हूँ मैं मजदूर हूँ
वक्त के तरकश का तरकीब हूँ
देश की रीढ़ हूँ नक्शों की तस्वीर हूँ
महगाई का मारा हूँ सही समझें हैं
हा मैं कामगार हूँ मैं मजदूर हूँ
न तन पूरे कपडे़ है न सर के नीचे छाव हैं
आंदोलनों के वक्त सड़कों की ठोकी मोटी कील हूँ
गाडी़ से कुचला गया मैं वहीं कामगार मजदूर हूँ
यू भूख से गरीबी से मजबूर हूँ
छोड़ दी कलम किताबें तो समझो मजदूर हूँ
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विनोद जनवदी
पत्रकार / कवि
मजदूर दिवस पर विशेष
हा मैं कामगार हूँ मैं मजदूर हूँ
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4:44:00 pm
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