लोहरदगा में बिना अनुमति काटे गए सरकारी पेड़, सामाजिक विचार मंच ने उपायुक्त और वन प्रमंडल पदाधिकारी को सौंपा ज्ञापन
"मुख्यालय के पास जब पेड़ सुरक्षित नहीं, तो जंगलों का क्या होगा?" उठे सवाल
लोहरदगा। जिले के समाहरणालय मैदान (डीसी ऑफिस के सामने) में सरकारी जमीन पर लगे लिप्टस (यूकेलिप्टस) के पांच पेड़ अवैध रूप से काट दिए गए। यह घटना 14 मई 2025 को घटी, जब कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा दिनदहाड़े पेड़ों को ट्रैक्टर में लादकर ले जाया गया। इस कार्रवाई के खिलाफ सामाजिक विचार मंच ने आज उपायुक्त लोहरदगा और वन प्रमंडल पदाधिकारी को लिखित ज्ञापन सौंपकर कड़ी नाराज़गी जताई और त्वरित कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
ज्ञापन का मुख्य बिंदु:
सामाजिक विचार मंच ने अपने ज्ञापन में कहा है कि—
- पेड़ काटने वाले व्यक्ति से जब अनुमति पत्र की मांग की गई, तो उसने न केवल दिखाने से इनकार किया बल्कि यह कहकर चुनौती दी कि “जहाँ जाना है जाइए और शिकायत करते रहिए।”
- मामले की तत्काल मौखिक शिकायत वन विभाग को की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
- यह घटना जिला मुख्यालय से महज 100 मीटर की दूरी पर घटित हुई, जिससे यह प्रश्न उठता है कि जब शहर में यह हाल है, तो दूर-दराज के जंगलों में क्या स्थिति होगी?
पेड़ कटाई की जगह रही है प्रसिद्ध "लिप्टस बगान"
समाहरणालय मैदान क्षेत्र वर्षों से "लिप्टस बगान" के रूप में जाना जाता रहा है, जहाँ बड़ी संख्या में ये वृक्ष लगाए गए थे। लेकिन हाल के वर्षों में लगातार पेड़ों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है। सामाजिक मंच का कहना है कि इस बगान की पहचान और पारिस्थितिकी संतुलन के लिए यह गंभीर खतरा बन चुका है।
मंच की प्रमुख मांगें:
- पेड़ काटने वालों की पहचान कर उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए।
- काटा गया सरकारी लकड़ी का स्टॉक कहाँ गया, इसकी जांच हो।
- वन विभाग मौके पर 5 नए पेड़ लगाकर उनकी पूर्ण देखभाल की जिम्मेदारी ले।
- आगे इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए निगरानी व्यवस्था सख्त हो।
ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख नाम:
सामाजिक विचार मंच के मुख्य संयोजक सागर वर्मा, संतोष केरकेट्टा, संदीप भगत, राजकुमार यादव, एवं कवलजीत सिंह सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे।
मुख्य संयोजक कवलजीत सिंह ने स्पष्ट कहा कि
"पेड़ हमारी धरोहर हैं। अगर मुख्यालय के करीब इस तरह की घटनाएं होंगी, तो यह आने वाली पीढ़ियों के साथ अन्याय होगा। हम मांग करते हैं कि कटे हुए पेड़ों की जगह नए पौधे लगाए जाएं और उनकी निगरानी वन विभाग द्वारा सुनिश्चित की जाए।"
यह घटना वन संरक्षण अधिनियम के स्पष्ट उल्लंघन की ओर संकेत करती है और जिला प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह इसमें कठोर कदम उठाए।

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