गुरु पूर्णिमा पर दिव्य अनुष्ठानों से गूंजा श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर मंदिर, भक्तों ने की भावपूर्ण आराधना
रांची। "गुरु के अनुग्रह से हमें सच्चा ज्ञान और सद्गति की प्राप्ति होती है" — इसी भावना के साथ 10 जुलाई, गुरुवार को रांची स्थित दिव्यदेशम् श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी) मंदिर में गुरु पूर्णिमा पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ धूमधाम से मनाया गया।
अनुष्ठान की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः 4:30 बजे भगवान श्रीमन्नारायण के विश्वरूप दर्शन के साथ हुई। इसके पश्चात सुप्रभातम्, मंगलाशासनम् और पांचरात्र विधि के अनुसार नित्य पूजन संपन्न हुआ। वैदिक विधि से दूध, दही, हल्दी, चंदन, शहद, गंगाजल एवं डाभयुक्त जल से भगवान का महाभिषेक कराया गया, जिसके पश्चात श्री भगवान एवं माता लक्ष्मी का राजसी श्रृंगार किया गया।
भगवान दंपति को रेशमी वस्त्रों से विभूषित किया गया तथा सोने-चांदी व रत्नजड़ित आभूषणों से अलंकृत कर दिव्य पुष्पों से श्रृंगार निवेदित किया गया। इसके पश्चात नक्षत्र, कुंभ और कपूर से महाआरती हुई। मंदिर प्रांगण वेद ध्वनियों से गुंजायमान हो उठा जब सामूहिक रूप से महास्तुति और वेदमंत्रों का पाठ किया गया। अंत में खीर, मेवा, फल और सूजी के हलवे से बालभोग नैवेद्य अर्पित कर भक्तों में प्रसाद वितरण किया गया।
सुबह 9:00 बजे से मंदिर संचालन समिति के कार्यकारी अध्यक्ष श्री राम अवतार नारसरिया ने महा संकल्प के साथ पूजा का शुभारंभ किया। इस अवसर पर अनंतश्रीविभूषित जगद्गुरु रामानुजाचार्य परमहंस श्री स्वामी भगवानदासाचार्य जी महाराज एवं श्री स्वामी अनिरुद्धाचार्य जी महाराज के चित्रपटों को दिव्य पुष्पों से सजाया गया और उनके प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।
इसके उपरांत श्रीसूक्त, पुरुषसूक्त और विष्णु सहस्त्रनाम का सामूहिक पाठ हुआ। मुख्य महाभिषेक यजमान श्री प्रकाश एवं श्रीमती कल्पना अग्रवाल (निवासी: लालपुर, रांची) रहे।
पूरे अनुष्ठान का वैदिक संचालन पुरोहित पं. श्यामानंद झा एवं मंदिर के आचार्यगण – श्री सत्यनारायण गौतम, श्री गोपेश आचार्य एवं नारायण दास ने किया।
इस भव्य पर्व में मंदिर समिति के प्रमुख सदस्य – श्री राम अवतार नारसरिया, अनूप अग्रवाल, घनश्याम दास शर्मा, रामवृक्ष साहू, रंजन सिंह, सुशील लोहिया, अशोक फोगला समेत सैकड़ों श्रद्धालु भक्तों ने भाग लिया और गुरु व भगवान के चरणों में अपना समर्पण भाव व्यक्त किया।
गुरु पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर पूरे मंदिर परिसर में आध्यात्मिक ऊर्जा, श्रद्धा और भक्ति का अनुपम संगम देखने को मिला, जिसने उपस्थित हर भक्त को आत्मिक शांति और दिव्य आनंद का अनुभव कराया।

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