झारखंड ऊर्जा विकास श्रमिक संघ ने मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की
रांची। झारखंड के एकमात्र चालू जल विद्युत संयंत्र सिकिदिरी जल विद्युत परियोजना की उपेक्षा पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए झारखंड ऊर्जा विकास श्रमिक संघ के अध्यक्ष श्री अजय राय ने राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और ऊर्जा मंत्री से इस विषय पर त्वरित संज्ञान लेने की अपील की है।
श्री राय ने मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र के माध्यम से कहा कि भारी वर्षा के चलते परियोजना स्थल पर जल का पर्याप्त भंडार होने के बावजूद संयंत्र निष्क्रिय पड़ा है, जिससे राज्य को प्रतिदिन करोड़ों रुपये की आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। उन्होंने इसे प्रशासनिक लापरवाही, भ्रष्टाचार और लालफीताशाही का घातक उदाहरण बताया।
🔻 झारखंड की सस्ती, स्वच्छ और हरित ऊर्जा का स्रोत बन सकता है सिकिदिरी
राय ने बताया कि यह परियोजना झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड (JUUNL) के अधीन है और इसकी स्थापित उत्पादन क्षमता 130 मेगावाट है। उन्होंने कहा, “जब झारखंड को सस्ती और पर्यावरण हितैषी ऊर्जा की सर्वाधिक आवश्यकता है, तब ऐसी परियोजना का निष्क्रिय रहना दुर्भाग्यपूर्ण है।”
राय ने यह भी उल्लेख किया कि जब वर्ष 2018 में संयंत्र आंशिक रूप से चालू किया गया था, तब इसकी प्रति यूनिट उत्पादन लागत केवल ₹0.87 थी, जबकि वर्तमान में राज्य को बाहरी स्रोतों से ₹5 से ₹7 प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदनी पड़ रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब ₹1 से कम लागत में बिजली उपलब्ध कराई जा सकती है, तब राज्य के पैसे का इस तरह अपव्यय क्यों किया जा रहा है?
⚠️ तीन प्रमुख कारण बताए संयंत्र की निष्क्रियता के
अध्यक्ष अजय राय ने सिकिदिरी परियोजना की उपेक्षा के पीछे तीन गंभीर कारणों की ओर संकेत किया:
1️⃣ भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का बोलबाला
परियोजना में उपकरणों की खरीद, मरम्मत और रखरखाव के कार्यों में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं पाई गई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों द्वारा कमीशन आधारित निर्णय लिए जा रहे हैं, जिससे कार्य में पारदर्शिता और गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
2️⃣ लालफीताशाही और प्रशासनिक निष्क्रियता
परियोजना से जुड़ी छोटी-छोटी फाइलें महीनों तक लंबित पड़ी रहती हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों के बीच स्पष्ट जवाबदेही तय नहीं है, और निर्णय प्रक्रिया बेहद धीमी और ढीली है।
3️⃣ तकनीकी संसाधनों की उपेक्षा
बरसात के मौसम में जब जलभराव प्रचुर मात्रा में है, तब भी इसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। यह सस्ती और हरित ऊर्जा के उत्पादन की संभावनाओं को नजरअंदाज करने जैसा है।
📢 मुख्यमंत्री से त्वरित संज्ञान की मांग
श्रमिक संघ ने स्पष्ट रूप से मांग की है कि:
- परियोजना की निष्क्रियता की उच्च स्तरीय स्वतंत्र जांच करवाई जाए।
- दोषी अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।
- सिकिदिरी परियोजना को शीघ्र पुनः सक्रिय किया जाए।
श्री अजय राय ने जोर देकर कहा कि यह परियोजना झारखंड की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सशक्त आधार बन सकती है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि वे इस मामले को व्यक्तिगत संज्ञान में लें और ऊर्जा विभाग, वित्त विभाग, तथा JUUNL प्रबंधन को शीघ्र समन्वय कर इस दिशा में प्रभावी कार्रवाई के निर्देश दें।
🔍 इतिहास और महत्त्व
सिकिदिरी जल विद्युत परियोजना झारखंड की प्राचीनतम और एकमात्र चालू जल ऊर्जा परियोजना है। यह रांची से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित है और इससे न केवल बिजली उत्पादन होता है, बल्कि आसपास के ग्रामीण इलाकों में रोजगार, सिंचाई, और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती भी मिलती है।
परियोजना के निष्क्रिय हो जाने से न केवल राज्य की वित्तीय स्थिति प्रभावित हो रही है, बल्कि स्थानीय श्रमिकों और तकनीकी कर्मचारियों के रोजगार पर भी संकट गहराता जा रहा है।
🔚 अब नहीं हो सकती और अनदेखी
राज्य सरकार को चाहिए कि वह इस परियोजना को रणनीतिक दृष्टिकोण से देखे और इसे पुनर्जीवित कर हरित ऊर्जा अभियान के हिस्से के रूप में विकसित करे। सिकिदिरी जैसी परियोजनाएं झारखंड को न केवल सस्ती बिजली दे सकती हैं, बल्कि कार्बन उत्सर्जन कम करने और ऊर्जा आयात पर निर्भरता घटाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं।
✍ रिपोर्ट: PSA Live News ब्यूरो, रांची
📅 दिनांक: 9 जुलाई 2025

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