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राष्ट्रीय सुरक्षा विशेष संपादकीय लेख : कैमरे के पीछे जहर - यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा और पाकिस्तान की नई जासूसी रणनीति

  लेखक: अशोक कुमार झा, वरिष्ठ पत्रकार, राष्ट्रीय सुरक्षा विश्लेषक, संपादक – PSA Live News / रांची दस्तक

21वीं सदी की दुनिया युद्ध के बदलते स्वरूप को प्रत्यक्ष देख रही है। अब युद्ध केवल बंदूक और बारूद से नहीं लड़े जाते, बल्कि स्क्रीन और सोशल मीडिया की लाइनों पर छिड़ते हैं। कभी जो सीमाएं कंटीले तारों से सुरक्षित समझी जाती थीं, वे आज डेटा पैकेट्स और वर्चुअल नेटवर्क के जरिये छलनी की जा रही हैं। हाल ही में हरियाणा से गिरफ्तार यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा का मामला इसी बदले हुए युद्ध का एक खतरनाक उदाहरण है।

एक यूट्यूबर, जो बन गई पाकिस्तान की 'सॉफ्ट स्पाई'

Travel with Joनाम से सोशल मीडिया पर चर्चित ज्योति मल्होत्रा की छवि एक सामान्य ट्रैवल ब्लॉगर की थी, जो दुनिया घूमने और उसे अपने कैमरे में कैद कर यूट्यूब पर प्रस्तुत करती थी। लेकिन कैमरे के पीछे जो कहानी पल रही थी, वह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकती है।


हरियाणा के हिसार में गिरफ्तार की गई ज्योति पर ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट 1923 और भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 152 के तहत मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि वह पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात अधिकारी एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश के संपर्क में थी और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों को संवेदनशील जानकारियां साझा कर रही थी।

पाकिस्तानी दूतावास से शुरू हुई 'साजिश की स्क्रिप्ट'

साल 2023 में पाकिस्तान की यात्रा के दौरान ज्योति की मुलाकात दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में कार्यरत दानिश से हुई। वह पहली मुलाकात महज़ एक इफ्तार पार्टी का निमंत्रण लगती थी, लेकिन यहीं से शुरू हुआ एक जाल एक प्रेम, जुड़ाव, और विश्वास का मुखौटा पहनकर रची गई जासूसी साजिश

सूत्रों की मानें तो दानिश ने ज्योति को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से जुड़े लोगों से मिलवाया, जिनमें से एक जट्ट रंधावानामक व्यक्ति असल में PIO एजेंट राणा शाहबाज़ था। इन दोनों के बीच संवाद व्हाट्सएप, टेलीग्राम और स्नैपचैट जैसे एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म्स पर होता था।

वीडियो ब्लॉग नहीं, सामरिक क्षेत्र की रिपोर्टिंग!

जांच एजेंसियों ने ज्योति के यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया अकाउंट्स पर गहन निगरानी के बाद पाया कि उसने पाकिस्तानी क्षेत्रों विशेषकर लाहौर, मुल्तान, कटासराज मंदिर और वाघा बॉर्डरमें जो वीडियो शूट किए थे, उनमें सामरिक दृष्टि से संवेदनशील सूचनाएं शामिल थीं।

कुछ वीडियो में:

  • BSF मूवमेंट,
  • बॉर्डर पोस्ट की स्थिति,
  • सैन्य संरचनाओं के पास शूटिंग,
  • और पाकिस्तान की शांति और सादगीको प्रचारित करना प्रमुख था।

ये वीडियो न केवल पाकिस्तान की छवि को अंतरराष्ट्रीय मंच पर "नरम" करने का प्रयास करते हैं, बल्कि भारत की सुरक्षा व्यवस्थाओं की डिजिटल मैपिंग के रूप में दुश्मन एजेंसियों को फायदा पहुंचा सकते हैं।

पाकिस्तान की नई साजिश: इन्फ्लुएंसर नेटवर्क

यह कोई पहला मामला नहीं है, लेकिन इसके पीछे की रणनीति बिल्कुल नई है। पहले जहां जासूस सीमाओं पर हथियार लेकर पकड़े जाते थे, अब वे "कंटेंट क्रिएटर", "शांति दूत", "व्लॉगर" और "ट्रैवलर" के रूप में हमारे बीच होते हैं।

इस मामले में तीन पहलुओं को समझना आवश्यक है:

  1. भावनात्मक जुड़ावज्योति मल्होत्रा ने कई वीडियो में यह कहा कि उसकी दादी मुल्तान की थीं, इसलिए उसे पाकिस्तान से एक आत्मिक संबंध महसूस होता है।
  2. सांस्कृतिक जालपाकिस्तान उच्चायोग की ओर से आयोजित इफ्तार, साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में इन्फ्लुएंसर्स को आमंत्रित कर उन्हें धीरे-धीरे "अनौपचारिक राजनयिक" बना दिया जाता है।
  3. डेटा आधारित नियंत्रणफॉलोअर्स की संख्या, रीच और शेयर रेट को देखकर ISI जैसे संगठन तय करते हैं कि कौन-सा व्यक्ति उनके लिए फायदेमंद हो सकता है।

