राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने किया श्रद्धांजलि अर्पित, विश्वविद्यालय के शैक्षणिक विकास की प्रशंसा
रिपोर्ट: PSA Live News डेस्क, धनबाद
धनबाद | झारखंड आंदोलन के पुरोधा, सामाजिक चेतना के अग्रदूत और शिक्षा के जननायक बिनोद बिहारी महतो की स्मृति को चिरस्थायी बनाने हेतु आज एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया। बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय परिसर, धनबाद में उनकी भव्य प्रतिमा का अनावरण राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर पूरे परिसर में श्रद्धा, प्रेरणा और आत्मसम्मान का अद्वितीय समागम देखा गया।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर बिनोद बिहारी महतो को नमन किया और उनके योगदान को झारखंड की अस्मिता का स्तंभ बताया।
“झारखंड आंदोलन की आत्मा को नमन” – मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन
समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा,
"यह विश्वविद्यालय केवल एक शैक्षणिक संस्थान नहीं, बल्कि झारखंड के जनआंदोलन और आत्मगौरव का प्रतीक है। बिनोद बिहारी महतो जैसे जननायकों के सपनों को साकार करने की दिशा में यह विश्वविद्यालय अभूतपूर्व कार्य कर रहा है।"
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आदिवासी-मूलवासी समाज को शिक्षा, सम्मान और अधिकार देने के लिए कटिबद्ध है। यह विश्वविद्यालय इसी संकल्प का मूर्त रूप है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद शिक्षा के नए मानक गढ़ रहा है।
शिक्षा में सुधार और उत्कृष्टता की ओर बढ़ते कदम
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार की पहल पर "सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस" जैसे नवाचार लाए गए हैं, जिनके परिणामस्वरूप सीमांत और ग्रामीण परिवेश के छात्र भी 90% से अधिक अंक प्राप्त कर देश भर में झारखंड का नाम रौशन कर रहे हैं।
"हमारी सरकार शिक्षा की गुणवत्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक सुधार की प्रक्रिया चल रही है।" – हेमन्त सोरेन
शहीदों और आंदोलनकारियों को मिल रहा है इतिहास में सम्मान
मुख्यमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि झारखंड सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि एक आंदोलन की उपज है। शहीदों और आंदोलनकारियों के बलिदान को भुलाया नहीं जाएगा।
"झारखंड के चौक-चौराहे, गली-मोहल्ले, विद्यालय और संस्थान अब हमारे नायकों के नाम से जाने जा रहे हैं। यह हमारी ऐतिहासिक जिम्मेदारी है जिसे हम निभा रहे हैं।"
धनबाद का यह विश्वविद्यालय भी उसी दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण है।
राज्यपाल का संदेश: “झारखंड की आत्मा को सहेजने का संकल्प”
राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि झारखंड के निर्माण में श्रमिकों, किसानों, छात्रों और जननेताओं का विशेष योगदान रहा है। बिनोद बिहारी महतो जैसे नेताओं ने जिस सपने की नींव रखी थी, आज उसका विस्तार इस विश्वविद्यालय के रूप में दिख रहा है।
उन्होंने विश्वविद्यालय को उत्कृष्ट शिक्षा के क्षेत्र में रोल मॉडल बनाने का आह्वान किया।
उल्लेखनीय उपस्थिति
इस गौरवपूर्ण अवसर पर राज्य के कई जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।
मंत्री सुदिव्य कुमार, सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी, विधायक मथुरा प्रसाद महतो, अरूप चटर्जी, राज सिन्हा, जयमंगल सिंह, शत्रुघ्न महतो, एवं अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ झारखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष बेबी देवी, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर.के. सिंह, धनबाद के उपायुक्त, वरीय पुलिस अधीक्षक और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं समारोह में शामिल हुए।
नवचेतना का प्रतीक बना विश्वविद्यालय
बहुआयामी विकास की ओर अग्रसर यह विश्वविद्यालय आज कोयलांचल की शिक्षा क्रांति का केंद्र बन चुका है। मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए राज्य सरकार हरसंभव सहायता देगी।
बिनोद बिहारी महतो को समर्पित यह आयोजन महज एक प्रतिमा अनावरण नहीं, बल्कि झारखंड की आत्मा, संघर्ष, और संकल्प को सम्मान देने का उत्सव था। यह विश्वविद्यालय अब सिर्फ शिक्षा नहीं, झारखंडी अस्मिता का केंद्र बन चुका है।

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