पाकिस्तान प्रेम या साजिश का चक्रव्यूह? – यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा और देश के खिलाफ जासूसी के गहरे षड्यंत्र की परतें
✍ अशोक कुमार झा
प्रधान संपादक, PSA Live News | Ranchi Dastak
जब दुनिया सोशल मीडिया की आभासी चमक में डूबी है, उसी समय इस आभासी दुनिया के माध्यम से हिंदुस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा को गहरे संकट में डालने वाले षड्यंत्र सामने आ रहे हैं। हरियाणा की चर्चित यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी न केवल एक सनसनीखेज घटनाक्रम है, बल्कि यह एक गंभीर संकेत है कि अब जासूसी के लिए बॉम्ब और बुलेट नहीं, बल्कि ब्यूटी और ब्लॉग इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
ज्योति
मल्होत्रा: ट्रैवल ब्लॉगर से जासूसी के जाल तक
‘Travel with Jo’ नाम से यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर मशहूर ज्योति मल्होत्रा की
पहचान एक ट्रैवल ब्लॉगर के रूप में थी। उनके यूट्यूब चैनल पर 3.77 लाख
से अधिक सब्सक्राइबर्स और इंस्टाग्राम पर 1.32
लाख फॉलोअर्स थे। उन्होंने खुद को एक
"संस्कृति सेतु" के रूप में प्रस्तुत किया, लेकिन जांच एजेंसियों
का दावा है कि इस सेतु के नीचे
जासूसी का खतरनाक सुरंग मार्ग तैयार किया जा रहा था।
उच्चायोग
का डिनर और जासूसी की शुरुआत
साल 2023 में पाकिस्तान यात्रा के दौरान ज्योति की
मुलाकात नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारी एहसान-उर-रहीम उर्फ
दानिश से एक डिनर कार्यक्रम के दौरान हुई। उस मुलाकात के बाद घटनाएं
जिस तेजी से बदलीं, उसने सबको चौंका दिया।
दानिश ने ज्योति को न सिर्फ पाकिस्तानी
खुफिया एजेंसी ISI के एजेंटों से
मिलवाया, बल्कि उसे
PIO (Pakistan Intelligence
Operatives) से भी जोड़ा। बाद में यह संपर्क व्हाट्सएप, टेलीग्राम, स्नैपचैट जैसे एन्क्रिप्टेड माध्यमों पर तब्दील हो गया।
विशेष रूप से 'जट्ट रंधावा' के नाम से सेव एक
शख्स — जो असल में
PIO एजेंट शाकिर उर्फ राणा शाहबाज़ था — के साथ की गई चैट, वॉइस नोट्स और वीडियो
कॉलिंग के प्रमाण सामने आए हैं।
पाकिस्तान की नई रणनीति: सोशल मीडिया
इन्फ्लुएंसर्स को निशाना
सुरक्षा एजेंसियों की मानें तो
पाकिस्तान की खुफिया रणनीति अब बदल चुकी है। अब वे बंदूक के बजाय ब्रांड और ब्यूटी को टूल बनाकर काम कर रहे
हैं। ऐसे प्रभावशाली सोशल मीडिया व्यक्तित्वों को टारगेट किया जा रहा है, जिनके पास लाखों की
संख्या में फॉलोअर्स हों। फिर उन्हें कथित
सांस्कृतिक, धार्मिक
या मानवीय जुड़ाव के बहाने अपने नेटवर्क में शामिल किया जाता है।
ज्योति ने अपने वीडियो में खुलकर कहा कि
उसका परिवार मुल्तान से ताल्लुक रखता है, और इसी वजह से उसे पाकिस्तान
से आत्मीय लगाव है। यह भावना ही उसके लिए
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों के लिए
एक आसान द्वार बन गई।
वीडियो से झलका पाकिस्तानी झुकाव, संवेदनशील
स्थलों की शूटिंग
जांच में सामने आया कि ज्योति ने
पाकिस्तान यात्रा के दौरान लाहौर, अनारकली बाजार,
कटासराज मंदिर, और वाघा बॉर्डर सहित
कई ऐसे स्थानों पर वीडियो बनाए जो रणनीतिक दृष्टि से संवेदनशील माने जाते हैं।
इनमें कुछ वीडियो में पाकिस्तानी सेना,
थानों और सरकारी इमारतों के दृश्य भी
शामिल हैं।
इन वीडियो के माध्यम से एक ओर पाकिस्तान
की छवि को सकारात्मक और शांतिप्रिय राष्ट्र की तरह दिखाने की
कोशिश की गई, वहीं दूसरी ओर यह भी आशंका है कि इन स्थानों की
जियो-लोकेशन आधारित खुफिया जानकारियां
भी साझा की गई हैं।
पिता का बयान: अनभिज्ञता या अनिच्छा?