एक नहीं, पूरा रैकेट देश के भीतर घुसी है डिजिटल घुसपैठ

इस मामले में ज्योति के साथ छह अन्य लोगों की गिरफ्तारी हुई है। शुरुआती जांच में पता चला है कि वे सभी या तो सीधे पाकिस्तानी एजेंटों से संपर्क में थे या सोशल मीडिया पर उनसे प्रभावित होकर राष्ट्रविरोधी विचारों को प्रचारित कर रहे थे।

यह दर्शाता है कि यह घटना अकेले किसी एक लड़की की भूल नहीं, बल्कि एक सुनियोजित "साइबर-सांस्कृतिक जासूसी तंत्र" का हिस्सा है। यह तंत्र भारत के युवाओं को भावनात्मक, वैचारिक, सांस्कृतिक और तकनीकी स्तर पर तोड़ने की कोशिश कर रहा है।

ऐतिहासिक संदर्भ: जब देश की बेटियों से हुआ विश्वासघात

  • 2010मधुरी गुप्ता, इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में कार्यरत अधिकारी, ISI को जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार।
  • 2021इंदौर की हिना और कौसर, सोशल मीडिया के जरिए पाकिस्तानी जाल में फंसकर जासूसी में शामिल।
  • 2025ज्योति मल्होत्रा एक ट्रैवल व्लॉगरजिसने जासूसी के लिए अपने फॉलोअर्स का विश्वास तोड़ा।

यह पैटर्न दर्शाता है कि अब युद्ध का नया मोर्चा घर के भीतर, मोबाइल स्क्रीन पर, और सोशल नेटवर्क्स पर है।

कूटनीति या कुटिलता पाकिस्तान उच्चायोग पर सवाल

इस पूरे मामले के केंद्र में है पाकिस्तानी उच्चायोग। पहले भी कई बार यह आरोप लगते रहे हैं कि वहाँ तैनात कुछ अधिकारी कूटनीति की आड़ में जासूसी नेटवर्क चलाते हैं। दानिश और एहसान-उर-रहीम जैसे अफसरों का नाम इसी संदर्भ में सामने आ चुका है।

सरकार ने अब पाकिस्तान उच्चायोग की गतिविधियों पर अतिरिक्त नजर रखने का निर्णय लिया है और सुरक्षा एजेंसियों को कड़ा निर्देश दिया गया है कि कोई भी संदिग्ध कूटनीतिक गतिविधि तत्काल रिपोर्ट की जाए।

सरकार की प्रतिक्रिया और भविष्य की रणनीति

गृह मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। पाकिस्तान उच्चायोग की गतिविधियों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। यह भी प्रस्तावित किया गया है कि:

  • सभी प्रभावशाली सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की विदेश यात्राओं और नेटवर्क पर गहन निगरानी रखी जाए।
  • ऐसे ट्रैवल ब्लॉगर जिनके विदेश से रिश्ते हैं, उनकी फंडिंग और सहयोगियों की जांच हो।
  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए एक विशेष निगरानी प्रकोष्ठ का गठन किया जाए।

 

राष्ट्रभक्ति और डिजिटल दुनिया के द्वंद्व में फंसी युवा पीढ़ी

ज्योति मल्होत्रा का मामला सिर्फ एक जासूसी घटना नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय चेतावनी है। यह चेतावनी है उस नए खतरे से, जिसमें देशभक्ति और डिजिटल प्रसिद्धि के बीच युवाओं को गुमराह किया जा रहा है। आज जब डिजिटल राष्ट्रवाद बनाम डिजिटल प्रचारवाद की लड़ाई लड़ी जा रही है, तो यह ज़रूरी है कि समाज, सरकार, और सुरक्षा एजेंसियां मिलकर इस खतरे से निपटने के लिए एक सशक्त साइबर-राजनयिक रणनीति तैयार करें।

जासूसी अब बंदूक से नहीं, ब्यूटी कैमरे से होती है

इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि अब दुश्मन वर्दी नहीं पहनता, वह वीडियो बनाता है, व्यूज बटोरता है, और फिर उन्हीं व्यूज के पीछे एक राष्ट्रीय खतरा छुपा देता है।

यह समय है जब हमें यह समझना होगा कि हर मुस्कराती यूट्यूब थंबनेल, हर 'शांति दूत' वाली पोस्ट, और हर विदेशी लव स्टोरीके पीछे एक एजेंडा भी हो सकता है

ऐसे में देश को सुरक्षित रखना अब केवल सीमा पर तैनात हमारे जवानों की ही जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक का दायित्व है कि वह डिजिटल दुनिया में सजग प्रहरी बने

हमारे देश को केवल सीमा पर ही नहीं, बल्कि अब स्क्रीन पर भी बचाना होगा। इसके लिये अब वह समय आ गया है कि देश की रक्षा के लिये सीमा पर तैनात हमारे सैनिकों के साथ साथ कैमरा थामे नागरिक भी इस लड़ाई में राष्ट्र प्रथम संकल्प के साथ कूद पड़े और राष्ट्र के लिये बड़े से बड़े प्रलोभनों और भय को किनारे करे, तब ही हमारा हिंदुस्तान पूर्ण रूप से सुरक्षित रहेगा।"

 

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