संकलन एवं प्रस्तुति: प्रो० सुजीत कुमार मिश्र
आदरणीय पाठकों,
सादर वंदन,
आपके समक्ष प्रस्तुत है एक ऐसा दिव्य आख्यान, जो न केवल भक्तिरस से परिपूर्ण है, बल्कि भारत के आध्यात्मिक और साहित्यिक इतिहास का अमूल्य रत्न भी है। यह वृत्तांत उस पुण्यप्रसंग को उजागर करता है, जहाँ भक्त और भगवान के बीच की अमोघ कड़ी श्रद्धा, भक्ति और कृपा का अनुपम उदाहरण हमें मिलता है। यह आलेख गोस्वामी तुलसीदास जी के जीवन-यात्रा की उस चमत्कारी कथा को विस्तारपूर्वक प्रस्तुत करता है, जिसमें भगवान शिव की कृपा ही श्रीरामचरितमानस जैसे कालजयी ग्रंथ की प्रेरणा बनी। बालक रामबोला से लेकर महान संत तुलसीदास बनने तक की उनकी साधना, त्याग, आंतरिक संघर्ष और परमप्रेम की अद्वितीय कथा, पाठकों को अध्यात्मिक आनंद के साथ-साथ आत्मचिंतन की प्रेरणा भी देती है।
प्रो. सुजीत मिश्र द्वारा संकलित यह रचना न केवल ऐतिहासिक तथ्यों को प्रमाणिकता से सामने रखती है, बल्कि तुलसीदास जी की साहित्यिक प्रतिभा के आध्यात्मिक स्रोत को भी स्पष्ट करती है—भगवान शिव का आशीर्वाद। श्रीरामचरितमानस की रचना-प्रक्रिया, तुलसीदास जी को हुए दिव्यदर्शन, और शिव-पार्वती के आदेशों की पृष्ठभूमि इस बात की साक्षी है कि यह ग्रंथ केवल साहित्य नहीं, ईश्वरीय अनुग्रह का जीवंत स्वरूप है।
हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि यह पठनीय सामग्री आपके मन, मस्तिष्क और आत्मा को स्पर्श करेगी तथा तुलसीदास जी के जीवन से जुड़ी घटनाएँ आपके हृदय में भक्ति का एक नया स्रोत प्रवाहित करेंगी।
आपके द्वारा इस संकलन को पढ़कर यदि श्रीराम के प्रति प्रेम और तुलसीदास जी के प्रति श्रद्धा जगे, तो यही इस विनम्र प्रयास की सार्थकता होगी।
सादर,
-प्रकाशक एवं प्रस्तोता की ओर से
(पाठकहित में समर्पित)
प्रो० सुजीत मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं: