जेजेएमपी के जोनल कमांडर बैजनाथ सिंह ने लातेहार में किया आत्मसमर्पण, पुलिस दबाव और सरकार की नीति लाई रंग
PSA Live News डेस्क।
लातेहार। लातेहार जिले में नक्सल विरोधी अभियान को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। झारखंड जनमुक्ति परिषद (जेजेएमपी) के कुख्यात जोनल कमांडर बैजनाथ सिंह ने सोमवार को पुलिस और अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। यह आत्मसमर्पण न सिर्फ सुरक्षा बलों की बढ़ती दबिश का परिणाम है, बल्कि झारखंड सरकार की प्रभावी आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति की सफलता को भी दर्शाता है।
किनके सामने किया आत्मसमर्पण?
बैजनाथ सिंह ने पलामू प्रक्षेत्र के उप महानिरीक्षक (डीआईजी), लातेहार के पुलिस अधीक्षक (एसपी), सशस्त्र सीमा बल (SSB) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में आत्मसमर्पण किया। इस दौरान औपचारिक रूप से हथियारों को भी पुलिस के हवाले किया गया।
नक्सल संगठन में भूमिका
बैजनाथ सिंह लम्बे समय से जेजेएमपी संगठन में सक्रिय था और उस पर हत्या, अपहरण, लेवी वसूली और विस्फोट जैसी कई गंभीर घटनाओं में शामिल होने के आरोप हैं। वह संगठन के जोनल कमांडर के रूप में लातेहार, गढ़वा, पलामू और गुमला जिलों में अपनी गतिविधियां संचालित करता था। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, वह नक्सली रणनीति के तहत युवाओं की भर्ती, प्रशिक्षण और लेवी वसूली के मामलों में प्रमुख भूमिका निभा रहा था।
सरकार की आत्मसमर्पण नीति का असर
झारखंड सरकार द्वारा लागू की गई आत्मसमर्पण नीति में नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए सुरक्षा, रोजगार और आर्थिक सहायता का वादा किया गया है। बैजनाथ सिंह ने भी इसी नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण का रास्ता चुना। लातेहार पुलिस ने स्पष्ट किया कि आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों को सरकार की पुनर्वास नीति के तहत सभी आवश्यक सहायता दी जाएगी।
पुलिस ने जताई संतुष्टि
डीआईजी पलामू रेंज और लातेहार एसपी ने इस आत्मसमर्पण को नक्सल उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि यह सफलता सुरक्षा बलों की रणनीतिक कार्रवाई, गुप्तचर तंत्र की मजबूती और आम जनता के सहयोग से संभव हो पाई है।
आत्मसमर्पण के बाद क्या?
बैजनाथ सिंह को आत्मसमर्पण के बाद निर्धारित प्रक्रिया के तहत पुनर्वास केंद्र भेजा गया है, जहां उसकी काउंसलिंग और अन्य औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी। पुनर्वास नीति के तहत उसे सरकार की ओर से आर्थिक सहायता, सुरक्षित आवास, प्रशिक्षण एवं स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे।
जनता का विश्वास और बढ़ा
इस आत्मसमर्पण से लातेहार व आस-पास के जिलों में रहने वाली आम जनता ने राहत की सांस ली है। स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि ऐसे बड़े उग्रवादियों के समर्पण से क्षेत्र में शांति, विकास और सुरक्षा का माहौल और मजबूत होगा।
बैजनाथ सिंह का आत्मसमर्पण झारखंड सरकार की नक्सल नीति की बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। इससे न सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों का मनोबल बढ़ा है, बल्कि यह भी साबित हुआ है कि हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास और शांति की ओर बढ़ना ही भविष्य का मार्ग है।
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