रांची । ऐसे महिलाएं व बच्चे जो किसी भी तरह से प्रताड़ना या ह्यूमन ट्रैफिकिंग का शिकार हुए हैं, ऐसे पीड़ितों के लिए राज्य को सहयोग करने हेतु भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने देशभर के सभी राज्यों के लिए 200 करोड़ रुपए की राशि एकमुश्त निर्गत की है। इस राशि से ऐसे पीड़ितों को मुआवजा दिया जाना है, जो किसी न किसी रूप से दुष्कर्म, एसिड अटैक, बच्चों के विरुद्ध अपराध और ह्यूमन ट्रैफिकिंग के शिकार हुए हो। राज्य सरकार को योजना बनानी है और फिर इस राशि का उपयोग उनके पुनर्वास व उनके जीवन यापन से संबंधित कल्याणकारी कार्यों में किया जाना है। उक्त आशय की जानकारी केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने लोकसभा में लिखित रूप से दी। सांसद श्री संजय सेठ के अतारांकित सवाल के जवाब में श्रीमती स्मृति ईरानी ने बताया कि यह मामला पूरी तरह से राज्य का है और राज्य को इस मामले में अधिक गंभीरता बरतनी है। चाहे पीड़ितों के लिए योजनाएं बनानी हो या उनके कल्याणकारी कार्य करना हो। इस दिशा में केंद्र सरकार आर्थिक रूप से मदद करती है और इसी के तहत देशभर में ऐसे पीड़ितों के लिए निर्भया फंड से 200 करोड रुपए एकमुश्त राशि निर्गत की गई है।
सांसद संजय सेठ ने यह भी जानना चाहा कि झारखंड से ह्यूमन ट्रैफकिंग का शिकार हुए बच्चों की संख्या कितनी है और विभिन्न रूपों से प्रताड़ित महिलाओं की संख्या कितनी है? इस सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 2018 में 18 वर्ष से ऊपर की आयु की 30 महिला प्रताड़ना का शिकार हुई। 2019 में 48 महिलाएं प्रताड़ना का शिकार हुई और 2020 में 150 प्रताड़ना का शिकार हुई। मतलब 2018 से 20 तक 3 वर्षों में इस संख्या में तीन गुना से भी अधिक इजाफा हुआ है। वही 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों के ट्रैफिकिंग मामले में गिरावट आई है। 2018 में 218 बच्चे इसके शिकार हुए जबकि हुए जबकि 2019 में 172 बच्चे, व 2020 में 114 बच्चे ट्रैफिकिंग का शिकार हुए।
केंद्रीय मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि ह्यूमन ट्रैफिकिंग और इस तरह के अपराधों को रोकना, छानबीन करना, उस पर केस दर्ज करना, उसकी जांच करना, यह सारा मामला राज्य सरकार का मामला है। राज्य सरकार ही इस क्षेत्र में काम करती है और संवैधानिक रूप से भी राज्य सरकार ही इसके लिए अधिकृत है।
कोई टिप्पणी नहीं: