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आतंकिस्तान को दिया गया अंतर्राष्ट्रीय फंड: क्या यह ऋण मानवता के खिलाफ युद्ध छेड़ने की फंडिंग नहीं है?

 लेखक – अशोक कुमार झा, संपादक, PSA Live News / Ranchi Dastak

आज जब पूरी दुनियाँ आतंकवाद से त्रस्त है, जब मासूम बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक को मौत की आगोश में झोंक दिया जाता है, तब सबसे बड़ा प्रश्न यह खड़ा होता है — क्या अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं भी इस आग में घी डालने का काम कर रही हैं?

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने हाल ही में पाकिस्तान को 1 लाख मिलियन डॉलर (100 बिलियन डॉलर) का भारी-भरकम ऋण प्रदान किया है। यह ऋण उस मुल्क को दिया गया है, जिसे आज 'आतंकियों की जन्नत' कहा जाता है — एक ऐसा देश जो अब 'पाकिस्तान' नहीं बल्कि 'आतंकिस्तान' के नाम से पहचाना जाता है। सवाल यह है कि क्या IMF की यह सहायता विश्व शांति की हत्या नहीं है? क्या यह निर्णय अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता और सुरक्षा के हर उस सिद्धांत को नहीं रौंदता, जिसकी दुहाई वैश्विक मंचों पर दी जाती है?

पाकिस्तान: आतंक का पालक, पोषक और प्रचारक

पाकिस्तान की धरती पर आज भी हाफिज सईद, मसूद अज़हर, दाऊद इब्राहिम और सैयद सलाउद्दीन जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकियों को न सिर्फ पनाह मिली हुई है, बल्कि उन्हें आलीशान घर, सुरक्षा व्यवस्था और वित्तीय सहायता तक उपलब्ध कराई जा रही है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठन यहां खुलेआम रैलियाँ करते हैं, मस्जिदों और मदरसों के नाम पर हथियारों का जखीरा तैयार किया जाता है, और निर्दोषों की हत्या को 'जिहाद' का नाम देकर महिमामंडित किया जाता है।

ऐसे में जब IMF जैसा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठन पाकिस्तान को इतना बड़ा ऋण देता है, तो वह न केवल उस देश की आतंकवादी गतिविधियों को परोक्ष रूप से आर्थिक संबल देता है, बल्कि पूरी वैश्विक व्यवस्था को मूकदर्शक बना देता है।

परमाणु हथियारों के साथ आतंकिस्तान: विश्व शांति के लिए भयावह भविष्य

यह कोई रहस्य नहीं है कि पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति संपन्न देश है। लेकिन जब वही देश आतंकवादियों को संरक्षण देता है, उन्हें ट्रेनिंग देता है और उन्हें सीमाओं के पार भेजता है, तब यह परमाणु शक्ति महज़ एक ‘बटन’ बन जाती है, जो कभी भी मानवता को समाप्त करने के लिए दबाया जा सकता है।

क्या दुनियाँ अब भी इंतज़ार करेगी उस दिन का, जब आतंकियों के हाथों में परमाणु बम होगा? क्या हमने हिरोशिमा और नागासाकी से कोई सबक नहीं लिया? आज यदि कोई देश परमाणु अस्त्रों का सबसे गैर-जिम्मेदार मालिक है, तो वह पाकिस्तान है। यदि आज यह भूल से उसके पास पहुँच गया है, तो क्या वैश्विक शक्तियों का यह कर्तव्य नहीं बनता कि समय रहते यह भूल सुधारी जाए?

IMF का ऋण: आतंकवाद की रीढ़ मज़बूत करने वाला इंजेक्शन

IMF द्वारा पाकिस्तान को दिया गया यह ऋण किसी गरीब देश की भूख मिटाने या स्वास्थ्य सेवा सुधारने के लिए नहीं गया है। इसका उपयोग होगा –

  • भारत, अफगानिस्तान और ईरान में आतंकवाद फैलाने में,

  • आतंकी संगठनों की भर्ती और प्रशिक्षण में,

  • ड्रोन व हथियारों की खरीद के लिए काली अर्थव्यवस्था चलाने में,

  • और धार्मिक उन्माद फैलाकर पूरे दक्षिण एशिया में अस्थिरता पैदा करने में।

क्या यह ऋण मानवता के खिलाफ युद्ध छेड़ने की फंडिंग नहीं है?

