अब चुप नहीं रहेगा हिंदुस्तान: आतंक पर अमेरिका से शशि थरूर की हुंकार, पाकिस्तान को वैश्विक मंच से ललकार
✍️ अशोक कुमार झा
प्रधान संपादक – PSA Live News | Ranchi Dastak
शब्द नहीं, यह एक घोषणा है
"भारत अब आतंकवाद को चुपचाप नहीं सहेगा" – जब यह वाक्य अमेरिका की धरती पर शशि थरूर के मुख से उच्चारित हुआ, तब यह कोई क्षणिक प्रतिक्रिया या भावावेश नहीं था। यह एक परिपक्व, आत्मविश्वास से भरे राष्ट्र की ओर से दी गई घोषणा थी। एक ऐसा राष्ट्र जो इतिहास में बार-बार पीड़ा सहने के बाद अब अपने घाव नहीं, अपना प्रतिकार दिखाने की स्थिति में आ चुका है।
भारत की बदलती आत्म-छवि: परंपरा, संयम और शक्ति का संतुलन
भारत एक शांतिप्रिय देश है – यह वाक्य अब केवल
सांस्कृतिक बयान नहीं, बल्कि रणनीतिक उद्घोषणा का हिस्सा बन चुका है। 1947 से
2024 तक भारत की विदेश नीति ने संयम और संवाद को प्राथमिकता दी, किंतु इसका बार-बार
दुरुपयोग पाकिस्तान ने किया। आज का भारत संयम का दुरुपयोग नहीं होने देगा।
भारत की छवि अब एक ऐसे राष्ट्र की है:
- जो शांति चाहता है,
लेकिन घुटता नहीं है।
- जो युद्ध नहीं चाहता,
लेकिन पलटवार से हिचकता नहीं।
- जो संवाद में पहल करता है,
लेकिन धोखे में चुप नहीं बैठता।
आतंकवाद की वैश्विक व्याख्या और भारत की
ऐतिहासिक पीड़ा
भारत शायद वह एकमात्र राष्ट्र है जिसने
पिछले तीन दशकों में हर प्रकार का आतंक सहा है:
दशक |
प्रमुख
आतंकी हमले |
जिम्मेदार
नेटवर्क |
1990s |
कश्मीर में जनसंहार, 1993 मुंबई
बम धमाके |
ISI, D-Company |
2000s |
संसद हमला (2001), अक्षरधाम
(2002), मुंबई 26/11
(2008) |
LeT, JeM |
2010s |
पठानकोट, उरी, अमरनाथ यात्री हमला |
पाक प्रशिक्षित आतंकी |
2020s |
पुलवामा, पहलगाम, जम्मू-डोडा क्षेत्र
में हमले |
हाइब्रिड आतंकी |
इन सभी में एक बात सामान्य थी – पाकिस्तान
से सीधा या अप्रत्यक्ष संबंध।
शशि थरूर का हस्तक्षेप क्यों महत्वपूर्ण
है?
शशि थरूर केवल सांसद नहीं, वे संयुक्त राष्ट्र
में भारत की आवाज़ रहे हैं। उनके कूटनीतिक अनुभव,
वैश्विक मंचों पर स्वीकार्यता और विदेश
नीति की गहरी समझ उन्हें केवल वक्ता नहीं,
बल्कि रणनीतिकार बनाती है।
उन्होंने अमेरिका के न्यूयॉर्क वाणिज्य
दूतावास में:
- भारत का दृढ़ रुख रखा,
- आतंकवाद पर वैश्विक गठबंधन की मांग की,
- पाकिस्तान को सार्वजनिक रूप से बेनकाब किया।
2015 का एयरबेस हमला: संवाद की हत्या
थरूर ने दुनिया को 2015 की
वह त्रासदी याद दिलाई जब भारत के एयरबेस पर हमला हुआ।
प्रधानमंत्री ने खुद पाकिस्तान से जांच
में सहयोग का आग्रह किया। पर परिणाम क्या मिला?
पाकिस्तानी जांच दल भारत आया और लौटकर
बयान दिया कि हमला भारत ने खुद पर किया!
