रांची। दिव्यदेशम् श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी )मंदिर में ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की प्रसिद्ध निर्जला एकादशी व्रत का मान 07 जून शनिवार को है। अधिक दशमी तिथि का मान नषेध के कारण वैष्णवों की एकादशी व्रत द्वादशी युक्त तिथि में आज होगी । निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस एकादशी व्रत में स्नान व आचमन के अतिरिक्त जरा भी जल ग्रहण नहीं करना चाहिये। इस एकादशी का व्रत रखने से सभी एकादशी व्रतों के फल की प्राप्ति सहज ही हो जाती है। जिन्होंने शम, दम और दान में प्रवृत्त हो श्रीहरि की पूजा और रात्रि में जागरण करते हुए इस निर्जला एकादशी का व्रत किया है, उन्होंने अपने साथ ही बीती हुई सौ पीढ़ियां को और आने वाली सौ पीढियों को भगवान् श्रीमन्नारायण वासुदेव के परमधाम में पहुंचा दिया है। निर्जला एकादशी के दिन भगवान् वेंकटेश्वर श्रीकेशव की प्रसन्नता के लिए निराहार रहकर आचमन के सिवा दूसरे जल का भी त्याग करने द्वादशी को वेंकटेश्वर श्रीहरि विष्णु का पूजन करना चाहिये। गंध, धूप, पुष्प और सुंदर वस्त्र से विधिपूर्वक पूजन करके अर्चना करनी चाहिये। ऐसा करने से मनुष्य भगवान विष्णु के समीप पहुंचकर आनंद का अनुभव करता है।
श्रीवैष्णवों की निर्जला एकादशी शनिवार को मनायी जायेगी
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8:16:00 pm
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