संदीप विश्वविद्यालय सिजौल, (मधुबनी) में बी०एड० तथा डी०एल०एड० के छात्राध्यापकों का सत्रारंभ सह् अभिनंदन समारोह का हुआ आयोजन
संवाददाता - सुजीत मिश्रा ।
मधुबनी । संदीप विश्वविद्यालय के सभागार में शनिवार को एजुकेशन विभाग के विभागाध्यक्ष श्री आनंद कुमार चौधरी की अध्यक्षता में बी०एड० तथा डी०एल०एड० (सत्र-2021-23) के छात्राध्यापकों का ऑफलाइन सत्रारंभ सह् अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया । वैसे करोना के गाइडलाइन के मद्देनजर पूर्व से ही ऑनलाइन क्लास आयोजित की जाती थी ।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि पॉलिटेक्निक के विद्वान प्राचार्य श्री संजय झा, कुलसचिव जनाब रौनक हुसैन एवं संकाय अध्यक्ष डॉ०बी०सी० चौधरी ने दीप प्रज्वलित कर तथा मंत्रोच्चारण के साथ सरस्वती चित्र पर पुष्प अर्पण कर किया । पुराने छात्राध्यापक दीवा ज्योति तथा सोनी कुमारी ने स्वागत गीत (पाहुन छथि आयल....) गाकर नए सत्र के छात्राध्यापकों तथा अतिथियों का स्वागत किया । मंच संचालन का कार्य एजुकेशन विभाग के स० प्रवक्ता श्री सुजीत कुमार मिश्र ने किया ।
सभागार में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉ० गगन कुमार झा ने कहा कि 'यहां शिक्षकों का निर्माण होता है, जो सभ्य नागरिक का निर्माण करते हैं ।' मुख्य अतिथि पॉलिटेक्निक के प्राचार्य श्री संजय झा ने अपने अभिभाषण में कहा कि, 'हमारे समाज के निर्माण में अध्यापक की अहम भूमिका होती है, क्योंकि यह समाज उन्हीं बच्चों से बनता है, जिसकी शिक्षा का जिम्मा अध्यापक पर होता है । यह अध्यापक ही हैं, जो उन्हें समाज में एक अच्छा नागरिक बनाने के साथ-साथ उसका सर्वोत्तम विकास में भी योगदान करते हैं।' उन्होंने आगे कहा कि 'किसी भी राष्ट्र के निर्माण में शिक्षकों की भूमिका ही सबसे अधिक होती है । शिक्षा का केंद्रीय घटक विद्यार्थी होता है और उन्हें सही दिशा निर्देश करने वाला प्रमुख घटक शिक्षक होते हैं। शिक्षा के अनेक उद्देश्यों की पूर्ति शिक्षकों के माध्यम से ही होती है ।'
विभाग के शिक्षकों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि, 'हमारे शिक्षक अपने दायित्व का निर्वाह भली-भांति करने हेतु सदैव तत्पर रहते हैं।' विश्वविद्यालय के कुलसचिव जनाब रौनक हुसैन ने कहा कि, ' बदलते वक्त के साथ खुद को अपडेट करने का एक अहम जरिया है प्रशिक्षण ।' सभी छात्राध्यापकों को संबोधित करते हुए डॉ०बी०सी० चौधरी ने कहा कि, 'शिक्षा में शिक्षक ही सामाजिक विकास के सूत्रधार होते हैं । अतः आज जरूरत है शिक्षक-प्रशिक्षण की गंभीरता व उसकी उपयोगिता में विश्वास के साथ सीखने-सिखाने के माहौल को बनाने की ।'
साथ ही उन्होंने कहा कि, 'शिक्षक की यह जिम्मेदारी है कि, वह आदर्श गुणों को अपनाएं और समाजोपयोगी नीतियों से छात्रों को अवगत कराएं ।' विभाग के विभागाध्यक्ष श्री अनंद कुमार चौधरी ने सभी छात्राध्यापकों को महाविद्यालय के सामान्य नियमों से अवगत कराया साथ ही सभी छात्राध्यापकों से अपील की कि, वे नियमित रूप से कक्षा में आएं । विदुषी रूपम कुमारी ने अपने मन के उद्गार को व्यक्त करते हुए वर्तमान परिदृश्य में सरकारी और निजी स्कूलों के बीच का फर्क स्पष्ट करते हुए कहा कि 'आज सरकारी स्कूलों में तो सभी नौकरी करना चाहते हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों में अपने बच्चे को नहीं भेजना चाहते, इस बीच की दूरी को हमें समझ कर उसे खत्म करना होगा ।' कार्यक्रम में बी०एड० तथा डी०एल०एड० के द्वितीय वर्ष के छात्र दिव्यांशु शेखर, देवानन्द, प्रीतम कुमार आदि ने भी अपनी बातों को रखा । नए प्रशिक्षुओं की तरफ से संतोष कुमार झा ने कॉलेज के व्यवस्था की प्रशंसा की और अपने विश्वविद्यालय से संबंधित स्वरचित एक कविता पाठ किया ।
स०प्रवक्ता रणविजय आनंद, स०प्र०श्री ( डॉ०) उमाकर ठाकुर, स०प्र० श्री अरुण कुमार यादव, स०प्र० डॉ० गौतम कुमार झा, पुस्तकालयाध्यक्ष सुजीत कुमार झा के संग सभी शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों की गरिमामयी उपस्थिति थी । धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष श्री आनंद कुमार चौधरी ने किया । कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रगान के बाद कार्यक्रम का समापन किया गया ।

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