यह नहीं था संवाद – यह
था विश्वास का वध।
2015 भारत की ओर से पाकिस्तान को दिया गया अंतिम नैतिक अवसर था, जिसे उसने आतंक से
कुचल दिया।
भारत की बदली नीति: डोकलाम से बालाकोट
तक
सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक भारत के रक्षा-मानस
का नया चेहरा हैं।
डोकलाम में चीन को रोकना, गलवान में प्रतिकार
करना और पाकिस्तान को घर में घुसकर जवाब देना –
यह सब दर्शाता है कि भारत अब परिपक्व
शक्ति है।
भारत की नई रणनीति के स्तंभ हैं:
- Defensive-Offensive Doctrine
- International Coalition Building
- Economic Sanctions and Isolation Diplomacy
- Digital Surveillance & Cyber Warfare
पाकिस्तान: विफल राष्ट्र की ओर अग्रसर
पाकिस्तान आज न तो आर्थिक रूप से स्थिर
है, न राजनीतिक रूप से विश्वसनीय।
वह FATF
की ग्रे लिस्ट में रह चुका है, IMF की
शर्तों के नीचे दबा है, और उसकी सरकार सैन्य तंत्र की कठपुतली बन चुकी है।
अब प्रश्न उठता है – क्या विश्व समुदाय को
आतंक को पनाह देने वाले राष्ट्र से संबंध बनाए रखने चाहिए?
थरूर के वक्तव्य का यही सार था – "अब
तटस्थता भी पाप है।"
भारत की कूटनीति: मोदी, जयशंकर
और थरूर की त्रिवेणी
भारत की कूटनीति अब केवल सरकार के भीतर
नहीं सिमटी। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की स्पष्टवक्ता शैली, प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी का वैश्विक कद और विपक्ष के वरिष्ठ नेता शशि थरूर की उदार परंतु सशक्त आवाज – तीनों मिलकर भारत की
विदेश नीति को "राष्ट्रीय नीति" का स्वरूप दे चुके हैं।
अब भारत एक स्वर में बोलता है:
"No Terror – No Talks"
आम नागरिक की भूमिका: आतंक का जवाब केवल
बंदूक नहीं, विचार से भी
आज आतंकवाद केवल हथियारबंद लोगों से
नहीं, व्हाट्सएप पर फैलाई जा रही नफरत,
अफवाहों और वैचारिक ध्रुवीकरण से भी
पनपता है। भारत के नागरिकों को अब यह समझना होगा कि हर अफवाह एक हथियार
है, और हर नागरिक एक प्रहरी।
जब तक भारत के भीतर वैचारिक आतंक को हम
नहीं रोकेंगे, तब तक सीमाओं पर जीत भी अधूरी रहेगी।
विश्व समुदाय से अपेक्षा: आतंक के खिलाफ
एकमत हो दुनिया
भारत अब अकेला नहीं है। फ्रांस, इज़राइल, अमेरिका, जापान जैसे देश खुलकर
भारत का समर्थन कर रहे हैं।
भारत चाहता है कि:
- पाकिस्तान को वैश्विक मंचों से अलग-थलग किया जाए
- आतंक को धर्म से न जोड़ा जाए
- आतंकवादी गुटों के आर्थिक स्रोत खत्म किए जाएं
- UN में
आतंक पर प्रतिबंधों को कठोर किया जाए
यह नया भारत है — जहां
पीड़ा नहीं, प्रतिकार है
शशि थरूर की हुंकार अमेरिका से थी, लेकिन उसकी
प्रतिध्वनि पाकिस्तान के सत्ता गलियारों तक पहुंच गई है।
भारत अब आक्रोश नहीं, आत्मबल
की स्थिति में है। और यही राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत है।
यह भारत युद्ध नहीं चाहता, लेकिन युद्ध हो तो
उसे निर्णायक बनाएगा।
यह भारत शांति चाहता है, लेकिन कायरता नहीं।
यह भारत अब अपने खिलाफ हर साजिश का
उत्तर देगा — मंच से भी और मैदान से भी।

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