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क्या पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने पर आज भी अमेरिका का नियंत्रण है?

 क्या 1998 के पहले बनाए गए जखीरे आज भी अमेरिकी हितों के संरक्षक हैं?

अशोक कुमार झा, संपादक – रांची दस्तक एवं PSA Live News


एक भिखारी मुल्क पाकिस्तान
, जिसे अपनी अर्थव्यवस्था चलाने के लिए भी भीख की ज़रूरत पड़ती है, क्या सच में अपने परमाणु हथियारों का संचालन खुद करता है? या यह केवल एक दिखावा है, एक 'डिटरेंस' (Deterrence) का भ्रम जिसे किसी और ताकत — विशेषकर अमेरिका — ने खड़ा किया है? यह सवाल आज एक बार फिर प्रासंगिक हो उठा है, जब हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमित समय के लिए एक तीव्र लेकिन टारगेटेड युद्ध हुआ और उसके उपरांत अचानक युद्धविराम की घोषणा भी कर दी गई।

कई रणनीतिक विश्लेषकों और अंतरराष्ट्रीय जानकारों की माने तो पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम कभी पूरी तरह पाकिस्तान के नियंत्रण में था ही नहीं। 1998 से पहले अमेरिका, सऊदी अरब और चीन की सम्मिलित छत्रछाया में विकसित हुआ यह जखीरा, असल में ‘नियंत्रण का यंत्र’ था — हिंदुस्तान को घेरने का, चीन की सुरक्षा करने का और अमेरिका की मध्य एशिया में मौजूदगी बनाए रखने का।

पाकिस्तान का परमाणु झांसा और अमेरिका का छद्म नियंत्रण

पाकिस्तान की माली हालत, उसकी तकनीकी अक्षमता, और लगातार फेल होती संस्थाएं ये साबित करती हैं कि वह अपने परमाणु बमों को न ही वैज्ञानिक रूप से सुरक्षित रख सकता है और न ही उसे लॉजिस्टिकली लॉन्च कर सकता है। फिर सवाल यह है कि इतने संवेदनशील और विनाशकारी हथियार आखिर किसके भरोसे हैं?

क्या यह संभव है कि इन जखीरे की 'अल्टीमेट ऑथोरिटी' आज भी अमेरिका के पास हो?
क्योंकि जिस देश के पास ढंग का फाइटर जेट खरीदने की औकात नहीं — जिसे F-16 तक में गड़बड़ करने के लिए बार-बार अमेरिका से मदद मांगनी पड़ती है — वह देश अपने परमाणु हथियारों को कैसे मेंटेन कर सकता है?

सीमित युद्ध और रेड लाइन पर पहुँचा तनाव

पिछले सप्ताह जब हिंदुस्तान ने अपनी मिसाइलों से पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया — जिनमें कुछ एयरबेस, रडार स्टेशन और लॉजिस्टिक हब शामिल थे — तो खबरें आने लगीं कि इन ठिकानों में से कुछ अमेरिका की सहायता से संचालित किए गए हैं।

इस पर अमेरिका की प्रतिक्रिया बड़ी दिलचस्प रही।
सुबह कहा गया, “यह भारत-पाकिस्तान का मामला है, अमेरिका इसमें नहीं पड़ेगा।”
और शाम होते-होते राष्ट्रपति ट्रंप ने खुद युद्धविराम की घोषणा कर दी। क्या यह अमेरिका की रणनीतिक हड़बड़ी नहीं दर्शाती?

कहा गया कि हिंदुस्तान ने पाकिस्तान के एक संभावित परमाणु ठिकाने पर भी हमला किया जिससे रेडिएशन रिसाव का खतरा मंडराने लगा था। अगर यह सच है, तो यह हमला न केवल पाकिस्तान को बल्कि उस ठिकाने की असली छाया शक्ति — यानी अमेरिका — को भी सीधा संकेत था कि हिंदुस्तान अब झुकने वाला नहीं है

मोदी की चुप्पी और रणनीतिक संकेत

युद्ध शुरू होने से लेकर युद्धविराम तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया। यह चुप्पी कोई राजनीतिक हिचक नहीं थी, बल्कि रणनीतिक थी। इससे दुनिया को साफ संदेश गया कि हिंदुस्तान अब युद्ध की धमकियों से नहीं डरता, बल्कि वैश्विक बिरादरी की नब्ज को समझते हुए आगे बढ़ता है।

प्रधानमंत्री की इस ‘चुप कूटनीति’ ने पाकिस्तान को महत्वहीन बना दिया। उसे ‘बराबरी के स्तर’ पर रखकर जवाब नहीं दिया गया, बल्कि जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के तौर पर भारत ने अपनी छवि को और मजबूत किया।

ट्रंप की घबराहट और युद्धविराम की वजह

जब ट्रंप ने कहा कि "इस युद्ध में 25 से 30 लाख लोग मारे जाते", तो उनका यह डर सिर्फ एशिया के लिए नहीं था। असल में यह डर इस बात का था कि अगर पाकिस्तान का कोई परमाणु ठिकाना बिखरता है या फटता है तो अमेरिका के उस गुप्त सैन्य नेटवर्क का भी पर्दाफाश हो सकता है, जिसे वो दशकों से पाकिस्तान में बनाए हुए था — शीतयुद्ध के दौर से लेकर तालिबान के खिलाफ युद्ध तक।

क्या अगला कदम गिलगित-बाल्टिस्तान और POK पर होगा?

हिंदुस्तान ने यह साबित कर दिया कि जब चाहे तब किसी भी 'लाल रेखा' को पार कर सकता है। और अगर आज की वार्ता में गिलगित-बाल्टिस्तान व POK के लिए कोई निर्णायक पहल होती है तो यह उस रणनीति की अगली कड़ी होगी, जिसमें पाकिस्तान को दबाकर वैश्विक शक्तियों को भारत के आगे झुकने पर मजबूर किया गया

अमेरिका को भी यह समझ आ गया है कि अब एशिया में शक्ति संतुलन बदल रहा है।
हिंदुस्तान अब न केवल आत्मनिर्भर है बल्कि आत्मरक्षक भी

अगर पाकिस्तान का परमाणु हथियार असल में अमेरिका के नियंत्रण में है और अगर हिंदुस्तान ने उस पर हमला कर यह दिखा दिया कि वह किसी की परवाह नहीं करता — तो यह एक युद्ध के बाद का सबसे बड़ा रणनीतिक बदलाव है। पाकिस्तान अब महज़ मोहरा है, असली खेल अब अमेरिका, चीन और भारत के बीच है। और इस शतरंज में हिंदुस्तान ने अब अपनी चालें खुलकर चलनी शुरू कर दी हैं

क्या पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने पर आज भी अमेरिका का नियंत्रण है? क्या पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने पर आज भी अमेरिका का नियंत्रण है? Reviewed by PSA Live News on 12:03:00 pm Rating: 5

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