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श्रद्धा, वैदिक परंपरा और भक्ति का संगम: दिव्यदेशम् श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर मंदिर में अचल एकादशी पर हुआ भगवान श्रीमन्नारायण का दिव्य महाभिषेक



 रांची/दिव्यदेशम्: श्रद्धा, शास्त्र और शुद्ध भावनाओं का अद्वितीय संगम उस समय देखने को मिला जब ज्येष्ठ मास की अचला एकादशी के पावन अवसर पर दिव्यदेशम् श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी) मंदिर, रांची में अखिलाण्ड कोटि ब्रह्मांड के नायक, परात्पर परमात्मा श्रीमन्नारायण का भव्य महाभिषेक सम्पन्न हुआ। यह आयोजन शास्त्रसम्मत पाञ्चरात्र आगम विधि के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में विधिपूर्वक आरंभ हुआ और दिनभर की भक्ति-पूजा से भावविभोर कर गया।

ब्रह्म मुहूर्त में प्रारंभ हुआ दिव्य अनुष्ठान

प्रातः 4:30 बजे भगवान श्रीनिवास के विश्वरूप दर्शन, सुप्रभातम, मंगलाशासनम् और तिरूवाराधन के साथ पूजा का शुभारंभ हुआ। तत्पश्चात वेद मंत्रों की ध्वनि और भक्तों के स्तुति गान के मध्य महाभिषेक की प्रक्रिया आरंभ हुई। भगवान का अभिषेक दूध, दधि, हरिद्रा चूर्ण, चंदन, शहद, नारियल जल और गंगाजल से सहस्त्रधारा, कलशधारा, शंखधारा और चक्रधारा विधियों से किया गया।

आभूषणों, रेशमी वस्त्रों और पुष्पों से हुआ दिव्य श्रृंगार

महाभिषेक के उपरांत भगवान को रेशमी वस्त्र धारण कराए गए, उनके विग्रह को वैदिक मंत्रों के मध्य धूप-दीप, कर्पूर, चंदन और पुष्पों से श्रृंगारित किया गया। दिव्य आभूषणों से अलंकरण कर पंचोपचार, षोडशोपचार और अन्य विधियों से पूजा संपन्न हुई। इसके पश्चात श्रुति, उपनिषद एवं देशिक स्तोत्रों से भगवान की महास्तुति की गई, जिससे मंदिर परिसर दिव्य आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया।

श्रद्धालुओं के लिए खुले पट, गूंजा गोविंदा हरि-हरि का जयघोष

प्रातः पूजन और आरती के उपरांत मंदिर गोपुरम के बाहरी पट श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोल दिए गए। दर्शन के लिए उमड़ी हजारों भक्तों की भीड़ ने "श्रीनिवास गोविंदा, श्री वेंकटेशा गोविंदा, श्रीमन्नारायण हरि-हरि" के उद्घोष से संपूर्ण वातावरण को भक्तिरस में सराबोर कर दिया।

श्रद्धालुओं ने अपने-अपने नाम और गोत्र से संकल्प लेकर अष्टोत्तर शतनाम अर्चना, कुमकुम अर्चना तथा श्री विष्णु सहस्त्रनाम की अर्चना कराई।

यजमान श्री छावरा एंड संस, अनुष्ठान का हुआ वैदिक संपादन

आज के दिव्य महाभिषेक के मुख्य यजमान राँची स्थित श्री छावरा एंड संस परिवार रहे। वैदिक परंपरा का संचालन मंदिर के आचार्य श्री सत्यनारायण गौतम, श्री गोपेश आचार्य एवं श्री नारायण दास जी ने विधिवत रूप से संपन्न कराया।

सैकड़ों विशिष्ट श्रद्धालु और हजारों भक्तों की उपस्थिति

इस दिव्य अवसर पर श्री रामअवतार नरसरिया, अनूप अग्रवाल, प्रभास मित्तल, प्रदीप नरसरिया, घनश्यामदास शर्मा, सीता शर्मा, शंभूनाथ पोद्दार, ओमप्रकाश गरोड़िया, यशोदा देवी, छाया दुबे, भोलानाथ बरनवाल सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्तों ने मंदिर पहुंचकर भगवान श्रीवेंकटेश के चरणों में अपनी श्रद्धा समर्पित की और राष्ट्र, समाज तथा परिवार की मंगलकामना की।

 अचल एकादशी का पावन पर्व बना भक्ति और परंपरा का प्रतीक

दिव्यदेशम् श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर मंदिर में आयोजित इस महाभिषेक समारोह ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि झारखंड की राजधानी रांची अब दक्षिण भारत की वैदिक परंपराओं और उत्तर भारतीय श्रद्धा भाव का केंद्र बन रही है। अचल एकादशी पर यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण का भी सशक्त प्रतीक बन गया।

श्रद्धा, वैदिक परंपरा और भक्ति का संगम: दिव्यदेशम् श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर मंदिर में अचल एकादशी पर हुआ भगवान श्रीमन्नारायण का दिव्य महाभिषेक श्रद्धा, वैदिक परंपरा और भक्ति का संगम: दिव्यदेशम् श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर मंदिर में अचल एकादशी पर हुआ भगवान श्रीमन्नारायण का दिव्य महाभिषेक Reviewed by PSA Live News on 8:35:00 pm Rating: 5

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