16वें वित्त आयोग के समक्ष झामुमो ने रखीं ठोस मांगें, आदिवासी राज्य की विशेष परिस्थितियों को मान्यता देने की अपील
रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने 16वें वित्त आयोग के समक्ष झारखंड की विशेष भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों को रेखांकित करते हुए राज्य के लिए न्यायसंगत वित्तीय सहायता की मांग की है। पार्टी के महासचिव सह प्रवक्ता श्री विनोद कुमार पांडेय और नगर विकास मंत्री श्री सुदिव्य कुमार ने आयोग से स्पष्ट आग्रह किया है कि झारखंड के साथ किसी तरह का वित्तीय भेदभाव न हो और संसाधनों के आवंटन में उसकी वास्तविक जरूरतों को प्राथमिकता दी जाए।
“मांगें सिर्फ आर्थिक नहीं, सामाजिक न्याय की बुनियाद भी”
झामुमो महासचिव श्री पांडेय ने कहा कि ये मांगें केवल राजकोषीय अधिकारों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे झारखंड के सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अधिकारों की पुनर्स्थापना से भी जुड़ी हैं। उन्होंने कहा, "यदि वित्त आयोग इन बिंदुओं पर गंभीरता से विचार करता है, तो यह झारखंड को विकास की मुख्यधारा में समाहित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा।"
1. विषम भौगोलिक चुनौतियों से जूझता झारखंड – विशेष अनुदान की मांग
झारखंड एक जनजातीय बहुल राज्य है, जहाँ की एक बड़ी आबादी अभी भी सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़ी हुई है। राज्य का अधिकांश हिस्सा पहाड़ी, वनाच्छादित और नक्सल प्रभावित है, जिससे बुनियादी ढाँचा विकास चुनौतीपूर्ण और खर्चीला हो जाता है। झामुमो ने मांग की है कि इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए झारखंड को केंद्र से विशेष सहायता अनुदान दिया जाए।
2. कर प्रणाली में असमानता – हिस्सेदारी में बढ़ोतरी जरूरी
झामुमो का कहना है कि मौजूदा कर संग्रह प्रणाली में केंद्र सरकार को बड़ा हिस्सा मिलता है, जबकि झारखंड जैसे खनिज-समृद्ध लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर राज्यों को उनके योगदान के अनुसार लाभ नहीं मिलता। पार्टी ने मांग की है कि करों के वितरण में पिछड़े राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाई जाए, ताकि वे विकास में प्रभावी भूमिका निभा सकें।
3. खनिज संपदा से केंद्र को लाभ, झारखंड को नुकसान
राज्य की जमीन से निकले खनिजों से केंद्र को अरबों का राजस्व मिलता है, लेकिन इन क्षेत्रों में रहने वाली जनता को पर्यावरणीय क्षति, विस्थापन और सामाजिक असंतुलन का सामना करना पड़ता है। झामुमो ने मांग की है कि डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) की राशि का बड़ा हिस्सा राज्य के नियंत्रण में दिया जाए ताकि खनन प्रभावित इलाकों में पुनर्वास, शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत ढांचे पर उचित खर्च हो सके।
4. केंद्र सरकार के उपक्रमों पर झारखंड का बकाया – वसूली में सहयोग की अपील
झारखंड सरकार के अनुसार, केंद्र सरकार के विभिन्न उपक्रमों पर राज्य का लगभग ₹1.4 लाख करोड़ रुपये बकाया है। यह राशि बिजली बिल, भूमि किराया, जल-कर और अन्य देयों के रूप में लम्बे समय से लंबित है। झामुमो ने वित्त आयोग से अपील की है कि इन बकायों की वसूली सुनिश्चित कराई जाए, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत हो और अधूरे विकास कार्य गति पकड़ सकें।
5. अनुसूचित क्षेत्रों को मिले संवैधानिक संरक्षण और विशेष सहायता
राज्य के कई जिले पाँचवीं अनुसूची के तहत आते हैं, लेकिन उन्हें वह संवैधानिक संरक्षण और सहायता नहीं मिलती, जैसी छठी अनुसूची वाले क्षेत्रों को मिलती है। झामुमो ने आयोग से माँग की है कि अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक, महिला और युवा वर्ग को विशेष वित्तीय सहायता दी जाए ताकि वे शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता में आगे बढ़ सकें।
6. सूखा प्रभावित जिलों के लिए आपदा प्रबंधन के तहत विशेष राहत
झारखंड के कई जिले हर वर्ष असमय या कम वर्षा के कारण सूखा प्रभावित हो जाते हैं। इससे राज्य की कृषि व्यवस्था और ग्रामीण अर्थव्यवस्था चरमराने लगती है। झामुमो ने आयोग से आग्रह किया है कि इन जिलों को आपदा राहत फंड के अंतर्गत विशेष पैकेज मिले जिससे किसानों को राहत और स्थायी कृषि संरचना का निर्माण हो सके।
7. सीडी अनुपात में सुधार के लिए निर्देशात्मक कदम
राज्य में बैंकों द्वारा ऋण वितरण (क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो) की स्थिति लगातार चिंताजनक बनी हुई है। झामुमो ने आयोग से कहा है कि रिजर्व बैंक और संबंधित बैंकों को विशेष निर्देश दिए जाएं कि वे झारखंड में ऋण वितरण में सुधार लाएं, ताकि युवाओं, उद्यमियों और ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर मिल सकें।
8. घटती केंद्रीय सहायता पर गहरी चिंता
झामुमो ने आंकड़ों के हवाले से बताया कि हाल के वर्षों में झारखंड को मिलने वाली केंद्रीय सहायता में निरंतर गिरावट आई है, जिससे राज्य की विकास योजनाएं बाधित हो रही हैं। पार्टी ने आयोग से आग्रह किया है कि झारखंड को उसकी जनसंख्या, भौगोलिक परिस्थिति और विकास आवश्यकता के आधार पर न्यायसंगत और स्थिर केंद्रीय सहायता दी जाए।
झारखंड को उसका हक दिलाना जरूरी – झामुमो का स्पष्ट संदेश
वित्त आयोग के समक्ष रखे गए इन सभी बिंदुओं में झामुमो ने स्पष्ट किया है कि झारखंड को किसी भी तरह की "अनुदान संस्कृति" नहीं, बल्कि "संविधान प्रदत्त न्याय" चाहिए। राज्य का विकास तब ही संभव है जब उसे उसकी वास्तविक हिस्सेदारी और संसाधनों पर अधिकार मिले।
झामुमो के अनुसार, यदि केंद्र सरकार और वित्त आयोग इन बिंदुओं पर गंभीर और सकारात्मक रुख अपनाते हैं, तो झारखंड सामाजिक न्याय, आर्थिक आत्मनिर्भरता और समावेशी विकास की नई दिशा में अग्रसर हो सकेगा।
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