लेखक: अशोक कुमार झा, संपादक – रांची दस्तक एवं PSA Live News
दक्षिण एशिया एक बार फिर उस खतरनाक मोड़ पर खड़ा दिखा, जहाँ दो परमाणु ताकतें आमने-सामने थीं और केवल कुछ कूटनीतिक प्रयासों ने उन्हें एक महाविनाशक टकराव से रोका। न्यूयॉर्क टाइम्स की हालिया रिपोर्ट ने यह संकेत दिया है कि पाकिस्तान की आशंका यह थी कि हिंदुस्तान ने उसके परमाणु नियंत्रण तंत्र को निशाना बनाने का मन बना लिया था। सवाल यह है कि क्या हिंदुस्तान की सैन्य रणनीति अब सिर्फ पारंपरिक जवाबी कार्रवाई तक सीमित है या वह अब ‘डिकैपिटेशन स्ट्राइक’ यानी शत्रु की परमाणु क्षमता को प्रारंभिक अवस्था में ही समाप्त करने की ओर बढ़ रहा है?
हिंदुस्तान की नई सैन्य दृष्टि: बदलती परिभाषा
बीते वर्षों में हिंदुस्तान ने अपनी रक्षा नीति को केवल रक्षात्मक (defensive) से बदलकर सक्रिय प्रतिकार (proactive deterrence) की दिशा में मोड़ा है। बालाकोट स्ट्राइक (2019) के बाद यह संदेश स्पष्ट था कि अब हिंदुस्तान आतंकी हमलों के जवाब में केवल राजनयिक बयान जारी नहीं करेगा, बल्कि निर्णायक सैन्य कार्रवाई करेगा। मई 2025 की रात जब हिंदुस्तान ने पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस और अन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, वह इसी नीति की अगली कड़ी थी।
इस हमले का सामरिक महत्व सिर्फ इतना नहीं था कि पाकिस्तान को नुकसान पहुँचा, बल्कि यह स्थान — नूर खान एयरबेस — इसलिए भी विशेष था क्योंकि वह पाकिस्तान के परमाणु निगरानी तंत्र के बेहद करीब है। यह वही क्षेत्र है जहाँ ‘स्ट्रैटेजिक प्लान्स डिविजन’ का नियंत्रण केंद्र मौजूद है, जो पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के प्रबंधन की रीढ़ है।
पाकिस्तान की बेचैनी: डर की बुनियाद क्या है?
पाकिस्तान का डर केवल सैन्य नहीं, मनोवैज्ञानिक भी था। वह जानता है कि उसकी परमाणु ताकत ही उसे हिंदुस्तान के समकक्ष रखती है। अगर हिंदुस्तान इस प्रणाली को निष्क्रिय कर दे, तो पाकिस्तान की सामरिक हैसियत पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। यही वजह थी कि हमले के बाद इस्लामाबाद में न सिर्फ सैन्य अलर्ट जारी हुआ, बल्कि परमाणु ठिकानों के आसपास हवाई सुरक्षा कवच भी तैनात किए गए।
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान को अपने परमाणु ठिकानों की सुरक्षा को लेकर डर सताया हो। लेकिन इस बार यह डर अचानक नहीं, बल्कि एक रणनीतिक हमले के बाद उपजा — जो हिंदुस्तान की बढ़ती सैन्य क्षमता और राजनीतिक इच्छाशक्ति का संकेत था।
अमेरिका और खाड़ी देशों की भूमिका: युद्ध से रोकने की कूटनीति
एक समय ऐसा लग रहा था कि स्थिति नियंत्रण से बाहर जा सकती है। न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन, रियाद और अबू धाबी में एक साथ हलचल तेज हो गई। अमेरिका ने दोनों देशों को युद्धविराम की दिशा में धकेलने के लिए गुप्त वार्ताएं शुरू कीं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सार्वजनिक रूप से अमेरिका का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि युद्धविराम में अमेरिका की भूमिका निर्णायक रही।
हालांकि, हिंदुस्तान ने स्पष्ट किया कि युद्धविराम उसकी अपनी नीति और रणनीतिक संतुलन के तहत किया गया है, किसी दबाव में नहीं।
यह संदेश स्पष्ट है — हिंदुस्तान अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से खड़ा है और केवल तटस्थ प्रतिक्रिया देने वाला देश नहीं, बल्कि अपने निर्णयों के लिए जिम्मेदार शक्ति बन चुका है।
डिकैपिटेशन स्ट्राइक: रणनीति या चेतावनी?
डिकैपिटेशन स्ट्राइक का विचार केवल सैन्य रणनीति नहीं है, यह एक संदेश है — "यदि तुमने हमें चुनौती दी, तो हम तुम्हारे अस्तित्व की जड़ पर प्रहार करेंगे।" क्या हिंदुस्तान ने यह संदेश पाकिस्तान को सफलतापूर्वक दे दिया? शायद हाँ।
यह संभावना पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता कि भविष्य में यदि पाकिस्तान की ओर से कोई बड़ा आतंकवादी हमला होता है और उसके पीछे प्रमाणिक राज्य प्रायोजित भूमिका साबित होती है, तो हिंदुस्तान न केवल पारंपरिक जवाब देगा, बल्कि दुश्मन की सामरिक रीढ़ पर चोट करेगा — जैसा अब दिखने लगा है।
वैश्विक संदेश: हिंदुस्तान अब साहसिक सामरिक शक्ति है
हिंदुस्तान की यह नई रणनीति केवल पाकिस्तान के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक संकेत है कि हिंदुस्तान अब सुरक्षा की भाषा में बातचीत करता है — और वह केवल अपनी सीमाओं तक सीमित नहीं है।
चीन, अमेरिका, रूस और यूरोप को यह समझ लेना चाहिए कि हिंदुस्तान अब एक न्यूक्लियर डॉमिनेंट पावर है, जो अपने क्षेत्रीय संतुलन और वैश्विक हितों के लिए निर्णायक कार्रवाई कर सकता है।
यह पूरा प्रकरण हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि दक्षिण एशिया में एक परमाणु संघर्ष की आशंका अब किसी दूर की कल्पना नहीं रही। यह कूटनीतिक सूझबूझ और सामरिक संतुलन का क्षेत्र है, जहाँ एक गलत कदम समूचे उपमहाद्वीप को आग की लपटों में झोंक सकता है।
हिंदुस्तान ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि वह अब केवल एक सहनशील लोकतंत्र नहीं, बल्कि निर्णायक वैश्विक शक्ति है — जो शांति की आकांक्षा भी रखती है और युद्ध का विकल्प भी।
Reviewed by PSA Live News
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1:18:00 pm
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