वैश्विक शक्तियों की चुप्पी: क्या यह आतंकवाद को मौन समर्थन है?

आज अमेरिका, जर्मनी, जापान और ब्रिटेन जैसे देश — जो मानवाधिकार और वैश्विक न्याय के सबसे बड़े झंडाबरदार हैं — वे सब इस विषय पर चुप हैं। क्यों? क्या आर्थिक और कूटनीतिक हित आतंकवाद के खतरे से बड़े हो गए हैं?

अमेरिका ने जिस पाकिस्तान को कभी "Non-NATO Ally" घोषित किया था, आज वही देश उसके ही सैनिकों की जान लेने वाले आतंकियों को पालता है। जर्मनी और जापान जैसे राष्ट्र, जो अतीत में युद्धों से सबक ले चुके हैं, वे भी आज आंखें मूँदकर पाकिस्तान को मिल रही फंडिंग पर खामोश हैं। यह खामोशी अब सहमति जैसी प्रतीत होती है।

अब निर्णय का समय है: आतंकिस्तान के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई आवश्यक

हिंदुस्तान और इस क्षेत्र के हर जागरूक नागरिक को, हर सरकार को, हर पत्रकार, लेखक, समाजसेवी को आज यह मांग करनी चाहिए —

  1. IMF द्वारा पाकिस्तान को दिया गया ऋण तत्काल रद्द हो,

  2. पाकिस्तान की सभी अंतरराष्ट्रीय फंडिंग पर रोक लगे,

  3. उसे परमाणु हथियार रखने से प्रतिबंधित किया जाए,

  4. और यदि आवश्यक हो तो संयुक्त राष्ट्र के तहत निरीक्षण में उसके परमाणु जखीरे को निष्क्रिय किया जाए।


IMF का ऋण: आतंकिस्तान की फंडिंग?

🔍 ऋण का विवरण:

  • $1 बिलियन: IMF द्वारा पाकिस्तान को जारी किया गया, जो $7 बिलियन के आर्थिक स्थिरीकरण कार्यक्रम का हिस्सा है।

  • $1.4 बिलियन: जलवायु लचीलापन सुविधा (Resilience and Sustainability Facility) के तहत नया ऋण, जिससे कुल सहायता $2.4 बिलियन हो गई है।

⚠️ भारत की आपत्ति:

  • भारत ने IMF की वोटिंग में भाग नहीं लिया, यह कहते हुए कि पाकिस्तान को बार-बार दिए गए बेलआउट से सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा मिल सकता है।

💣 पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियाँ:

  • पाकिस्तान की धरती पर हाफिज सईद, मसूद अज़हर, दाऊद इब्राहिम जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकियों को पनाह मिली हुई है।

  • कश्मीर में हालिया आतंकी हमलों के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकियों का हाथ बताया गया है।

💰 ऋण का संभावित दुरुपयोग:

  • आतंकवादी संगठनों को आर्थिक सहायता देने के लिए IMF के ऋण का दुरुपयोग हो सकता है।

  • पाकिस्तान के रक्षा बजट में वृद्धि, जबकि सामाजिक कल्याण और विकास कार्यक्रमों में कटौती की जा रही है।

🌐 वैश्विक प्रतिक्रिया:

  • अमेरिका, जर्मनी, जापान जैसे देशों ने अभी तक पाकिस्तान को दी जा रही अंतरराष्ट्रीय सहायता पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

  • IMF ने भारत की आपत्तियों को नजरअंदाज करते हुए पाकिस्तान को ऋण प्रदान किया।

पाकिस्तान आज एक राष्ट्र नहीं, एक वैश्विक आतंक प्रयोगशाला बन चुका है। और यदि दुनियाँ अब भी नहीं जागी, तो वह दिन दूर नहीं जब न्यूयॉर्क, लंदन, पेरिस, बर्लिन या टोक्यो की सड़कों पर भी वही आग फैलेगी, जो आज तक काबुल, श्रीनगर और इज़राइल के बाजारों में धधकती रही है। 

अब नहीं तो कभी नहीं। IMF को पाकिस्तान को ऋण देने से पहले यह सोचना होगा कि वह आतंकियों को हथियार दे रहा है या जरूरतमंदों को सहायता। दुनियाँ को अब आतंकिस्तान के खिलाफ एकजुट होकर निर्णायक कार्रवाई करनी ही होगी।


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