लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव के वो 5 विवादित किस्से, जो आज भी बिहार की राजनीति में गूंजते हैं
रिपोर्ट: PSA Live News डेस्क
बिहार की राजनीति में एक बार फिर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव चर्चा में हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर उनका एक प्रेम प्रस्ताव से जुड़ा पोस्ट वायरल हुआ, जिसने न केवल राजनीतिक हलकों में सनसनी फैला दी, बल्कि परिवार और पार्टी के भीतर भी तूफान ला दिया।
तेजप्रताप ने सफाई दी कि उनका फेसबुक अकाउंट हैक हो गया था, लेकिन तब तक बात काफी आगे बढ़ चुकी थी। पार्टी की साख और संगठनात्मक अनुशासन को देखते हुए राजद सुप्रीमो लालू यादव ने सख्त कदम उठाया और तेजप्रताप को पार्टी से निलंबित कर दिया। इतना ही नहीं, पारिवारिक स्तर पर भी उन्हें अलग-थलग कर दिया गया। तेजस्वी यादव और बहन रोहिणी आचार्य ने भी इस मसले पर अपनी नाराज़गी खुले तौर पर जाहिर की।
लेकिन यह कोई पहला मौका नहीं है जब तेजप्रताप यादव ने अपने विवादित बयानों या हरकतों से राजनीतिक तूफान खड़ा किया हो। इस रिपोर्ट में हम आपको उन पांच प्रमुख किस्सों से रूबरू करा रहे हैं जो आज भी चर्चा में रहते हैं और जिन्होंने तेजप्रताप को एक ‘राजनीतिक विद्रोही’ की छवि में स्थापित किया है:
1. आरएसएस के खिलाफ बनाया ‘धर्मनिरपेक्ष सेवक संघ (DSS)’
साल 2017 में तेजप्रताप यादव ने आरएसएस के मुकाबले में ‘धर्मनिरपेक्ष सेवक संघ (DSS)’ की नींव रखी। उन्होंने इसे एक ऐसा संगठन बताया जो आरएसएस और हिंदू युवा वाहिनी के ‘सांप्रदायिक एजेंडे’ का मुकाबला करेगा। तेजप्रताप का दावा था कि DSS को राष्ट्रीय स्तर पर फैलाया जाएगा और यह सामाजिक समरसता और सेक्युलरिज़्म को बढ़ावा देगा।
2022 में DSS का पुनर्गठन किया गया और विमलेश यादव को इसका राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पहल को तेजप्रताप की स्वतंत्र राजनीतिक पहचान गढ़ने की कोशिश के रूप में देखा गया, लेकिन आरजेडी के भीतर इसे लेकर खासा विवाद भी खड़ा हुआ।
2. ऐश्वर्या राय से शादी और तलाक विवाद
तेजप्रताप यादव की निजी जिंदगी भी लंबे समय से राजनीतिक चर्चा का विषय रही है। 2018 में उनकी शादी चंद्रिका राय की बेटी और बिहार के दिग्गज नेता डॉ. दारोगा राय की पोती ऐश्वर्या राय से हुई थी। यह विवाह राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण समझा गया क्योंकि यह दो प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों का मेल था।
हालांकि, शादी के कुछ ही महीनों बाद तेजप्रताप ने ऐश्वर्या से अलगाव की अर्जी अदालत में दाखिल कर दी। इस तलाक प्रकरण ने सार्वजनिक रूप से काफी बवाल मचाया। हाल ही में जब तेजप्रताप का यह दावा सामने आया कि वे पिछले 12 वर्षों से किसी और के साथ रिश्ते में हैं, तब यह सवाल भी उठा कि उन्होंने ऐश्वर्या राय से शादी क्यों की? मामला अभी भी न्यायालय में लंबित है और समय-समय पर यह विवाद फिर से उभर आता है।
3. राजद अध्यक्ष जगदानंद सिंह से सीधा टकराव
साल 2021 में तेजप्रताप और राजद के तत्कालीन बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बीच गहरी खटास खुलकर सामने आई। विवाद तब शुरू हुआ जब सिंह ने तेजप्रताप के करीबी आकाश यादव को छात्र राजद के अध्यक्ष पद से हटाकर गगन यादव को नियुक्त कर दिया। इसके बाद तेजप्रताप ने सार्वजनिक मंच से जगदानंद पर हमला बोलते हुए उन्हें "तानाशाह" तक कह दिया।
हालात इतने बिगड़ गए कि लालू यादव को खुद इस विवाद में हस्तक्षेप करना पड़ा। पार्टी के भीतर इस घटना को अनुशासनहीनता और नेतृत्व को चुनौती देने के रूप में देखा गया।
4. होली पर सिपाही को ठुमका लगाने का आदेश
मार्च 2024 की होली के दौरान तेजप्रताप यादव का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे मंच पर मौजूद एक सिपाही से मजाकिया लहजे में कहते दिखे — “ठुमका लगाओ, नहीं तो सस्पेंड कर दिए जाओगे।” और फिर उन्होंने जोड़ा, “बुरा न मानो, होली है।”
हालांकि यह बात मज़ाक के रूप में कही गई थी, लेकिन वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही विपक्षी दलों ने इसे "सत्ता का दुरुपयोग" बताया और कानून-व्यवस्था के मज़ाक के तौर पर प्रचारित किया। कई वरिष्ठ अफसरों और राजनीतिक विश्लेषकों ने इस व्यवहार की आलोचना की।
5. विधानसभा में अध्यक्ष से 'दो मिनट अकेले मिलने' की मांग
2022 में बिहार विधानसभा के एक सत्र के दौरान तेजप्रताप यादव ने विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा से 'दो मिनट अकेले मिलने' की बात कही, जिसे उन्होंने "पर्सनल बात" बताया। यह तब हुआ जब किसी मुद्दे पर तेजस्वी यादव से मंच पर ही उनकी बहस हो गई थी। तेजप्रताप का यह व्यवहार उस समय आलोचना का विषय बन गया जब विपक्ष ने इसे विधानसभा की मर्यादा के खिलाफ बताया।
तेजप्रताप के इस व्यवहार को कुछ विश्लेषकों ने 'राजनीतिक अपरिपक्वता' का संकेत बताया, जबकि उनके समर्थकों ने इसे भावनात्मक विस्फोट करार दिया।
तेजप्रताप यादव की राजनीति उनके व्यवहार, बयान और व्यक्तिगत निर्णयों के कारण बार-बार सुर्खियों में रही है। जहां एक ओर वे लालू यादव की राजनीतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, वहीं दूसरी ओर लगातार सामने आने वाले विवाद उन्हें एक ‘अस्थिर’ नेता की छवि दे रहे हैं।
2025 में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे समय में पार्टी से लेकर परिवार तक के भीतर इस तरह की उथल-पुथल राजद के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकती है। तेजप्रताप के सामने अब यह बड़ा सवाल है कि वे खुद को एक जिम्मेदार नेता के रूप में पुनः स्थापित करेंगे या फिर विवाद ही उनकी स्थायी पहचान बन जाएंगे।

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