रांची। 16 दिसम्बर से शुरु और 14 जनवरी को समापन होने वाला यह धनुर्मास का व्रत श्रीगोदा - रंगनाथ को समर्पित बड़े ही नियम - निष्ठा के साथ मनाया जा रहा हैं । भगवान की प्राप्ति कराने वाला यह व्रत, कुवारें युवा युवतियों को सुयोग्य साथी के साथ विवाह बंधन में जोड़ने वाला तथा सब प्रकार के अभीष्ट वरदानों को देने वाला है । त्याग, समर्पण और उपासना के इस व्रत को श्रीमहालक्ष्मी स्वरूपा श्रीराधारानी ने गोपियों के साथ धनुर्मास की संक्रांति में भगवत्प्राप्ति के लिये कात्यायनी व्रत को किया तथा पुनः वही महालक्ष्मी की अवतारिका श्रीआण्डाल (गोदाम्बा देवी) ने भगवान् वटपत्रशायी को पति रूप में प्राप्त करने को इस व्रत का अनुसंधान किया । एक माह की अवधिवाले इस महाव्रत के दौरान प्रत्येक दिन श्री गोदा देवी द्वारा रचित 173 गाथाएं और तिरूप्पावै आदि प्रबंधों का पाठ किये जाते हैं । ब्रह्ममुहूर्त के बेला में भगवान श्रीमन्नारायण का विशेष सेवा -पूजा, वंदना -अर्चना आदि सेवाएं समर्पित की जाती है।
धनुर्मास व्रत के आज आठवें दिन भगवान श्रीवेंकटेश्वर ,भगवती महालक्ष्मी श्रीदेवी, महालक्ष्मी भूमि देवी ,श्रीपति भगवान ,उत्सव विग्रह भगवान और आयुधवर चक्रराज सुदर्शन का विधिवत तिरूवाराधन करके दूध, दही, हल्दी ,चंदन, नारियल जल, गंगाजल, केसर युक्त जल और शहद से पृथक -पृथक क्रमानुसार महाभिषेक कराया गया । भाँति-भाँति के उपचार एवं मंत्रों के प्रयोग के साथ महाभिषेक हुआ । फिर सभी प्रतिष्ठापित विग्रहों को रेशमी वस्त्रों से आवृत करके फिर दिव्य सद्भूषणों से सुसज्जित किया और नक्षत्र ,कुंभ एवं कर्पूर की बाती से महाआरती हुयी । भगवान् को आज के नये 'कीलवानम ' नामका पोशाक धारण कराया । कीलवानम का अर्थ- पूरब दिशा से प्रातः का प्रकाश होता है।
खीर ,पोंगल ,चटनी ,फल और मेवे का बालभोग निवेदित किया गया ।
आज उद्यास्तमन सेवा सहित महाभिषेक के यजमान श्री पुलक सिंघानिया धर्मपत्नी श्रीमती आयुषी सिंघानिया रांची निवासी हुए अर्चक श्री सत्यनारायण गौतम श्री गोपेश आचार्य और श्री नारायण दास आज के अनुष्ठान को विधिपूर्वक संपन्न कराया।
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10:10:00 am
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