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पत्रकार (स्वतंत्र या परतंत्र)

एक पत्रकार, आइना होता है सरकार के लिए, शासन के लिए । समाज में होने वाली होनी अनहोनी घटना ,भ्रष्टाचार, जुर्म आदि  को शासन के समक्ष रखने वाला होता है पत्रकार ।
समाज और शासन प्रशासन के बीच की कडी होता है पत्रकार।
अत: शासन प्रशासन का यह दायित्व है कि वह ऐसी व्यवस्था बनाए कि पत्रकार निष्पक्ष और निर्भीक होकर पत्रकारिता कर सके।
 एक पत्रकार समाज में होने वाली बुराइयों और जुर्म को तभी शासन के समक्ष निर्भीकता से रख सकता है , जब उसे किसी प्रकार का दबाव न हो ,पत्रकार सरकार का समर्थन ही करे  यह आवश्यक नहीं है , उसकी  गलत नीतियों और शासन में हो  रहे दोषों को उजागर करने का स्वतंत्र अधिकार पत्रकार को मिलना चाहिए , किसी भी पार्टी या पक्ष विपक्ष का दबाव पत्रकार को नही होना चाहिए , अन्यथा एक पत्रकार कभी स्वतंत्र हो कर  जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप आवाज नही उठा सकता । इसलिए अति आवश्यक  है की पत्रकारों के सुरक्षा एवं नीतियों का स्पष्ट उल्लेख करते हुए सुरक्षा एवम अधिकार प्रदान किया जाना आवश्यक है। तभी पत्रकार निष्पक्ष हो कर हर प्रकार के गुण दोषों को आम जनताओ  तक  पहुंचा सकेगा  ताकि   शासन उसके आधार पर उचित निर्णय ले  सकेगा । साथ ही किसी भी राजनीतिक पार्टी का दबाव या  हस्तक्षेप होना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना है  इसलिए पत्रकार को  स्वतंत्र होने का अधिकार मिलना ही  चाहिए। 

वर्तमान में परिस्थिति उपरोक्तानुसार वर्णित परिपेक्ष्य के विपरीत है ।

पूजा जायसवाल की कलम से 🖊️🖊️
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