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रामनगर में कचरा प्रोसेसिंग प्लांट को लेकर हंगामा – निवासियों ने निर्माण रुकवाया, नगर आयुक्त के बयान से भड़की नाराज़गी

रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने दिलाया आश्वासन – “आबादी क्षेत्र में नहीं बनने देंगे प्लांट”



रांची :
राजधानी रांची के लोहा सिंह मार्ग, रामनगर आईटीआई परिसर में बन रहे कचरा प्रोसेसिंग प्लांट को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। शनिवार को स्थानीय निवासियों ने एकजुट होकर निर्माण कार्य रुकवा दिया। लोगों का कहना है कि यह प्लांट घनी आबादी, स्कूल-कॉलेज और अस्पतालों से घिरे इलाके में बनाया जा रहा है, जिससे गंभीर दुर्गंध, प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा होंगे।

निवासियों ने इस मुद्दे को लेकर रक्षा राज्य मंत्री और रांची सांसद श्री संजय सेठ से मुलाकात की। श्री सेठ ने आश्वासन दिया कि जनता की चिंता जायज़ है और आबादी क्षेत्र में किसी भी कीमत पर यह प्लांट नहीं बनने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रशासन को ऐसी वैकल्पिक जगह ढूंढनी चाहिए जहां लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

“नगर आयुक्त का तानाशाही रवैया”, बोले स्थानीय लोग

निवासियों के प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे पर नगर आयुक्त से भी मुलाकात की, लेकिन उनका रवैया लोगों के गुस्से का कारण बन गया। स्थानीय लोगों के अनुसार, नगर आयुक्त ने स्पष्ट शब्दों में कहा—

“कंपनी का पैसा लग चुका है, इसलिए अब हम कुछ नहीं सुनेंगे। जो करना है कर लीजिए, प्लांट यहीं बनेगा।”

लोगों ने इस बयान को असंवेदनशील और तानाशाहीपूर्ण बताया। मोहल्लेवासियों का कहना है कि जनता की आवाज़ को न सुनना और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को नज़रअंदाज़ करना किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्वीकार्य नहीं हो सकता।

चिल्ड्रन हॉस्पिटल, कॉलेज और आवासीय इलाके के बीच क्यों बनाया जा रहा प्लांट?

स्थानीय निवासियों ने बताया कि रामनगर आईटीआई परिसर का इलाका पूरी तरह घनी आबादी वाला है
यहाँ नज़दीक में –

  • एक चिल्ड्रन अस्पताल,
  • कई शैक्षणिक संस्थान,
  • और आईटीआई कॉलेज स्थित हैं।

लोहा सिंह मार्ग का आईटीआई मैदान ही वह एकमात्र खुली जगह है जहाँ बच्चे खेलते हैं, बुज़ुर्ग टहलते हैं और स्थानीय लोग सामुदायिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
निवासियों का कहना है कि –

“जहाँ निगम ने कभी स्वास्थ्य केंद्र या छोटा चिल्ड्रन पार्क बनाने से यह कहकर मना किया कि जमीन नहीं है, वहीं अब उसी जगह पर प्रदूषण फैलाने वाला प्लांट बनाने की मंजूरी दे दी गई। यह विरोधाभास और जनता के साथ अन्याय है।”

स्वास्थ्य और पर्यावरण को लेकर बढ़ी चिंताएँ

पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, कचरा प्रोसेसिंग प्लांट से उत्सर्जित दुर्गंध, धुआँ और धूलकण आसपास के वातावरण को दूषित कर सकते हैं। इससे श्वसन संबंधी रोग, त्वचा एलर्जी और मानसिक तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है, विशेषकर बच्चों और बुज़ुर्गों में।
स्थानीय महिला समूहों ने चिंता जताई कि प्लांट शुरू होने के बाद इस क्षेत्र में मक्खी, मच्छर और दूषित जल स्रोतों की समस्या बढ़ जाएगी।

“हम स्वास्थ्य के साथ समझौता नहीं करेंगे” – निवासियों का संकल्प

मोहल्ले के नागरिकों ने साफ कहा है कि वे किसी भी कीमत पर इस प्लांट को आबादी क्षेत्र में नहीं बनने देंगे।
लोहा सिंह मार्ग के निवासी मनोज वर्मा ने कहा –

“यह मैदान हमारे बच्चों और बुज़ुर्गों की एकमात्र सांस लेने की जगह है। इसे कचरा घर बनाना शहर के विकास नहीं, विनाश की दिशा में कदम है।”

अर्चना श्रीवास्तव, जो स्थानीय महिला संगठन की सदस्य हैं, ने कहा –

“हम निगम से आग्रह कर चुके हैं कि इस क्षेत्र को ग्रीन जोन घोषित किया जाए। अगर प्लांट बनाना ही है, तो इसे शहर की सीमा से बाहर, औद्योगिक क्षेत्र में बनाया जाए।”

विकल्प मौजूद, पर सुनने को तैयार नहीं निगम

निवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार नगर निगम को प्रस्ताव दिया कि शहर के बाहरी हिस्सों जैसे टाटीसिल्वे, नामकुम औद्योगिक क्षेत्र या रातू रोड के किनारे ऐसे प्लांट के लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं।
परंतु निगम के अधिकारी “कंपनी का निवेश हो चुका है” कहकर जनता की बातों को नजरअंदाज कर रहे हैं।

जनता बनाम निगम – टकराव की स्थिति

स्थानीय निवासियों का विरोध अब संगठित रूप ले रहा है। मोहल्ले में प्रतिदिन सभाएँ आयोजित हो रही हैं।
लोगों ने निर्णय लिया है कि यदि प्रशासन ने निर्माण कार्य दोबारा शुरू किया, तो जन आंदोलन और धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
साथ ही निवासियों ने राज्य सरकार, नगर विकास विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लिखित रूप में हस्तक्षेप की माँग की है।

“विकास जरूरी है, लेकिन विवेक के साथ”

निवासियों का कहना है कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन विकास के नाम पर नागरिकों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
उनका स्पष्ट मत है –

“अगर नगर निगम जनता से संवाद स्थापित करे और सही स्थान का चयन करे, तो न केवल विवाद खत्म होगा बल्कि यह परियोजना शहर के लिए उपयोगी भी सिद्ध होगी।”

अंततः सवाल यह कि – क्या निगम जनता की आवाज़ सुनेगा?

रामनगर आईटीआई का यह विवाद अब केवल एक मोहल्ले की समस्या नहीं रह गया है, बल्कि यह शहरी नियोजन, पारदर्शिता और जनसुनवाई की प्रक्रिया पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
नगर निगम को अब यह तय करना होगा कि वह जनता के हित में निर्णय लेगा या कंपनी के निवेश के दबाव में।

रामनगर में कचरा प्रोसेसिंग प्लांट को लेकर हंगामा – निवासियों ने निर्माण रुकवाया, नगर आयुक्त के बयान से भड़की नाराज़गी रामनगर में कचरा प्रोसेसिंग प्लांट को लेकर हंगामा – निवासियों ने निर्माण रुकवाया, नगर आयुक्त के बयान से भड़की नाराज़गी Reviewed by PSA Live News on 7:59:00 pm Rating: 5

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