ज्योति के पिता ने मीडिया को दिए बयान
में कहा:
“मुझे नहीं पता कि उसका किसी पाकिस्तानी के साथ संपर्क था। अगर
पाकिस्तान गई थी तो परमिशन से ही गई होगी।”
हालांकि उनके वक्तव्यों से यह भी स्पष्ट
होता है कि वे अपनी बेटी की गतिविधियों को लेकर या तो जानकारी से वंचित थे
या जानबूझकर अनभिज्ञता
दिखा रहे थे। लेकिन अब मामला इतना बढ़
चुका है कि केवल निजी स्तर पर इसे सीमित नहीं रखा जा सकता।
गंभीर धाराएं, रिमांड
पर चल रही पूछताछ
ज्योति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (BNS) की
धारा 152 और ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट 1923 की धाराएं 3, 4 और
5 के तहत केस दर्ज किया गया है। अदालत ने उसे 5
दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है और मामले की जांच हिसार की इकोनॉमिक
ऑफेंसेज़ विंग को सौंपी गई है।
इसके अलावा छह और संदिग्धों की
गिरफ्तारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह मामला एक व्यक्ति विशेष
नहीं बल्कि एक संगठित रैकेट
का हिस्सा है।
पहले भी कई महिलाएं बन चुकी हैं ‘हनी
ट्रैप’ का शिकार
यह पहली बार नहीं है कि कोई महिला इस
तरह जासूसी के आरोप में फंसी है। इससे पहले भी:
- 2010:
इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग
की अधिकारी मधुरी गुप्ता
पर ISI
को गोपनीय जानकारी देने का आरोप
लगा था। उन्हें तीन साल की सजा हुई।
- 2021:
इंदौर की दो बहनें हिना और कौसर
को सोशल मीडिया के माध्यम से
फंसाकर जासूसी में इस्तेमाल किया गया था।
ये सभी घटनाएं एक रिपीट होने वाले
पैटर्न की ओर संकेत करती हैं,
जिसमें लड़कियों को भावनात्मक,
आर्थिक या प्रचारात्मक प्रलोभनों के ज़रिए जाल में फंसाया जाता है।
कूटनीति या कुटिलता – पाकिस्तान
उच्चायोग पर सवाल
इस पूरे मामले के केंद्र में है पाकिस्तानी उच्चायोग। पहले भी कई बार यह आरोप लगते रहे हैं कि वहाँ तैनात कुछ
अधिकारी कूटनीति की आड़ में
जासूसी नेटवर्क चलाते हैं। दानिश और एहसान-उर-रहीम जैसे अफसरों का नाम इसी
संदर्भ में सामने आ चुका है।
सरकार ने अब पाकिस्तान उच्चायोग की
गतिविधियों पर अतिरिक्त नजर रखने
का निर्णय लिया है और सुरक्षा एजेंसियों
को कड़ा निर्देश दिया गया है कि
कोई भी संदिग्ध कूटनीतिक गतिविधि तत्काल
रिपोर्ट की जाए।
राष्ट्रभक्ति और डिजिटल दुनिया के
द्वंद्व में फंसी युवा पीढ़ी
ज्योति मल्होत्रा का मामला सिर्फ एक
जासूसी घटना नहीं, बल्कि एक
राष्ट्रीय चेतावनी है। यह चेतावनी है उस नए खतरे से, जिसमें देशभक्ति और डिजिटल प्रसिद्धि के बीच युवाओं को
गुमराह किया जा रहा है। आज जब
डिजिटल राष्ट्रवाद बनाम डिजिटल प्रचारवाद
की लड़ाई लड़ी जा रही है, तो यह ज़रूरी है कि
समाज, सरकार, और सुरक्षा एजेंसियां मिलकर इस खतरे से निपटने के लिए एक सशक्त साइबर-राजनयिक रणनीति तैयार करें।
इस देश को केवल सीमा पर ही नहीं, स्क्रीन
पर भी बचाना होगा।

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