सुदामडीह-भौरा दामोदर नदी में अवैध बालू खनन का बोलबाला, एनजीटी के आदेशों की उड़ रही धज्जियाँ, प्रशासन मौन, सिंडिकेट सक्रिय
सिंदरी (धनबाद)। सिंदरी अनुमंडल क्षेत्र के सुदामडीह थाना क्षेत्र अंतर्गत सुदामडीह रिवरसाइड व भौरा दामोदर नदी से इन दिनों अवैध बालू खनन धड़ल्ले से जारी है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों की ओर से लगातार शिकायतों के बावजूद न तो प्रशासन हरकत में आया है, न ही खनन माफिया की गतिविधियों पर कोई रोक लग पाई है। इस अवैध खनन से दामोदर नदी का प्राकृतिक स्वरूप तो बिगड़ ही रहा है, साथ ही सरकार को भारी राजस्व हानि भी हो रही है।
बालू तस्करी का संगठित रैकेट सक्रिय
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पूरे क्षेत्र में एक संगठित सिंडिकेट सक्रिय है, जो ट्रैक्टर मालिकों, अवैध दुकानदारों, स्टॉकिस्टों से लेकर बाजार विक्रेताओं तक फैला हुआ है। यह सिंडिकेट प्रतिमाह लाखों रुपये की अवैध वसूली करता है। वसूली के नाम पर स्थानीय प्रशासन, खनन विभाग, झरिया अंचलाधिकारी, पुलिस, मीडिया और रंगदारों तक को लाभ पहुंचाने की बातें सामने आ रही हैं।
यह रैकेट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेशों की खुलेआम अवहेलना कर रहा है। दिन हो या रात, ट्रैक्टरों के ज़रिए बालू की ढुलाई बिना किसी रोकटोक के की जा रही है। स्थानीय लोग बताते हैं कि रात भर ट्रैक्टरों की आवाजाही के कारण उनका सुकून और नींद दोनों छिन गया है।
प्रशासन को दी गई थी कई बार शिकायत
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जिला खनन पदाधिकारी, झरिया अंचलाधिकारी, धनबाद उपायुक्त सहित अन्य संबंधित विभागों को कई बार पत्र लिखकर अवैध खनन पर रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने तस्करों, अवैध विक्रेताओं और भंडारणकर्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन अधिकारियों की चुप्पी और कार्रवाई की अनुपस्थिति से प्रतीत होता है कि या तो प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है या इस काले कारोबार में मौन समर्थन प्रदान कर रहा है।
पर्यावरणीय संकट और जनजीवन पर प्रभाव
दामोदर नदी से लगातार बालू निकालने की वजह से नदी का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता जा रहा है। नदियों के तटीय क्षेत्र पर हो रहे इस अंधाधुंध खनन से भूमि क्षरण, जलधारा में बदलाव, और पर्यावरणीय असंतुलन उत्पन्न हो रहा है। वहीं दूसरी ओर, सार्वजनिक निर्माण परियोजनाओं में इस चोरी के बालू का इस्तेमाल कर ठेकेदार भी मुनाफा कमा रहे हैं और सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
कार्रवाई की मांग
स्थानीय निवासियों ने झारखंड के डीजीपी, खनन विभाग की टास्क फोर्स, एनजीटी, और राज्य सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते इस सिंडिकेट पर लगाम नहीं लगाई गई तो आने वाले समय में न केवल पर्यावरणीय संकट बढ़ेगा, बल्कि कानून-व्यवस्था की स्थिति भी बिगड़ सकती है।
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