राँची के कुटे में हटिया विस्थापित परिवार समिति की बैठक संपन्न, घुरती मेला में प्रशासन को सहयोग का आश्वासन
व्यवसायीकरण के खिलाफ ग्रामीणों में गहरा असंतोष, ऐतिहासिक परंपरा को बचाने की उठी आवाज़
राँची। राजधानी राँची के कुटे गांव में हटिया विस्थापित परिवार समिति की एक अहम बैठक आज सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष पंकज शाहदेव ने की। इसमें घुरती रथ मेला को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जिनमें प्रशासन को सहयोग देने और मेला की ऐतिहासिक गरिमा को बरकरार रखने की सामूहिक प्रतिबद्धता प्रमुख रही।
🛕 घुरती मेला में ग्रामीण करेंगे प्रशासन का सहयोग
बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि घुरती रथ मेला के दौरान मेला में आने-जाने वाले आम लोगों, श्रद्धालुओं और प्रशासनिक अधिकारियों को हरसंभव सहयोग प्रदान किया जाएगा।
समिति अध्यक्ष पंकज शाहदेव ने कहा कि
“हमारे पूर्वजों ने घुरती मेला की परंपरा को वर्षों पूर्व शुरू किया था। यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि स्थानीय आर्थिक गतिविधियों और सांस्कृतिक जुड़ाव का एक सशक्त माध्यम रहा है। हर साल की तरह इस बार भी ग्रामीण शांतिपूर्वक मेला संचालन में प्रशासन का पूर्ण सहयोग करेंगे।”
⚠️ मेला के व्यवसायीकरण पर नाराज़गी, परंपरा से छेड़छाड़ का आरोप
बैठक में यह मुद्दा भी प्रमुखता से उठा कि पिछले कुछ वर्षों से मेले का अत्यधिक व्यवसायीकरण हो गया है, जिससे स्थानीय ग्रामीणों को आर्थिक नुकसान और अन्याय झेलना पड़ रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि पहले मेला से आसपास के गांवों के लोगों को स्थानीय उत्पाद बेचने और रोज़गार का अवसर मिलता था, लेकिन अब बाहरी व्यापारियों और आयोजकों के दबदबे से स्थानीय सहभागिता सीमित हो गई है।
एक ग्रामीण प्रतिनिधि ने कहा:
“मेला का मूल उद्देश्य गांवों को जोड़ना, परंपरा को जीवित रखना और स्थानीय जनता को आर्थिक संबल देना था। अब बाहरी व्यवसायिक हितों के चलते ग्रामीणों को हाशिये पर डाल दिया गया है। अगर यही स्थिति बनी रही तो आने वाले वर्षों में इस व्यवसायीकरण का विरोध तेज़ हो सकता है।”
👥 बैठक में शामिल प्रमुख लोग
इस महत्वपूर्ण बैठक में दर्जनों ग्रामीणों की उपस्थिति रही। मनोज बैठा, पारस शाहदेव, दिलीप बैठा, कालीचरण लोहार, विशाल गुप्ता, मृत्युंजय लोहार, सरजू महतो, अर्जुन महतो, पवन लोहार, अमर बैठा, संदीप लोहार, रामकिशुन महतो, विकी कुमार, शोले उरांव, ऐते उरांव, रोहित बैठा, प्राण लोहार, अंकित कुमार महतो, सुमित कुमार, सोनू बैठा और मोनु बैठा समेत कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ता व ग्रामीण बैठक में शामिल हुए।
📌 क्या है घुरती मेला की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि?
घुरती रथ मेला राँची के ग्रामीण इलाकों में सदियों पुरानी परंपरा है, जो रथ यात्रा के अवसर पर आयोजित होती है। यह मेला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है, बल्कि स्थानीय व्यापार, हस्तशिल्प और सामाजिक समन्वय का भी केंद्र बिंदु रहा है।
विस्थापित परिवारों और स्थानीय समुदायों के लिए यह मेला सामूहिक पहचान और सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक बन चुका है।
✅ निष्कर्ष
हटिया विस्थापित परिवार समिति की यह बैठक ग्रामीणों की सामूहिक चेतना, सांस्कृतिक विरासत और लोकतांत्रिक संवाद का बेहतरीन उदाहरण है। एक ओर जहां ग्रामीण प्रशासन के साथ सहयोग की प्रतिबद्धता दोहरा रहे हैं, वहीं मेले के व्यवसायीकरण के विरुद्ध उठ रही आवाज़ यह संकेत दे रही है कि यदि स्थानीय हितों की अनदेखी की गई तो भविष्य में आंदोलन का रूप भी ले सकती है।

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