ब्लॉग खोजें

भगवान वेंकटेश का अलौकिक विवाह उत्सव — आस्था, आनंद और आध्यात्मिक उल्लास का दिव्य संगम



रांची।
श्रीभगवान दास सत्संग हॉल में रविवार को भगवान वेंकटेश और माता पद्मावती तथा श्रीभूदेवी के शुभ विवाह (कल्याणोत्सव) का आयोजन दिव्यता और भव्यता के अद्वितीय संगम के रूप में संपन्न हुआ। यह वैवाहिक महोत्सव न केवल पारंपरिक धार्मिक रीति-रिवाजों का अनुपम उदाहरण रहा, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और अध्यात्म की ऊँचाइयों को भी छूता दिखा।

विवाह मंडप फूलों से सजा, वातावरण सुगंधमय

कल्याणोत्सव के लिए विशेष रूप से कलकत्ता से आए कारीगरों ने विवाह मंडप को जूही, बेला, रजनीगंधा और गुलाब जैसे सुगंधित पुष्पों से सुसज्जित किया। मंडप की दिव्यता ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया, मानो समस्त प्रकृति भी इस अलौकिक विवाह के साक्षी बनने को आतुर हो। समूचा परिसर देवी-देवताओं की पुष्पवर्षा की प्रतीक्षा में जैसे थम सा गया था।

वधू पक्ष मुकलावा लेकर पहुँचा, हुआ भव्य स्वागत

प्रातः 9:00 बजे वधू पक्ष के मुख्य यजमान श्री प्रदीप-उमा नारसरिया एवं श्री अभिषेक-प्रीति नारसरिया, मुकलावा लेकर गाजे-बाजे और मंगल ध्वनि के साथ सत्संग हॉल पहुंचे। उनके साथ नई दिल्ली से श्री किशन-मीनू नारसरिया, स्नेहा नारसरिया, महावीर-निर्मला नारसरिया विशेष रूप से उपस्थित थे।

वर पक्ष की ओर से मुख्य यजमान श्री रामअवतार-शारदा नारसरिया एवं श्री राहुल-अदिति नारसरिया ने पूरे श्रद्धा भाव से वधू पक्ष का स्वागत किया। इस अवसर पर श्रीस्वामी अनिरुद्धाचार्य जी महाराज और श्री गोविंद स्वामी ने विशेष रूप से उपस्थिति देकर आयोजन को आध्यात्मिक गरिमा प्रदान की।

स्वागत के अन्य प्रमुख अतिथियों में श्री नरेंद्र-सुनीता अग्रवाल, नीरज, नितिन, सौरभ अग्रवाल, हिमाचल की चंबा से आईं श्रीमती श्रेष्ठा महाजन, जम्मू की श्रीमती शशि गुप्ता, संतोष जी, श्री अनूप अग्रवाल, विनय धरनीधरका एवं वृंदावन से आए वेदपाठी छात्रगण प्रमुख रूप से सम्मिलित हुए। श्री विनोद अग्रवाल भी कलकत्ता से सपत्निक उपस्थित रहे।

मंगलाचार, संकल्प और वैदिक विधियों से संपन्न हुआ वैवाहिक समारोह

कल्याणोत्सव की वैदिक विधियों की शुरुआत कांचीपुरम से आए वरदराज मंदिर के प्रमुख अर्चक श्री श्रीवत्स भट्टर एवं श्री कन्नन भट्टर द्वारा वैवाहिक मंगलाचार से हुई। इसके बाद श्रीस्वामी अनिरुद्धाचार्य जी एवं श्री गोविंद स्वामी के मार्गदर्शन में वर-वधू पक्ष के यजमानों ने वैवाहिक संकल्प लिया। मंत्रोच्चारण और शास्त्रोक्त विधियों के बीच भगवान वेंकटेश और माता पद्मावती का पावन विवाह सम्पन्न हुआ।

नादेश्वर की दिव्य धुन और शंखध्वनि के साथ पूरा सत्संग हॉल भावविभोर हो उठा। उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को अक्षत और पुष्प वर्षा के साथ आशीर्वाद स्वरूप कल्याणोत्सव में सहभागी बनाया गया।

भगवान का विवाह, भक्तों के लिए कल्याण का द्वार

अपने प्रवचन में श्रीस्वामी अनिरुद्धाचार्य जी महाराज ने कहा,

"जब-जब भगवान का विवाह होता है, तब-तब समस्त ग्रह-नक्षत्र अनुकूल हो जाते हैं। वेंकटेश भगवान ने जब पद्मावती से विवाह किया, तो उन्हें कुबेर से ऋण लेना पड़ा। आज भी वे हुंडी में आए दान के माध्यम से उसका ब्याज चुका रहे हैं। जो भक्त सच्चे भाव से श्रद्धा अर्पित करते हैं, उन्हें भगवान सौ गुना आशीर्वाद देते हैं।"

उन्होंने कहा कि भगवान का यह ऋण भी भक्तों के लिए कल्याणकारी है क्योंकि यह दान और सेवा के महत्व को दर्शाता है।

सेवा, समर्पण और आयोजन में रही सबकी भूमिका

इस अद्वितीय आयोजन को सफल बनाने में श्री नारायण प्रसाद जालान, रमेश धरनीधरका, अनीश अग्रवाल, उदय राठौर, श्रवण खंडेलवाल, रंजन सिंह सहित अनेक सेवाभावी लोगों की विशेष भूमिका रही।

यह विवाह उत्सव न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान था, बल्कि यह भक्तों के लिए भक्ति, प्रेम, सेवा और समर्पण की पुनःप्राप्ति का अवसर भी बना। इस दिव्य आयोजन ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि जब भगवान स्वयं विवाह रचाते हैं, तो समस्त ब्रह्मांड उनके आनंद में सम्मिलित होता है।

भगवान वेंकटेश का अलौकिक विवाह उत्सव — आस्था, आनंद और आध्यात्मिक उल्लास का दिव्य संगम भगवान वेंकटेश का अलौकिक विवाह उत्सव — आस्था, आनंद और आध्यात्मिक उल्लास का दिव्य संगम Reviewed by PSA Live News on 5:52:00 pm Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

Blogger द्वारा संचालित.