पत्रकार गिरफ्तारी मामला: हाईकोर्ट ने कहा- कानूनी अनिवार्यता के बिना किसी नागरिक को हिरासत में रखना अवैध
एससी/एसटी एक्ट में हुई पत्रकार भावना किशोर की गिरफ्तारी के मामले में मंगलवार को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कैमरामैन और ड्राइवर की गिरफ्तारी की प्रक्रिया पर सवाल उठाए। हाईकोर्ट ने कहा कि कानूनी अनिवार्यता के बिना किसी नागरिक को हिरासत में रखना अवैध है और अदालत इसके प्रति आंखें नहीं मूंद सकती है। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने पत्रकार भावना गुप्ता के साथ अब कैमरामैन मृत्युंजय व ड्राइवर परमिंदर सिंह को अंतरिम जमानत दे दी है। इस मामले में एफआईआर रद्द करने की मांग पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को 22 मई तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। एफआईआर को खारिज करने की मांग को लेकर पत्रकार भावना गुप्ता व अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान याची पक्ष ने इस पूरे मामले में पंजाब पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए। याची ने कहा कि जिस समाचार चैनल के लिए वह काम कर रही थी, वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ 45 करोड़ रुपये की लागत से उनके आधिकारिक आवास के निर्माण/पुनर्निर्माण के लिए रिपोर्टिंग कर रहा था। जवाबी हमले के रूप में चैनल को सबक सिखाने के लिए झूठा मामला दर्ज किया गया है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस मामले में गिरफ्तार कैमरामैन व ड्राइवर के खिलाफ कोई गैर-जमानती धारा नहीं थी। ऐसे में उन्हें बेल बॉन्ड भरकर तुरंत जमानत मिल सकती थी लेकिन उन्हें इस बारे में पुलिस ने जानकारी नहीं दी। मजिस्ट्रेट और स्पेशल कोर्ट ने भी उन्हें ज्यूडिशियल हिरासत में भेजते हुए इस बारे में ध्यान नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि बिना कानूनी अनिवार्यता के किसी नागरिक को हिरासत मे नहीं रखा जा सकता ।
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