इसका प्रयोग किसी भी रूप में किया जाय इसके गुणों में कोई कमी नहीं आती है. प्राचीन काल से ही इसे सर्वगुण सम्पन्न फल माना जाता रहा है. विटामिन्स और भी कई रासायनिक गुणों से समृद्ध ये फल सर्दियों में खासकर उपलब्ध होता है.
अचार, सब्जी, छुन्दा, मुरब्बा व सुपारी के रूप में विभिन्न प्रकार से इसका उपयोग हम किया करते हैं.
हर साल की तरह इस साल भी बनायें "आंवला कैंडी".
बिल्कुल सादा और सरल तरीके से. एक किलो ताजा रसीला आंवला लेकर उन्हें एक दिन के लिए पानी में भिगोकर रखें और दूसरे दिन आंवला को अच्छी तरह से धोकर स्टीमर में 12-15 मिनट तक मध्यम आंच पर भाप से पका लें.
बाद में स्टीमर से निकालकर उन्हें हल्का सा ठंडा होने दें और उनकी फांके निकालकर गुठलियों को अलग कर लें.
आंवला की फांको को एक गहरे बर्तन में लेकर उन पर एक इंच ऊपर तक चीनी भर लें और ढक्कन लगाकर रख दें.
एक दिन बाद आप देखेंगे कि चीनी पूरी तरह घुलकर रस बन गई है और आंवले ऊपर तैर रहे हैं, तो आप इस मिश्रण को एक साफ चम्मच से अच्छी तरह हिलाकर वापस ढककर 2-3 दिन के लिए रख दें, ध्यान रखें कि इसे दिन में एक दो बार चम्मच से चलाते रहें, ताकि फफूंद नही लगे.
दो दिन के बाद आप देखेंगे कि आंवले रस से भरकर नीचे डूब गए हैं. इसे एक दिन के लिए और रखकर आंवलों को रस में से निकालकर एक बड़े थाल में फैलाकर धूप में रखें. दिनभर की तेज धूप से इसका रस सूख जाता है.
बाद में इन सूखे हुए आंवलों को एक बर्तन में रखकर उन पर पिसी हुई चीनी, कालीमिर्च पाउडर और पिसा हुआ काला नमक डालकर अच्छी तरह से चलाएं ताकि सभी आंवलों पर कोटिंग हो जाये.
बाद में इस चटपटी ज़ायकेदार स्वास्थ्यवर्धक आंवला कैंडी को एक साफ कांच के मर्तबान में भरकर रख दें और फिर इसे अपनी सुविधानुसार खाने का आनंद लें.

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