कलमी शुद्ध है अपभ्रंशित होकर बिहार में खासकर उत्तर बिहार में इसे करमी कहा जाता है। यह साग बिहार में काफी फेमस है। गर्मी के दिनों में यह जल जमाव वाले इलाकों में खूब नजर आता है। बिहार में नदियों का जाल है इस कारण से जल जमाव वाले इलाके भी खूब है इस कारण से बिहार में हर एक क्षेत्र में यह सांग पाया जाता है। जिस समय तपती गर्मी के कारण तमाम तरह के साग झूलस जाते हैं यह अपने पूरे उफान पर होता है। सावन भादो के महीने में यह अपने फूल के कारण लोगों क्या आकर्षण का केंद्र बना रहता है।आपने कई तरह के साग खाए होंगे जैसे पालक, बथुआ, सरसों, चौलाई, मेथी आदि लेकिन क्या कभी कलमी शाक या वॉटर स्पिनेच खाया है? हरी पत्तेदार सब्जियों में कलमी शाक या साग बेहद ही पौष्टिक साग है, जो गर्मी, बरसाते के मौसम में भी आपको मिल जाएगा. कलमी साग को नारी, नाली, करेमू, करमी, नली भाजी, कॉन्गकॉन्ग भी कहते हैं. कलमी साग एक अर्ध-जलीय बारहमासी पौधा है, जो मुख्य रूप से जल निकायों, खाई आदि के आसपास नमी युक्त मिट्टी के आसपास तेजी से बढ़ता है. चलिए जानते हैं ढेरों औषधीय गुणों से भरपूर कलमी साग के फायदों के बारे में यहां.इस साग में कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है. 100 ग्राम साग में लगभग 20 कैलोरी होती है. इसमें कई तरह के माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे विटामिंस ए, बी, सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं.कलमी साग का सेवन डायबिटीज में किया जा सकता है. इसमें मौजूद कुछ तत्व डायबिटीज मैनेज करते हैं. शुगल लेवल को कंट्रोल में रख सकते हैं. हालांकि, आपको डायबिटीज अधिक है तो आप कलमी शाक या वॉटर स्पिनेच के सेवन से पहले अपने डॉक्टर की राय जरूर ले लें.चूंकि, इसमें फाइबर होता है, इसलिए ये पेट की सेहत को दुरुस्त रखता है. पाचन तंत्र सही रहता है. खासकर, कब्ज की समस्या से बचाव होता है. फाइबर युक्त फलों, सब्जियों, अनाजों के सेवन से स्टूल ढीला होता है और बाउल मूवमेंट सही बना रहता है.कलमी शाक पाइल्स या बवासीर, लिवर मालफंक्शन, हेवी मेटल पॉइजनिंग के इलाज में भी खाना फायदेमंद होता है. साथ ही यह सुकून भरी नींद लाने में भी कारगर है, क्योंकि इसमें मन-मस्तिष्क को शांत करने वाले गुण भी मौजूद होते हैं. नली भाजी या कलमी साग को आप सलाद, दाल, सूप, स्टर फ्राई, सब्जी, नॉनवेज आदि में डालकर सेवन कर सकते हैं.
करमी साग
Reviewed by PSA Live News
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6:56:00 pm
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