🖋️ बिमल कुमार मिश्रा के कलम से ।
झील पानी को तरसता मेरे बिहार मे,
खेत पानी को तरसता मेरे बिहार में ,
खून पानी से सस्ता है मेरे बिहार में,
अफसरों, लिडरो, और पगोलो को छोड़ कर कोन हस्ता है मेरे बिहार में,
जमुई जिला में बहने बाली बीरान हो गई नदी ,
बूंद बूंद पानी को यहां तरसता है नदी,
हो रही है पद यात्रा आओ बच्चो जमुई जिले के नदी, पर्यावरण के खतरे से बचाती थी नदी,
उठ गया है पूरा बालू सुख गया है नदी,
खेती के लिए नही लाभ दायक रहा अब नदी,
जमुई जिला में बहने बाली बीरान हो गई नदी,
उपजाऊ मिट्टी का नही श्रोत रहा नदी,
गन्दे अपवित्र पानी को बहा ले जाती थी नदी,
जल परिवहन के रूप में कार्य करती थी नदी,
जानवरो के प्यास को बुझती थी नदी,
कपरे और नहाने को पानी देती थी नदी,
मानव और धरती की प्यास बुझाती थी नदी,
जमुई जिला में बहने बाली बीरान हो गई नदी,
झील झरना को बरसात में भरती थी नदी,
मनका से जायेदा खनन से सकट में आज नदी,
जल सरोत्र के अति अतिक्रमण से सुख गई है नदी,
अजय, घाघरा, पत्रारा, बरुआ, बरकी घघरी, जमखार, कटरा, उलायी, नकटी, नागी,ककनी, बरनाल, झाजी, आजन, बबून, कटहरा ये सब है 27 नदी ,
बूंद बूंद पानी को यहां तरस रही नदी,
आओ सब मिल कर बचाओ नदी।

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